वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

75वाँ सत्र: फ्राँस का बहुपक्षीय प्रणाली को पुनर्जीवित करने पर ज़ोर

यूएन महासभा के 75वें सत्र के दौरान वार्षिक उच्च स्तरीय बहस में फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ का वीडियो सन्देश.(22 सितम्बर 2020)
UN Photo/Manuel Elias
यूएन महासभा के 75वें सत्र के दौरान वार्षिक उच्च स्तरीय बहस में फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ का वीडियो सन्देश.(22 सितम्बर 2020)

75वाँ सत्र: फ्राँस का बहुपक्षीय प्रणाली को पुनर्जीवित करने पर ज़ोर

यूएन मामले

फ्राँस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ ने संयुक्त राष्ट्र की 75वीं महासभा की वार्षिक उच्च स्तरीय बहस के दौरान मंगलवार को ज़ोर देकर कहा कि कोरोनोवायरस महामारी से निपटने के लिये राष्ट्रों के बीच सहयोग बेहद ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि महामारी को संयुक्त राष्ट्र को जगाने के लिये एक "बिजली के झटके" की तरह के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिये. 

फ्राँसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ ने इस बार वर्चुअल तरीक़े से हो रही बैठक के दौरान अपने विस्तृत वीडियो सम्बोधन में कहा, "यह संकट,जो निसन्देह किसी भी अन्य संकट से बड़ा है, इसके लिये सहयोग की आवश्यकता है, नए अन्तरराष्ट्रीय समाधान तलाश किये जाने की आवश्यकता है."

उन्होंने कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन सरीखे जिन अन्तरराष्ट्रीय संगठनों की हमें बहुत आवश्यकता है, उस पर कुछ देशों ने निष्क्रियता के आरोप लगाए हैं, वहीं कुछ अन्य देशों ने उसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया है. साथ ही वैज्ञानिक और पत्रकार, जिनपर ऐसे संकट के समय में समझ व प्रभावी तरीक़े से कार्य करने का दारोमदार है, वो या तो सरकारों के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनकर ख़ुद सवालों के घेरे में आ गए या फिर ग़लत जानकारी की महामारी में फँस गए हैं.”

राष्ट्रपति मैक्राँ ने यह भी माना कि संयुक्त राष्ट्र पर स्वयं सुरक्षा परिषद में "शक्तिहीन होने का जोखिम" मंडरा है, उदाहरण के लिये इसके दो स्थायी सदस्यों ने, कोरोनोवायरस महामारी के चरम पर, बैठक करके समाधान खोजने के बजाय, "अपनी दुश्मनी दिखाने” में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई."

महामारी से बहुपक्षीय “टूट” उजागर

उन्होंने समझाया, "महामारी से पहले जो मतभेद मौजूद थे - बड़ी ताक़तों के आधिपत्यवादी झटके, बहुपक्षवाद पर सवाल या उसे मोहरा बनाने कोशिश,अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की धज़्जियाँ उड़ाना - इन सबसे, महामारी के कारण उपजी वैश्विक अस्थिरता और तेज़ व गहरी होती जा रही हैं.” 

उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में, “अब हमें अपनी आँखें बन्द करने का हक़ नहीं है. अब हमारे पास विलम्ब करने का न कोई मौक़ा बचा है, न ही समय. यह महामारी हमारे संगठन के लिये एक बिजली के झटके की तरह होनी चाहिये, जागृति के उस क्षण की तरह, जो दुनिया को बचा सके.”

उन्होंने कहा कि दोनों महान शक्तियों की ताक़त जो भी हो, या जो भी सभी का ‘एक-दूसरे के साथ इतिहास रहा हो', लेकिन “वर्तमान में दुनिया केवल चीन और अमेरिका के बीच की प्रतिद्वन्द्विता पर ही केन्द्रित नहीं रह सकती.”

उन्होंने जोर दिया, "यह संकट, हमारे सहयोग ढाँचे का पतन, और जिन कमज़ोरियों का मैंने अभी उल्लेख किया है – इन सभी के कारण हमें एक नई प्रणाली का पुनर्निर्माण करने और उसमें योरोप को अपनी पूर्ण ज़िम्मेदारी निभाने के लिये मजबूर करने की ज़रूरत है." 

फाँसीसी राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि “आने वाले हफ्तों और महीनों में, मौलिक विकल्प अपनाने होंगे. एक दिन महामारी का इलाज तो ज़रूर मिल जाएगा, लेकिन समकालीन व्यवस्था के विनाश के लिये कोई चमत्कारिक औषधि मिलनी मुश्किल होगी.”

पाँच प्राथमिकताएँ 

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राँ ने उन पाँच प्राथमिकताओं का विस्तार से उल्लेख किया, जिन्हें अपनाकर फ्राँस एक नई समकालीन आम सहमति की नींव डालना चाहता है.

पहला उद्देश्य है - सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई.

दूसरी प्राथमिकता - "शान्ति और स्थिरता के निर्माण की ज़रूरत पूरी करना, साथ ही लोगों की समान सम्प्रभुता का भी सम्मान करना.”

तीसरी प्राथमिकता "साझा मुद्दों या अच्छाइयों" (स्वास्थ्य जलवायु, जैव विविधता, डिजिटल स्थान और शिक्षा) का संरक्षण.

फ्राँसीसी राष्ट्रपति ने कहा, चौथी प्राथमिकता वैश्वीकरण के एक नए युग का निर्माण है, “क्योंकि हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि एक वैश्विक संकट से निपटने में राष्ट्रों की निर्लिप्तता, चरम सीमाओं में लोकलुभावनवादी हिंसा और ताक़त वापस मिलने के क्या जोखिम हैं. हमें मिलकर एक निष्पक्ष,अधिक सन्तुलित, अधिक न्यायसंगत, अधिक स्थायी वैश्वीकरण की नींव रखनी चाहिये."

अन्त में, पाँचवा उद्देश्य है, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और सभी के मौलिक अधिकारों के लिये सम्मान. उन्होंने कहा, “मेरी नज़र में, यह लक्ष्य हमारे संगठन के अस्तित्व के लिये बेहद आवश्यक है. वास्तव में, इस क्षेत्र में असफलताओं की एक लम्बी श्रृँखला और अनेक बार बहुत अधिक चुप्पी देखी जाती है,”

 राष्ट्रपति मैक्राँ ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली की नींव के पुनर्निर्माण में, स्पष्ट नियमों के आधार पर, सभी द्वारा परिभाषित और सम्मानित, कार्यात्मक अन्तरराष्ट्रीय सहयोग क़ायम करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "बहुपक्षवाद केवल आस्था बनाने के लिये नहीं, बल्कि इसके परिचालन के लिये बहुत ज़रूरी है. हालाँकि, हम अब केवल शाब्दिक बहुपक्षीयता से सन्तुष्ट नहीं हो सकते हैं, जो ऊपरी तौर पर आम राय स्वीकार करने की अनुमति देता है, लेकिन आम सहमति की तहों के नीचे गहरे मतभेदों को छिपाने का एक तरीक़ा मात्र बन गया है.”

इसके बजाय, "हमें तरीक़े बदलने चाहिये, अनुबन्ध की शर्तें पलट देनी चाहिये, जब कुछ लोग ज़ाहिरा तौर पर तो गठबन्धनों और उनके सिद्धान्तों का पालन करने पर गर्व प्रदर्शित करें, लेकिन वास्तविकता में उन्हें रौन्दने में लगे हों" तो पूरी ताक़त के साथ व स्पष्टता से आवाज़ बुलन्द करनी चाहिये.”