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शान्ति प्रक्रियाओं में महिला नेतृत्व व उनकी सार्थक भागीदारी पर बल

यमन में एक युवा फ़ाउण्डेशन की सह-संस्थापक ओला अलघबरी, महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत हैं.
Heba Naji
यमन में एक युवा फ़ाउण्डेशन की सह-संस्थापक ओला अलघबरी, महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत हैं.

शान्ति प्रक्रियाओं में महिला नेतृत्व व उनकी सार्थक भागीदारी पर बल

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा है कि विश्व की आधी आबादी को, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा विषयों से दूर नहीं रखा जा सकता. यूएन प्रमुख ने उन चुनौतियों से निपटने व खाईयों को पाटने पर ज़ोर दिया है, जो महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ को बराबरी देने से रोकती हैं.

महासचिव गुटेरेश ने महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा पर ऐतिहासिक, ‘प्रस्ताव 1325’ के विषय में आयोजित बैठक के दौरान ध्यान दिलाया कि “आज महिलाओं का नेतृत्व एक मुहिम है. कल, इसे मानक होना होगा.” 

इस प्रस्ताव में हिंसक संघर्ष की रोकथाम व निपटारे, शान्ति वार्ता, शान्ति निर्माण, शान्तिरक्षा, मानवीय कार्रवाई और हिंसक संघर्ष के बाद के हालात में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया है. 

प्रस्ताव में, शान्ति व सुरक्षा को बनाये रखने व उसे बढ़ावा देने के सभी प्रयासों में महिलाओं की समान व पूर्ण भागीदारों पर बल दिया गया है 

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साथ ही, सशस्त्र संघर्ष के दौरान,सभी पक्षों से, महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों के संरक्षण और लिंग आधारित हिंसा से उनकी रक्षा के उपाय किये जाने का आहवान किया गया है. 

महासचिव ने कहा कि महिलाएँ शान्ति निर्माता, बदलाव की वाहक और मानवाधिकार नेता हैं. 

उन्होंने हथियारबन्द गुटों के साथ वार्ता व मध्यस्थता, शान्ति समझौतों को लागू कराने, शान्तिपूर्ण ढँग से बदलाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाने और अपने समुदायों में महिलाधिकारों व सामाजिक जुड़ाव के लिये उनके कामकाज को रेखांकित किया. 

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि इसके बावजूद, महिलाओं की मौजूदगी, शान्ति प्रक्रिया की परिधि तक ही हैं, और अक्सर उन्हें ऐसे कक्षों से दूर रखा जाता है जहाँ निर्णय-निर्धारण होता है.  

उन्होंने हिंसा व स्त्री-विरोधी घटनाओं के बढ़ते मामलों का उल्लेख करते हुए क्षोभ ज़ाहिर किया कि मौजूदा विषमताओं में, महिलाओं व पुरुषों के बीच शक्ति असन्तुलन, सबसे अधिक हठीला है.  

“हमें पलट कर विरोध करने और हर महिला व लड़की के लिये समय को आगे ले जाने की ज़रूरत है.” 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि मानवाधिकारों पर हमारे साझा एजेण्डा और कार्रवाई की पुकार में इसी संकल्प का खाका पेश किया गया है. 

“संयुक्त राष्ट्र की शान्ति गतिविधियों के हर पहलू में, महिलाओं के प्रतिनिधित्व व नेतृत्व में वृद्धि, हमारे शासनदेश को पूरा करने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और उन समुदायों को बेहतर प्रतिनिधित्व देने के नज़रिये से अहम है, जिनके लिये हम सेवारत हैं.”

महिला अधिकारों को बढ़ावा

महासचिव ने स्पष्ट किया कि साझीदारियों, संरक्षण व भागीदारी के लिये सुरक्षा परिषद के सहयोग की आवश्यकता है. 

उन्होंने कहा कि शान्ति व राजनैतिक प्रक्रियाओं में अर्थपूर्ण भागीदारी के लिये, महिला नेताओं और उनके नैटवर्क को समर्थन दिया जाना होगा.  

दूसरा, आवश्यक कार्य को पूरा करने में जुटी महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा की जानी होगी. 

साथ ही, शान्ति वार्ता, शान्ति निर्माण और राजनैतिक प्रणालियों में महिलाओं के पूर्ण, समान व अर्थपूर्ण भागीदारी को समर्थन दिया जाना होगा. 

यूएन प्रमुख ने भरोसा दिलाया कि यूएन, शान्ति स्थापित करने की प्रक्रिया को वास्तविक मायनों में समावेशी बनाने के लिये, दोगुने प्रयास करेगा और महिलाओं की भागीदारी और अधिकारों को, संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के केंद्र में रखा जाएगा. 

उन्होंने कहा कि शान्ति निर्माण का सर्वोत्तम रास्ता समावेशन के ज़रिये है, और महिला शान्तिरक्षकों के साहस व संकल्प के सम्मान के लिये, हमें उनकी अर्थपूर्ण भागीदारी के दरवाज़े खोलने होंगे. 

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन को समाप्त करते हुए महिला अधिकारों पर समय को आगे ले जाने और शान्ति निर्माण के लिये आधी आबादी को अवसर दिये जाने का आहवान किया. 

महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत यूएन संस्था (UN Women) की कार्यकारी निदेशक सीमा बाहुस ने देशों की सरकारों व सुरक्षा परिषद से, शान्ति व सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिये प्रयासों में मज़बूती लाने की अपील की.

ठोस बदलाव का समय

उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं व लड़कियों की ज़िन्दगियों में ठोस बदलाव लाने में मदद मिलेगी. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने सचेत किया कि बहुत लम्बे समय से हिंसा ने महिलाओं व उनके अधिकारों को निशाना बनाया है, और वे ऐसे इलाक़ों में अब भी हाशिएकरण और बहिष्करण का शिकार हैं, जहाँ वे बदलाव ला सकती हैं.  

उन्होंने बताया कि मूल प्रस्ताव के पारित होने के परिणामस्वरूप, आशा की एक किरण दिखाई दी थी, यह पर्याप्त तो नहीं है, मगर महिला समानता के लिये लड़ाई में इसका उपयोग किया जाना होगा.  

कार्यकारी निदेशक सीमा बाहुस ने क्षोभ ज़ाहिर किया कि सैन्य मद में विशाल व्यय और अन्य क्षेत्रों में सीमित निवेश होते देखना कड़वा अनुभव है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने सैन्य ख़र्च में कटौती किये जाने की पैरवी करते हुए, आशा ज़ाहिर की है कि महिला अधिकारों सहित अन्य प्राथमिकताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर तात्कालिक कार्रवाई की अहमियत को समझा जाएगा. 

उन्होंने कहा कि भागीदारी बढ़ाकर, और हिंसक संघर्ष के बाद की स्थिति में, हथियारों की बिक्री पर रोक लगाकर, हालात को फिर से पहले जैसी स्थिति में लौटने से रोका जा सकता है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान का उल्लेख करते हुए, संयुक्त राष्ट्र के साथ रचनात्मक सहयोग करने वाली महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया. 

इनमें से कुछ महिलाओं का जीवन अब जोखिम में है, जिसके मद्देनज़र, शरण की तलाश कर रही महिलाओं के लिये दरवाज़े खोले जाने का आहवान किया गया है.