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अफ़ग़ानिस्तान: हिंसा में आई तेज़ी चिन्ताजनक, घटनाक्रम पर नज़र

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में धूल भरी आँधी से बचने की कोशिश करता हुआ एक परिवार. देश में जारी संघर्ष में बच्चे और महिलाएँ विनाशकारी रूप से प्रभावित हुए हैं.
UNAMA/Fraidoon Poya
अफ़ग़ानिस्तान के हेरात में धूल भरी आँधी से बचने की कोशिश करता हुआ एक परिवार. देश में जारी संघर्ष में बच्चे और महिलाएँ विनाशकारी रूप से प्रभावित हुए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान: हिंसा में आई तेज़ी चिन्ताजनक, घटनाक्रम पर नज़र

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा में आई तेज़ी और प्रान्तीय राजधानियों पर तालेबान के बढ़ते दबदबे के बीच, देश में मौजूदा घटनाक्रम पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि महासचिव हालात पर नज़र रखे हुए हैं और लड़ाई के शहरी इलाक़ों में पहुँचने से विशेष रूप से चिन्ता है.

ये वो इलाक़े हैं जहाँ आम नागरिकों के हताहत होने की आशंका सबसे अधिक है. 

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तालेबान का शासन अफ़ग़ानिस्तान पर वर्ष 1996 से शुरू हुआ था और फिर अमेरिका में 11 सितम्बर को हुए हमले के बाद हुई सैन्य कार्रवाई में संगठन को सत्ता से बेदख़ल कर दिया गया था. 

फ़रवरी 2020 में तालेबान और अमेरिका के बीच हुई सहमति के बाद इस वर्ष गर्मियों में अमेरिका और गठबन्धन सेनाओं की वापसी शुरू हुई है. 

मगर, स्थाई युद्धविराम की दिशा में प्रयासों के तहत क़तर की राजधानी दोहा में, अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न धड़ों के बीच शान्ति वार्ता ठप हो गई है. 

तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान की प्रान्तीय राजधानियों पर हाल के दिनों में तेज़ी से अपना नियंत्रण स्थापित किया है.

इसके मद्देनज़र, अमेरिका और ब्रिटेन ने हज़ारों सैनिक फिर अफ़ग़ानिस्तान भेजने की घोषणा की है ताकि इन देशों के दूतावास कर्मचारियों और अन्य नागरिकों को सुरक्षित ढंग से देश वापस लाया जा सके. 

मानवीय संकट 

यूएन प्रमुख ने उम्मीद जताई है कि अफ़ग़ान सरकार, तालेबान और क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय दूतों के बीच दोहा में जारी शान्ति वार्ता से हिंसक संघर्ष का समाधान सुनिश्चित किया जा सकेगा.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस मुद्दे के निपटारे में योगदान करने के लिये तैयार है. 

साथ ही ज़रूरतमन्द अफ़ग़ान नागरिकों को मानवीय सहायता पहुँचाने पर प्रयास केन्द्रित किये जा रहे हैं. 

देश में एक करोड़ 84 लाख लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और इस वर्ष हिंसा में आई तेज़ी से तीन लाख 90 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं. 

ज़रूरतमन्द लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मानवीय राहत संगठन सहायता प्रयास जारी रखे हुए हैं. 

“मैं आपको बता सकता हूँ कि हिंसक संघर्ष और अन्य ख़तरों से सुरक्षा की तलाश में, अनेक लोग काबुल और अन्य बड़े शहरों में पहुँच रहे हैं.”

विभिन्न राहत एजेंसियाँ बेहद जटिल व चुनौतीपूर्ण माहौल में विस्थापन, हिंसा, बाढ़ और संरक्षा ज़रूरतों की समीक्षा कर रही हैं ताकि ज़रूरतों व जवाबी कार्रवाई का ख़ाका तैयार किया जा सके. 

राहत प्रयास

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन के आँकड़े दर्शाते हैं कि इस वर्ष के पहले छह महीनों में, किसी अन्य अवधि की तुलना में कहीं बड़ी संख्या में महिलाएँ व बच्चे हताहत हुए हैं.

यूएन एजेंसियों ने अफ़ग़ानिस्तान में जीवनरक्षक सहायता कार्य जारी रखने का संकल्प जताया है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के मुताबिक़, कन्दाहार में महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ मज़बूती की गई हैं. 

बताया गया है कि वर्ष 2007 और 2017 के बीच, 60 फ़ीसदी से भी कम महिलाएँ, गर्भावस्था के दौरान प्रसवपूर्व देखभाल हासिल कर पा रही थीं. 

वर्ष 2013 और 2018 के दौरान 60 प्रतिशत से भी कम प्रसव मामले कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में हुए. 

जीवनरक्षक सहायता की अनुपलब्धता के कारण अफ़ग़ानिस्तान में जच्चा-बच्चा मृत्यु दर बहुत अधिक है. 

कोविड-19 महामारी के दौरान यह चुनौती और भी गहरी हुई और अब हिंसा में आई तेज़ी ने हालात को और भी विकट बना दिया है.