पिछले सात वर्ष, सर्वाधिक गर्म साल साबित होने की राह पर - WMO
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने आगाह किया है कि वायुमण्डल में ग्रीनहाउस गैसों की रिकॉर्ड स्तर पर सघनता ने, दुनिया को अनिश्चितता भरे हालात की ओर धकेल दिया है. यूएन एजेंसी की नई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात वर्ष, अब तक के सर्वाधिक गर्म साल साबित होने के रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की यह रिपोर्ट, स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) की शुरुआत के साथ ही जारी की गई है. यह सम्मेलन 31 अक्टूबर से 12 नवम्बर तक होगा.
मौसम विज्ञान एजेंसी ने अपनी अन्तरिम ‘WMO State of the Global Climate 2021’ रिपोर्ट में सचेत किया है कि ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के रुझानों से मौजूदा व भावी पीढ़ियों के दीर्घकालीन दुष्प्रभाव होंगे.
Record greenhouse gas concentrations and accumulated heat have propelled the planet into uncharted territory, with far-reaching repercussions for current and future generations.Extreme events are becoming the new norm: WMO #StateofClimate 2021#COP26 pic.twitter.com/y8KiuUq1rd
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ये निष्कर्ष, वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों के आँकड़ों के आधार पर जारी किये गए हैं.
साल के शुरू में “La Niña” का अस्थाई तौर पर शीतलन प्रभाव रहा है जिस वजह से, 2021, रिकॉर्ड पर पाँचवे से सातवाँ सबसे गर्म साल होने की सम्भावना है.
ये रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, राष्ट्रीय मौसम विज्ञान विभागों, जलविद्युत सेवाओं व वैज्ञानिक विशेषज्ञों के सहयोग से तैयार की गई है.
रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि के इस स्तर से खाद्य सुरक्षा, आबादी विस्थापन, पारिस्थितिकी तंत्रों पर विनाशकारी असर होने की आशंका है और टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा की दिशा में प्रगति सुस्त हो जाएगी.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने एक वीडियो सन्देश में चिन्ता जताई है कि रिपोर्ट वैज्ञानिक तथ्यों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताती है कि पृथ्वी हमारी आँखों के सामने ही बदल रही है.
“महासागर की गहराईयों से लेकर पर्वतों की चोटियों तक, पिघलते हुए ग्लेशियर से अनवरत चरम मौसम घटनाओं तक, विश्व भर में पारिस्थितिकी तंत्र और समुदाय तबाह हो रहे हैं.”
“कॉप26 को आमजन व पृथ्वी के लिये एक नया मोड़ साबित होना होगा.”
वैश्विक समुद्री जलस्तर में, 2013 से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है और यह ऊँचे स्तर पर है, जबकि महासागरों का तापमान व महासागरीय अम्लीकरण भी बढ़ा है.
वर्ष 2021 के लिये, जनवरी से सितम्बर तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार वैश्विक औसत तापमान को 1850-1900 के औसत से 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक आँका गया है.
पृथ्वी प्रणाली के 90 फ़ीसदी ताप का भण्डारण, महासागरों में होता है.
आँकड़े स्पष्टता से दर्शाते हैं कि महासागरों के गर्म होने की दर में, पिछले दो दशकों में विशेष रूप से तेज़ी आई है और यह रुझान भविष्य में भी जारी रहने की सम्भावना है.
समुद्री जलस्तर में औसत बढ़ोत्तरी, वर्ष 1993 से 2002 तक 2.1 मिलीमीटर प्रतिवर्ष थी, मगर 2013 से 2021 के बीच यह 4.4 मिलीमीटर प्रतिवर्ष मापी गई है.
चरम मौसम की घटनाएँ
रिपोर्ट में पिछले वर्ष की कुछ चरम मौसम घटनाओं का भी उल्लेख किया गया है. बताया गया है कि ग्रीनलैण्ड में जमे हुए पानी की चादर की चोटी पर पहली बार, बर्फ़बारी के बजाय बारिश हुई.
कैनेडा में ग्लेशियर तेज़ी से पिघले हैं. अमेरिका व कैनेडा के कुछ हिस्सों में ताप लहरों की वजह से ब्रिटिश कोलम्बिया के एक गाँव में तापमान क़रीब 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है.
अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया प्रान्त की डेथ वैली में 54.4 डिग्री तापमान दर्ज किया गया.
भूमध्यसागर क्षेत्र के अनेक हिस्सों में भी रिकॉर्ड तापमान का अनुभव किया गया है और झुलसा देने वाली गर्मी के साथ-साथ जंगलों में अक्सर विनाशकारी आग का भी सामना करना पड़ा.
चीन और योरोप के कुछ हिस्सों में महीने भर की वर्षा, कुछ ही घण्टों में हो गई जिससे स्थानीय आबादी को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है.
बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और अरबों डॉलर का आर्थिक नुक़सान हुआ है.
एक अनुमान के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों की सघनता में वृद्धि की मौजूदा दर से, इस सदी के अन्त तक वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी, पैरिस जलवायु समझौते में उल्लेखित 1.5 डिग्री या 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से कहीं अधिक होगी.