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म्याँमार: सुरक्षा परिषद ने हमले में आम लोगों के मारे जाने की निन्दा की

म्याँमार के यंगून शहर में, एक मन्दिर में लोग प्रार्थना करते हुए
Unsplash/Matteo Massimi
म्याँमार के यंगून शहर में, एक मन्दिर में लोग प्रार्थना करते हुए

म्याँमार: सुरक्षा परिषद ने हमले में आम लोगों के मारे जाने की निन्दा की

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने म्याँमार के कायाह प्रान्त में हमले में कम से कम 35 लोगों के मारे जाने की निन्दा करते हुए कहा है कि इस घटना के दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी. मृतकों में चार बच्चे, और ‘सेव द चिल्ड्रन’ नामक संगठन के दो कर्मचारी भी हैं.   

सुरक्षा परिषद ने एक वक्तव्य जारी किया है जिसमें म्याँमार में सभी प्रकार की हिंसा पर तत्काल रोक लगाये जाने का आग्रह किया गया है.

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विश्वसनीय रिपोर्टों के अनुसार, 24 दिसम्बर को हुई इस घटना में चार बच्चे भी मारे गए हैं, जिनमें दो 17 वर्षीय लड़के, एक किशोर उम्र की लड़की और एक पाँच वर्षीय बच्चा है.

दो मृतक मानवीय राहतकर्मी, ग़ैरसरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन’ के कर्मचारी थे, और संगठन ने उनके मारे जाने की पुष्टि कर दी है.

बताया गया है कि ये कर्मचारी नज़दीक के एक समुदाय में मानवीय राहत आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, लोइचा स्थित अपने कार्यालय वापिस जा रहे थे, उसी दौरान यह घटना हुई.

सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने मानवाधिकारों का सम्मान और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की अहमियत पर बल दिया है.

परिषद के मुताबिक़, सभी ज़रूरतमन्दों तक सुरक्षित व निर्बाध ढँग से मानवीय राहत पहुँचाये जाने के रास्ते खुले रखने ज़रूरी हैं.

परिषद ने कहा है कि मानवीय राहतकर्मियों और चिकित्साकर्मियों के संरक्षण व उनकी पूर्ण सुरक्षा का ख़याल रखा जाना होगा.  

आमजन की सुरक्षा

सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने म्याँमार की जनता के लिये अपने समर्थन को दोहराया है. 

साथ ही, म्याँमार के लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने और देश की सम्प्रभुता, राजनैतिक स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखण्डता और एकता के लिये अपना मज़बूत संकल्प व्यक्त किया है.

इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) में पूर्व एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिये निदेशक डेबरा कोमिनी ने एक वक्तव्य जारी कर इस ‘स्तब्धकारी’ हमले की निन्दा की.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि हिंसक संघर्ष के दौरान आमजन, विशेष रूप से बच्चों व मानवीय राहतकर्मियों की रक्षा को प्राथमिकता के तौर पर लिया जाना चाहिये.

इन दायित्वों का निर्वहन, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और बाल अधिकार सन्धि के अनुरूप किया जाना होगा.