कोविड-19: स्वास्थ्य कर्मी ‘ख़तरनाक अनदेखी’ के शिकार

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य और श्रम एजेंसियों ने सोमवार को कहा है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य टीमों को, कोविड-19 महामारी के दौरान जिस तरह की “ख़तरनाक अनदेखी” का सामना करना पड़ा है, उनसे निपटने के लिये, और ज़्यादा सुरक्षित कामकाजी हालात की दरकार है.
इन एजेंसियों ने बताया है कि महामारी फैलने के पहले 18 महीनों के दौरान, कोविड-19 के कारण, लगभग एक लाख, 15 हज़ार, 500 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो गई थी, जोकि सुरक्षा उपायों की व्यवस्थागत नाकामी से सम्बन्ध को दर्शाती है.
Health workers are at the forefront of the fight against #COVID19. As the pandemic continues to exert great pressure on them, @ilo and @WHO launched a guide on developing & implementing stronger occupational health & safety programmes for health workers.https://t.co/FQqXFL7Kxu
ilo
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने एक संयुक्त पुकार में, ज़ोर देकर कहा है कि कोरोनावायरस संकट ने स्वास्थ्य कर्मियों पर पहले से ही भारी दबाव में और वृद्धि की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में परिवेश, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशिका मारिया नेइरा का कहना है, “स्वास्थ्य सैक्टर, कोविड-19 महामारी से पहले भी, बेहद ख़तरनाक कामकाजी क्षेत्रों में से एक था.”
डॉक्टर मारिया नेइरा का कहना था, “केवल कुछ ही स्वास्थ्य केन्द्रों में, कामकाज के स्थलों पर स्वास्थ्य और सुरक्षा की देखभाल करने वाले कार्यक्रम लागू थे. स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमणों और ख़स्ताहाल कामकाजी माहौल के कारण अनेक तरह की चोटों, कामकाजी हिंसा, उत्पीड़न, थकान और ऐलर्जीज़ का सामना करना पड़ा है.”
इस स्थिति का सामना करने के लिये, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने, देशों को, राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य केन्द्रों के लिये, नए दिशा निर्देश जारी किये हैं.
आई एल ओ में ‘सैक्टोरियल नीति विभाग’ की निदेशिका एलेट् वान लियोर का कहना है कि अन्य क्षेत्रों के कामगारों की ही तरह, स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को भी गरिमापूर्ण कामकाजी हालात, सुरक्षा, स्वस्थ कामकाजी माहौल, और स्वास्थ्य देखभाल, बीमारी में अवकाश और अन्य तरह की सुविधाओं के साथ सामाजिक संरक्षण मिलना चाहिये.
इन दोनों यूएन एजेंसियों के ये दिशा-निर्देश ऐसे समय में आए हैं जब हर तीन में से एक स्वास्थ्यकर्मी को, देखभाल सेवाएँ मुहैया कराने वाले स्थानों पर स्वच्छता केन्द्रों का अभाव है.
जबकि औसतन, छह में से एक से भी कम देशों में, स्वास्थ्य सैक्टर में, स्वस्थ और सुरक्षित कामकाजी माहौल मुहैया कराने के लिये, नीतियों का अभाव है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में स्वस्थ कामकाजी बल विभाग के निदेशक जेम्स कैम्पबेल का कहना है कि बीमारियों के कारण अवकाश और अत्यधिक थकान के कारण, स्वास्थ्य सैक्टर में कामकाजी बल में बहुत कमी देखी गई, जिससे कामकाजी बल की संख्या कम होने की पहले से मौजूद समस्या में बढ़ोत्तरी हुई.
इससे स्वास्थ्य संकटों के दौरान बढ़ती मांग को देखते हुए, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की क्षमताओं पर असर पड़ा.
इन दिशा निर्देशों में ये सिफ़ारिशें प्रस्तुत की गई हैं कि अनुभवों से कैसे सीखा जाए और किस तरह स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर हिफ़ाज़त मुहैया कराई जाए.