अफ़ग़ानिस्तान में, सघन होते संकटों में, मानवीय त्रासदी के चिन्ह
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने शुक्रवार को कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान एक ऐसे रास्ते पर है जहाँ किसी एक वर्ष के दौरान, सबसे ज़्यादा आम लोगों के हताहत होने के मामले सामने आ सकते हैं. यूएन एजेंसियों ने देश में, मौजूदा हालात और तेज़ी से बढ़ते संकटों में, एक मानवीय त्रासदी के लक्षण नज़र आने की आशंका भी व्यक्त की है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने कहा है कि देश में जैसे-जैसे लड़ाई सघन हो रही है, यूएन एजेंसी, महिलाओं व लड़कियों पर, इस लड़ाई के गम्भीर असर को लेकर, विशेष रूप में चिन्तित हैं. क्योंकि मई के आख़िरी दिनों से लेकर अब तक, देश में जो लगभग ढाई लाख लोग विस्थापित हुए हैं, उनमें क़रीब 80 प्रतिशत आबादी महिलाओं और बच्चों की है.
UN Refugee Agency latest update on Afghanistan: 400,000 civilians forcibly displaced since the start of the year. Of the almost 250,000 forced from their homes sine the end of May, most - 80% - are women and children.https://t.co/w4x0Kkysgd
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शाबिया मण्टू ने जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “ये एक चौंकाने वाला आँकड़ा है. वहाँ वास्तविकता में जो घट रहा है, उसके कारण, वहाँ की आबादी को हो रही भारी तकलीफ़ों के बारे में, हमें ख़तरे की घण्टी बजाने की ज़रूरत है.”
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय और अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन (UNAMA) ने जुलाई 2021 में, एक संयुक्त रिपोर्ट प्रकाशित की थी. उस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान हताहत महिलाओं और बच्चों की संख्या, वर्ष 2009 में रिकॉर्ड दर्ज करना शुरू किये जाने के बाद से, किसी भी वर्ष की पहली छमाही मे सबसे ज़्यादा है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रवक्ता थॉम्पसन फ़ीरी ने भी आम लोगों पर लड़ाई का भीषण असर पड़ने का भय व्यक्त करते हुए कहा है कि, ये लड़ाई, अनुमानों की तुलना में, कहीं ज़्यादा तेज़ी से सघन हुई है, और इन हालात में, एक मानवीय त्रासदी के तमाम लक्षण नज़र आते हैं.
और ज़्यादा शहरों पर क़ब्ज़ा
ताज़ा ख़बरों के अनुसार, तालेबान लड़ाकों ने शुक्रवार को, देश के दक्षिणी हिस्से में, तीन अन्य प्रान्तीय राजधानियों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, और आहिस्ता-आहिस्ता राष्ट्रीय राजधानी काबुल के चारों और अपना दबदबा बढ़ा रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान के लगभग दो तिहाई हिस्से पर, अब तक तालेबान का नियंत्रण हो चुका है, जबकि देश से, अमेरिकी और अन्तरराष्ट्रीय सेनाओं की, पूर्ण वापसी होने में अभी कुछ सप्ताह का समय बाक़ी बचा है.
अमेरिका के ताज़ा सैन्य गुप्तचर आकलन में सुझाया गया है कि अफ़ग़ान राजधानी काबुल, 30 दिनों के भीतर तालेबान के दबाव के घेरे में आ सकती है.
जैसे-जैसे लड़ाई सघन हो रही है, इस बीच हज़ारों अफ़ग़ान लोगों ने, इस डर में अपने घर छोड़ दिये हैं कि तालेबान फिर से क्रूर और दमनकारी सरकार थोपेंगे.
तालेबान ने, अफ़ग़ानिस्तान में 1990 के दशक में सरकार चलाई थी जिसे, 11 सितम्बर के हमलों के बाद, वर्ष 2001 के अन्तिम महीनों में, अफ़ग़ानिस्तान पर अमेरिका के नेतृत्व में हुए हमले के बाद बेदख़ल कर दिया गया था.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने कहा कि मानवीय सहायता कर्मी ख़ासतौर से इस बात को लेकर चिन्तित हैं कि लड़ाई, अब शहरी इलाक़ों की तरफ़ बढ़ रही है जहाँ घनी आबादी बसती है.
इस वर्ष के आरम्भ से, लगभग एक लाख 20 हज़ार अफ़ग़ान लोग, ग्रामीण इलाक़ों व प्रान्तीय राजधानियों से, राष्ट्रीय राजधानी काबुल की तरफ़ रुख़ कर चुके हैं.
बढ़ती बाल मौतें
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF के मैदानी अभियानों के मुखिया मुस्तफ़ा बेन मसूद ने, यूएन न्यूज़ को दिये एक ख़ास इण्टरव्यू में बताया कि पिछले चार सप्ताहों के दौरान, बच्चों की मौतों के मामलों में, ख़ासी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
उन्होंने कहा, “पाँच वर्ष से कम उम्र के हर दो में से एक बच्चे को अत्यन्त गम्भीर कुपोषण का सामना करना पड़ रहा है. वो बीमार पड़ जाने के जोखिम की हद तक भुखमरी से पीड़ित हैं.”
“अस्थाई शिविरों में फ़िलहाल, स्वच्छ पानी और साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था नहीं है और हमारे लिये इसका मतलब है कि हैज़ा और इसी तरह की बीमारियाँ फैलने का जोखिम है.”
मुस्तफ़ा बेन मसूद ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के कारण, हर दिन औसतन 100 लोगों की मौत हो रही है... हर दिन संक्रमण के लगभग 2000 संक्रमण मामले सामने आ रहे हैं, और ये वो मामले हैं जिनकी गिनती हो पा रही है. इसका मतलब है कि बहुत से मामले दर्ज भी नहीं हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि लड़ाई व सूखा सहित, अनेक तरह के संकट, सबसे कमज़ोर हालात वाले लोगों को ज़्यादा प्रभावित कर रहे हैं. “बम किसी को नहीं बख़्शते, वो महिलाओं, बच्चों, युवाओं... वृद्धों पर, समान रूप से ही तबाही मचाते हैं. इसका मतलब ये है कि भारी संख्या में लोग, ईरान, तुर्की और योरोप की तरफ़ जाने की कोशिश करेंगे.”