म्याँमार: स्थानीय जनता के लिये, 2022 में 'अभूतपू्र्व' संकट पैदा होने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र का एक विश्लेषण दर्शाता है कि म्याँमार की जनता के लिये, वर्ष 2022 में एक अभूतपूर्व राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक, मानवाधिकार व मानवीय संकट पैदा हो सकता है. यूएन के मुताबिक़, कोविड-19 की गम्भीर तीसरी लहर और सैन्त तख़्तापलट के बाद से ज़रूरतमन्दों की संख्या बढ़ी है.
मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) ने शुक्रवार को मानवीय आवश्यकताओं की समीक्षा के सम्बन्ध में एक अपडेट प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक़, म्याँमार में जारी संकट की वजह से, देश की लगभग आधी आबादी पर वर्ष 2022 में निर्धनता के गर्त में धँसने का जोखिम मंडरा रहा है.
इससे, 2005 के बाद म्याँमार में दर्ज की गई प्रगति के लिये संकट पैदा हो रहा है.
फ़रवरी 2021 में सैन्य तख़्तापलट और लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से हटाये जाने के बाद से ही, देश में हालात बद से बदतर होते गए हैं.
एक अनुमान के अनुसार, म्याँमार के 15 में से 14 राज्यों व क्षेत्रों में कुपोषण गहरा रहा है.
अगले वर्ष के लिये, विश्लेषण दर्शाता है कि एक करोड़ 44 लाख लोगों को किसी ना किसी रूप में सहायता की आवश्यकता होगी, जोकि स्थानीय आबादी का क़रीब एक चौथाई है.
इनमें 69 लाख पुरुष, 75 लाख महिलाएँ और 50 लाख बच्चे हैं.
क़ीमतों में बढ़ोत्तरी, कोविड-19 महामारी के कारण आवाजाही पर लगाई गई पाबन्दियाँ और मौजूदा सुरक्षा हालात के मद्देनज़र, सर्वाधिक निर्बलों को अपने लिये भोजन व अन्य बुनियादी सामान का प्रबन्ध करने के लिये आपात क़दम उठाने पड़ रहे हैं.
घर-परिवार के सामान की क़ीमतों में ऊँची वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे कईं खाद्य सामग्रियाँ अब पहुँच से बाहर हो गई हैं.
कुछ फ़सलों के दाम कम मिलने, कर्ज़ की उपलब्धता सीमित होने और लागत ज़्यादा होने की वजह से कृषि आय भी प्रभावित हुई है.
जुलाई और अगस्त महीनों में मॉनसून वर्षा के कारण एक लाख 20 हज़ार लोग प्रभावित हुए हैं, फ़सलों को नुक़सान पहुँचा है और खाद्य असुरक्षा बढ़ी है.
यूएन कार्यालय ने आशंका जताई है कि वर्ष 2022 के लिये, हालात बेहद ख़राब नज़र आ रहे हैं.
बताया गया है कि राजनैतिक और सुरक्षा हालात के चिन्ताजनक बने रहने की सम्भावना है, और कोविड-19 संक्रमण की चौथी लहर भी स्थानीय आबादी को अपनी चपेट में ले सकती है.
देश में टीकाकरण की दर कम है, और कोरोनावायरस के नए वैरीएण्ट का उभरना, एक बड़ा जोखिम है.
यूएन कार्यालय के मुताबिक़, समुदायों पर दबाव लगातार बना हुआ है, जिसका देश के राजनैतिक व मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर हुआ है.
बच्चों और युवजन के मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिये इसे विशेष रूप से चिन्ताजनक बताया गया है.
मानव तस्करी का जोखिम और ऐसे मामलों में वर्ष 2021 से ही तेज़ी देखी गई है, और इसमें 2022 में भी बढ़ोत्तरी होने की आशंका है.
हिंसक संघर्ष से प्रभावित इलाक़ों में, पूर्ण समुदाय विस्थापित हुए हैं, लड़के-लड़कियों के हताहत होने, तस्करी का शिकार होने, और उनकी बाल सैनिकों के रूप में भर्ती किये जाने की आशंका बढ़ी है.
वर्ष 2020 और 2021 में एक करोड़ 20 लाख बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में व्यवधान आया था, जोकि स्कूल जाने वाली लगभग पूरी आबादी है.
देश में स्कूल खुलना शुरू हुए हैं, मगर अभी बड़ी संख्या में बच्चों के लिये, कक्षाओं में पूर्ण रूप से पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत कर पाने की सम्भावना कम ही है.