यूक्रेन युद्ध: महिलाओं व बच्चों पर गहरा असर, यौन हिंसा व तस्करी का जोखिम
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक में सदस्य देशों को आगाह किया है कि यूक्रेन में पिछले छह हफ़्तों से अधिक समय से जारी युद्ध का महिलाओं और लड़कियों पर भीषण असर हुआ है और एक पीढ़ी के बर्बाद हो जाने का जोखिम है.
"What we have seen here is a very dignified reception of mostly women and children.UN Women is supporting this effort here."@unwomenchief visits the Palanca border in Moldova, where many refugees from #Ukraine are being welcomed. pic.twitter.com/AGzyZWBfhf
UN_Women
महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत यूएन संस्था (UN Women) की कार्यकारी निदेशक सीमा बाहउस हाल ही में मोल्दोवा की यात्रा से लौटी हैं, जहाँ उन्होंने “यूक्रेन में नासमझी भरे युद्ध के दुष्परिणामों का अनुभव किया.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने सुरक्षा परिषद कौ बताया कि उन्होंने ऐसी महिलाओं और बच्चों से भरी बसें आती देखीं, जो सीमा चौकी पर पहुँचने के बाद यात्रा के कारण थक कर चूर थे और डरे हुए थे.
यूक्रेन में हिंसाग्रस्त इलाक़ों से जान बचाकर आने वाले लोगों के लिये मोल्दोवा ने अपनी सीमाएँ व दरवाज़ें खोले हैं, और 95 हज़ार यूक्रेनी नागरिकों को शरण दी गई है.
उन्होंने कहा कि युवतियों को अपना घर रात में छोड़ने, परिवार से अलग होने के लिये मजबूर होना पड़ा और भविष्य के प्रति निरन्तर भय सता रहा है. इस आघात से एक पूरी पीढ़ी के बर्बाद हो जाने का जोखिम है.
यूएन महिला संस्था अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर यूक्रेन संकट को लैंगिक परिप्रेक्ष्य से परखते हुए, लैंगिक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए क़दम उठा रही है.
इनमें संरक्षण-केन्द्रित सेवाएँ उपलब्ध कराना, आघात सम्बन्धी और मनोसामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करना है. मगर, उन्होंने ध्यान दिलाया कि समर्थन प्रयास जारी रखने होंगे, मगर शान्ति की दिशा में बढ़ना अहम होगा.
यौन हिंसा
यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने बलात्कार और यौन हिंसा के कथित मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे आरोपों की अलग से स्वतंत्र जाँच कराए जाने की ज़रूरत है ताकि निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने संकट और अधिक गहराने की स्थिति में मानव तस्करी का जोखिम बढ़ने के प्रति भी चिन्ता जताई, जिसमें युवा महिलाओं और परिवार से अलग हो गए या अकेले रह रहे किशोरों को अधिक ख़तरा है.
सीमा बाहउस ने ज़ोर देकर कहा कि इन भयावह मुश्किलों के बावजूद, यूक्रेनी महिलाएँ अपने समुदायों की सेवा और नेतृत्व कर रही हैं और घरेलू विस्थापितों को सहारा दे रही हैं.
बताया गया है कि यूक्रेन में कुल संख्य़ा का 80 फ़ीसदी स्वास्थ्यकर्मी और सामाजिक देखभालकर्मी महिलाएँ हैं और उन्होंने वहाँ से ना जाने का निर्णय लिया है.
कार्यकारी निदेशक ने बताया कि यूक्रेन में महिला संगठनों ने अपना कामकाज नहीं रोका है, बल्कि स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने कार्य में बदलाव किया है, जबकि उनके जीवन के लिये बड़ा ख़तरा है.
समाधान प्रयास
उन्होंने कहा कि युद्ध ने लिंग-आधारित भिन्नताओं को स्पष्टता से सामना रखा है, विशेष रूप मौजूदा वार्ता प्रयासों में मोटे तौर पर महिलाओं की अनुपस्थिति.
सीमा बाहउस ने सचेत किया किया कि महिलाएँ इस संकट के समाधान का हिस्सा होना और संकट को ख़त्म करना चाहती हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अनुभव दर्शाता है कि महिलाओं की भागीदारी से पुनर्बहाली और प्रतिक्रिया उपाय अधिक कारगर व टिकाऊ साबित होते हैं.
इसके मद्देनज़र, यह ज़रूरी है कि मौजूदा संकट से निपटने के लिये कार्रवाई में महिला संगठनों से विचार-विमर्श और उन्हें उपायों में शामिल किया जाए.
बच्चों के लिये संकट
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) में आपात कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक मैनएल फ़ोण्टेन ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि मारियुपोल और ख़ेरसॉन जैसे शहरों में जल व अन्य बुनियादी सेवाओं की क़िल्लत से बच्चों पर गहरा असर हुआ है.
देश भर में 32 लाख बच्चों में से आधी से ज़्यादा आबादी के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं है, जबकि जल व ऊर्जा सम्बन्धी बुनियादी ढाँचों पर हमलों से 14 लाख लोगों को आपूर्ति नहीं मिल पा रही है. 46 लाख अन्य लोगों को सीमित सुलभता ही प्राप्त है.
24 फ़रवरी को रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद चार हज़ार 335 यूक्रेनी नागरिकों के हताहत होने की ख़बरें हैं, जिनमें कम से कम एक हज़ार 842 लोगों की मौत हुई है.
रविवार तक प्राप्त सूचना के अनुसार, 142 बच्चों की मौत हुई है और 229 घायल हुए हैं. मृतकों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.
सैकड़ों स्कूलों और शिक्षण केंद्रों पर हमले किए गए हैं या पिर उनका सैन्य उद्देश्यों के लिये इस्तेमाल किया गया है.
युद्ध की शुरुआत से अब तक लगभग दो-तिहाई यूक्रेनी बच्चे विस्थापन का शिकार हुए हैं.
मौजूदा हालात के मद्देनज़र, यूनीसेफ़ और अन्य साझीदार संगठन यूक्रेन के भीतर और बाहर महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य, अधिकारों और गरिमा की निगरानी कर रहे हैं, चूँकि शोषण व दुर्व्यवहार का ख़तरा बढ़ रहा है.