वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
अफ़ग़ानिस्तान के परवान प्रान्त में एक स्वास्थ्यकर्मी एक बच्चे की स्वास्थ्य जाँच करते हुए. (नवम्बर 2020)

अफ़ग़ान स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन मिलने से भरोसे का पैग़ाम

© WFP/Massoud Hossaini
अफ़ग़ानिस्तान के परवान प्रान्त में एक स्वास्थ्यकर्मी एक बच्चे की स्वास्थ्य जाँच करते हुए. (नवम्बर 2020)

अफ़ग़ान स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन मिलने से भरोसे का पैग़ाम

मानवीय सहायता

अफ़ग़ानिस्तान में इस वर्ष जब अगस्त के मध्य में तालेबान में सत्ता पर नियंत्रण कर लिया था तो देश के लगभग केन्द्र में स्थित, 35 हज़ार की आबादी वाले शहर मैदान शर के मुख्य अस्पताल के ज़्यादातर कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला था. दवाइयों और खाद्य सामग्री जैसी ज़रूरी चीज़ों की भी कमी थी और वो बहुत जल्दी से ख़त्म होने के कगार पर थीं.

देश को मिलने वाली अन्तरराष्ट्रीय सहायता पर भी उस समय लगभग पूरा विराम लग गया था, और ऐसा बिल्कुल निश्चित लगने लगा था कि अशान्ति से भरे इस पूरे देश में जीवनरक्षक सुविधाओं में काम कर रहे तमाम स्वास्थ्यकर्मियों, और जिनकी सेवा में वो लगे थे, उन सभी के हालात और बदतर ही होने वाले हैं.

लेकिन तब एक दाई ने यूएन न्यूज़ के साथ अपनी आपबीती बताते हुए याद किया कि किस तरह मदद आनी शुरू हुई. और ये मुमकिन हुआ, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा शुरू किये गए एक सहायता कार्यक्रम की बदौलत. 

परिवारों के लिये जीवन रेखा

यूएनडीपी ने पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान वैश्विक कोष के साथ एक समझौते के तहत, अफ़ग़ानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था और उस पर निर्भर परिवारों के जीवन में, ख़ामोशी के साथ प्राण फूँके हैं. यूएन विकास एजेंसी ने, देश के समूचे स्वास्थ्य क्षेत्र को, लगभग डेढ़ करोड़ डॉलर की राशि मुहैया कराकर ये काम किया है.

उस दाई का कहना था, “हम बहुत ही नाज़ुक हालात वाले मरीज़ों की ज़िन्दगियाँ बचाने में कामयाब हो सके, और हम 500 से भी ज़्यादा महिलाओं और बच्चों के लिये, स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने में मदद कर सके.”

देश में पहले ही मौसम, गर्मी से कँपकपा देने वाली सर्दियों में दाख़िल हो चुका है तो उस दाई ने, ख़ुद को मिले वेतन का कुछ हिस्सा, अपने परिवार को सुरक्षित रखने की ख़ातिर कम्बल वग़ैरा और कुछ अन्य सामग्री ख़रीदन पर ख़र्च किया.

अफ़ग़ानिस्तान के दाईकुण्डी में, एक पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक बच्चे की स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करते हुए एक दाई.
© UNFPA Afghanistan
अफ़ग़ानिस्तान के दाईकुण्डी में, एक पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक बच्चे की स्वास्थ्य जाँच-पड़ताल करते हुए एक दाई.

ये दाई, उन लगभग 23 हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों में से एक है जो देश भर के 31 प्रान्तों में, 2200 स्वास्थ्य सेवाओं में काम करते हैं, और जिन्हें यूएनडीपी की योजना लागू होने के बाद से वेतन मिलना शुरू हुआ है. यूएन विकास एजेंसी ने, दवाइयों और अन्य स्वास्थ्य सामग्री की उपलब्धता के लिये भी धन अदा किया है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की उप रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर सुरायो बुज़ुरूकोवा ने यूएन न्यूज़ को बताया कि यूएनडीपी ने यह विशालकाय ज़िम्मेदारी, देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बिखरने से बचाने के लिये स्वीकार की है.

उनका कहना था, “ज़ाहिर है कि इससे सारी समस्याएँ नहीं सुलझ जाएंगी; मगर हम एक अस्थाई समाधान तो मुहैया करा रहे हैं. इससे मदद भी मिल रही है. हम अफ़ग़ान लोगों को उम्मीद का एक पैग़ाम भेज रहे हैं कि अभी सबकुछ ख़त्म नहीं हुआ है, और उन्हें भुलाया नहीं गया है.”

जटिल वास्तविकताएँ

यूएनडीपी के अनुसार, ये योजना, स्वास्थ्य सैक्टर के लिये अति महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता पैकेज का प्रतिनिधित्व करती है. इस योजना के तहत धनराशि मुहैया कराए जाने से पहले तक, इनमें से केवल 20 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाएँ ही पूरी तरह से काम कर रही थीं.

सुरायो बुज़ुरूकोवा ने बताया कि जिन तमाम स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन का भुगतान किया गया है उनकी निशानदेही, 16 सिविल सोसायटी संगठनों ने की थी जो, विश्व बैंक की परियोजना – सेहतमन्दी में योगदान करते हैं.

90 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों को, वेतन का भुगतान, सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है. दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाले अक्सर कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके बैंक खाते नहीं थे, तो उन्हें नक़दी में भुगतान किया गया. 

