ग़ाज़ा: मानवीय राहत प्रयास जारी, मगर राजनैतिक समाधान की अब भी दरकार

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष उपसमन्वयक लिन हेस्टिन्ग्स ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा ग़ाज़ा को तात्कालिक सहायता मुहैया कराए जाने के बावजूद, इसराइल और फ़लस्तीन के बीच टकराव का राजनैतिक समाधान ढूंढे जाने की आवश्यकता है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने क्षेत्र में हालात के बारे में, बुधवार को सुरक्षा परिषद को अवगत कराते हुए, मई में 11 दिनों तक चली लड़ाई के बाद के घटनाक्रम पर जानकारी मुहैया कराई है.
उन्होंने येरूशलम से परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा, “ग़ाज़ा में हालात बेहतर बनाने के लिये ज़रूरी प्रयास तेज़ी से आगे बढ़ाने होंगे.”
“मगर, आइये, हम वृहद लक्ष्य से अपनी नज़र ना हटाएँ: इसराइली-फ़लस्तीनी टकराव को सुलझाना, क़ब्ज़े का अन्त करना और यूएन प्रस्तावों, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व द्विपक्षीय समझौतों के आधार पर दो राष्ट्र समाधान.”
विश्व बैंक और योरोपीय संघ के एक आकलन में अनुमान लगाया गया है कि हाल के दिनों में हुई लड़ाई में 29 करोड़ डॉलर से 38 करोड़ डॉलर के बीच का नुक़सान हुआ है.
“While urgent #humanitarian interventions can provide crucial relief in the short term, any sustainable future in #Gaza requires political solutions." Said Deputy Special Coordinator @LynnHastings today at the #UN Security Council. Her Full Briefing: https://t.co/fVmZY89e7C
UNSCO_MEPP
आर्थिक नुक़सान लगभग 20 करोड़ डॉलर आँका गया है.
ग़ाज़ा में सामाजिक सैक्टर पर ज़्यादा प्रभाव पड़ा है, निर्बल समुदायों के लिये सामाजिक संरक्षा चक्र कमज़ोर हुआ है और तात्कालिक व अल्प अवधि के लिये पुनर्बहाली में 48 करोड़ डॉलर से ज़्यादा ख़र्च हो सकते हैं.
मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र की रैज़ीडेण्ड कोऑर्डिनेटर लिन हेस्टिन्ग्स ने कहा कि मानवीय राहत कार्रवाई व ज़मीनी हालात को स्थिर बनाने के लिये, संयुक्त राष्ट्र के समन्वय में अन्तरराष्ट्रीय प्रयास आगे बढ़ाए जा रहे हैं.
इस क्रम में साढ़े नौ करोड़ डॉलर की धनराशि मुहैया कराए जाने का अनुरोध किया गया था, जिसमें से साढ़े चार करोड़ डॉलर जुटाए जा चुके हैं.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठन, इसराइली व फ़लस्तीनी प्रशासन, और मिस्र, क़तर व अन्य क्षेत्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर पुनर्बहाली व पुनर्निर्माण कार्यक्रम शुरू करने के लिये तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि सभी प्रकार की मानवीय राहत को निर्बाध रूप से आने देने के लिये अतिरिक्त क़दम उठाए जाने होंगे.
बताया गया है कि ग़ाज़ा में सामान की नियमित आपूर्ति के बिना जवाबी कार्रवाई पर जोखिम होगा, और आजीविका व अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा.
लिन हेस्टिन्ग्स ने ज़ोर देकर कहा कि आवाजाही को बेहतर बनाना और रास्तों की सुलभता सुनिश्चित करना, स्थिरता के नज़रिये से महत्वपूर्ण है.
उन्होंने इसराइल की सुरक्षा सम्बन्धी चिन्ताओं को माना, मगर साथ ही कहा कि ग़ाज़ा में लोगों व सामान की आवाजाही में ढिलाई देनी होगी और अन्तत: उन्हें हटाना होगा.
यूएन विशेष उप समन्वयक ने हमास व अन्य गुटों से मोर्टार व रॉकेट हमले रोकने और चरमपंथियों के जमावड़े का अन्त करने के लिये कहा है.
“ज़रूरी मानवीय हस्तक्षेपों से अल्पकाल में महत्वपूर्ण राहत प्रदान की जा सकती है, ग़ाज़ा में टिकाऊ भविष्य के लिये राजनैतिक समाधान की दरकार है.”
इस क्रम में उन्होंने ग़ाज़ा पट्टी में एक जायज़ फ़लस्तीनी सरकार की बहाली की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
उन्होंने बताया कि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) को 10 करोड़ डॉलर रक़म की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
इन हालात में, ग़ाज़ा में पाँच लाख बच्चों के लिये स्कूल फिर से खोले जाने की योजना पर असर पड़ सकता है और मानवीय व पुनर्बहाली कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं.