माली: हमले में 30 आम नागरिकों के मारे जाने की कठोर निन्दा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने माली के केन्द्रीय इलाक़े में स्थित सोंघो गाँव में, 3 दिसम्बर को आम लोगों पर किये गए हमले की कड़े शब्दों में निन्दा की है. इस हमले में कम से कम 30 लोगों की मौत हुई है और अनेक अन्य घायल हुए हैं.
हताहतों में महिलाएँ व बच्चे भी हैं.
सशस्त्र तत्वों द्वारा यह हमला, माली के केन्द्रीय इलाक़े में सोंघों - बान्दियागारा सड़क पर उस समय किया गया, जब लोग वाहन में सवार होकर एक साप्ताहिक बाज़ार की ओर जा रहे थे.
The Secretary-General strongly condemns the attack perpetrated against civilians in central Mali on Friday, during which at least 30 civilians were killed and several wounded. @UN_MINUSMA has dispatched peacekeepers to the area. Full statement👇https://t.co/wmEvfxLf8N
UN_Spokesperson
यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने रविवार शाम, महासचिव की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें ऐसे हमलों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन बताया गया है.
“नागरिक आबादी के विरुद्ध जानबूझकर किये गए ये हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का गम्भीर हनन दर्शाते हैं.”
माली में यूएन शान्तरक्षा मिशन – MINUSMA ने प्रभावित इलाक़े में शान्तिरक्षकों की एक टीम रवाना की है.
यूएन मिशन ने भरोसा दिलाया है कि इन अपराधों के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये, माली प्रशासन की हरसम्भव मदद की जाएगी.
यूएन प्रमुख ने पीड़ित परिवारों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.
यूएन महासचिव ने माली की जनता व सरकार के साथ एकजुटता दर्शाई है और उनके लिये समर्थन जारी रखने की बात दोहराई है.
इसके तहत, MINUSMA की क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि माली में आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और क्षेत्र में स्थिरता क़ायम करने के लिये, सरकारी रणनीति को समर्थन दिया जा सके.
माली में यूएन शान्तरक्षा मिशन – MINUSMA ने, देश में, एक सैनिक विद्रोह और उत्तरी क्षेत्र पर इस्लामी विद्रोहियों का क़ब्ज़ा होने के बाद, अपना काम 2013 में शुरू किया था.
ये शान्तिरक्षा मिशन 2015 में, माली सरकार और दो सशस्त्र गुटों के बीच हुए शान्ति समझौते को लागू करवाने में मदद कर रहा है.
माली में यूएन शान्तिरक्षा मिशन को, बेहद ख़तरनाक यूएन अभियानों गिना जाता है.