काम जारी है

अफ़ग़ानिस्तान में बेहद नाज़ुक हालात में रह रहे लाखों-करोड़ों लोग, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच ख़त्म होने के जोखिम का सामना कर रहे हैं, और एजेंसी को उम्मीद है कि अन्य सहायता एजेंसियाँ भी, संकटग्रस्त देश में, स्वास्थ्य अभियानों को जारी रखने में नवाचारी रुख़ के ज़रिये मदद करेंगी.

सुरायो बुज़ुरूकोवा ने बताया कि यूएनडीपी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनीसेफ़ के साथ निकट सम्पर्क में है.

समाधान

अफ़ग़ानिस्तान में, लगातार सूखा पड़ने के कारण भी निर्धनता के हालात और बदतर हुए हैं.
© FAO/Alessio Romenzi
अफ़ग़ानिस्तान में, लगातार सूखा पड़ने के कारण भी निर्धनता के हालात और बदतर हुए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के लिये, विदेशी सहायता अचानक रोक दिये जाने से, पूरी अर्थव्यवस्था के लिये जोखिम उत्पन्न हो गया है, मगर सहायता देने वाले बहुत से अन्तरराष्ट्रीय संगठन और देश, तालेबान के साथ काम करने के लिये इच्छुक नहीं हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अक्टूबर में ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से ऐसे रास्ते तलाश करने का आग्रह किया था जिनसे अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था, फिर से साँस लेना शुरू कर दे. उन्होंने भरोसा जताया था कि ऐसा, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किये बिना और सिद्धान्तों की अहमियत कम किये बिना किया जा सकेगा.

उन्होंने कहा था, “हमें ऐसे हालात बनाने के रास्ते तलाश करने होंगे जिनके ज़रिये अफ़ग़ान पेशेवर लोग और सिविल सेवक, देश की जनता की सेवा करते रहने का काम जारी रख सकें.”

सुरायो बुज़ुरूकोवा ने कहा है कि अब यूएनडीपी की सहायता योजना ने एक ऐसा ही रचनात्मक समाधान मुहैया कराया है, ये अलबत्ता एक अस्थाई समाधान है.

उन्होंने बताया, “हम सत्ता पर क़ाबिज़ प्राधिकारियों के साथ कोई काम नहीं कर रहे हैं जिन्हें अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की मान्यता नहीं है. हम कोई भी वित्तीय मदद, सीधे तौर पर डॉक्टरों को और नर्सों को, मुहैया करा रहे हैं, जो सीधे तौर पर लोगों की मदद कर रहे हैं.”

एक नया कल

उप प्रतिनिधि सुरायो बुज़ुरूकोवा ने हाल ही में देश के चौथे सबसे बड़े हर मज़ारे शरीफ़ का दौरा किया है, जहाँ उन्होंने इस नए सहायता कार्यक्रम का असर ख़ुद, अस्पतालों में देखा है. उन्होंने ख़ासतौर से महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बातचीत की है.

उनका कहना था, “ये देखना सचमुच बहुत अच्छा था कि महिलाएँ अपना कामकाज जारी रखे हुए हैं.”

सत्ता पर तालेबान का नियंत्रण स्थापित हो जाने के बाद, देश में, संयुक्त राष्ट्र के लिये, महिलाओं के अधिकार एक बड़ी चिन्ता का कारण रहे हैं, मगर सुरायो बुज़ुरूकोवा भविष्य के लिये पुरउम्मीद नज़र आती हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएनडीपी की उप रैज़िडैण्ट प्रतिनिधि - सुरायो बुज़ुरूकोवा
UNDP
अफ़ग़ानिस्तान में यूएनडीपी की उप रैज़िडैण्ट प्रतिनिधि - सुरायो बुज़ुरूकोवा

मज़ारे शरीफ़ का उनक दौरा, 15 अगस्त के बाद से उनकी अनेक यात्राओं का एक हिस्सा है जो उन्होंने अनेक स्थानों पर की हैं. और और वो बताती हैं कि इन यात्राओं के दौरान उन्होंने राहगीरों से बातचीत की, लोगों के घरों में दाख़िल हुईं, परिवारों से मुलाक़ातें कीं - युवाओं और बुज़ुर्गों, सभी से.

वो याद करते हुए कहती हैं, “मैं उनकी मज़बूती और हिम्मत देखकर वाक़ई प्रभावित हुई. भविष्य में एक भरोसा नज़र आता है कि वो चुनौतियों पर पार पा लेंगे, एक अच्छा कल आएगा, शायद जल्दी नहीं, मगर आएगा ज़रूर.”

मानवीय संकट

40 वर्षों से जारी युद्ध, बार-बार आती प्राकृतिक आपदाओं, लगातार जारी ग़रीबी, सूखे और कोविड-19 ने, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को तबाह करके रख दिया है.

संघर्ष में मौजूदा सघनता और ज़रूरतों में तेज़ी से उछाल ने, पहले से ही जारी अत्यन्त जटिल परिस्थितियों को और बदतर बना दिया है.

15 अगस्त से पहले भी, अफ़ानिस्तान में मानवीय स्थिति, दुनिया भर में सबसे बदतरीन हालात में शामिल थी. इस वर्ष का आधा हिस्सा गुज़रने के समय तक, देश की लगभग आधी आबादी यानि क़रीब एक करोड़ 84 लाख लोग, पहले ही, मानवीय सहायता, संरक्षण व सुरक्षा के ज़रूरतमन्द बन गए थे.

यूएन महासचिव ने अफ़ग़ानिस्तान में अकाल और बीमारियों को टालने के लिये, सितम्बर में जारी औचक अपील में, 60 करोड़ 60 लाख डॉलर की धनराशि एकत्र किये जाने की पुकार लगाई थी. इस अपील के तहत, अभी तक केवल 54 प्रतिशत रक़म ही इकट्ठी हुई है.