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केनयाई शान्तिरक्षक ‘जैण्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित

केनयाई शान्तिरक्षक स्टैपलिन न्याबोगा, दार्फ़ूर में पाकिस्तान के सैन्यकर्मियों को बुनियादी लैंगिक मुद्दों पर जानकारी दे रही हैं.
UNAMID
केनयाई शान्तिरक्षक स्टैपलिन न्याबोगा, दार्फ़ूर में पाकिस्तान के सैन्यकर्मियों को बुनियादी लैंगिक मुद्दों पर जानकारी दे रही हैं.

केनयाई शान्तिरक्षक ‘जैण्डर एडवोकेट ऑफ़ द ईयर’ पुरस्कार से सम्मानित

महिलाएँ

केनया की संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक स्टैपलिन न्याबोगा को लैंगिक अधिकारों की पैरोकारी के लिये, वर्ष 2020 के संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार (UN Military Gender Advocate of the Year) से सम्मानित किये जाने की घोषणा की गई है. 32 वर्षीया केनयाई शान्तिरक्षक ने हाल ही में सूडान के दार्फ़ूर में यूएन मिशन (UNAMID) में अपना कार्यकाल पूरा किया है, जहाँ लैंगिक मुद्दों पर उत्कृष्ट योगदान देने के लिये उन्हें चुना गया है.

यूएन शान्ति अभियानों के प्रमुखों व फ़ोर्स कमाण्डरों द्वारा नामान्कित, मेजर न्याबोगा यह सम्मान पाने वालीं, केनया की पहली शान्तिरक्षक हैं.

संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षकों के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले एक ऑनलाइन कार्यक्रम में उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.  

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मेजर न्याबोगा ने इस पुरस्कार के लिये चुने जाने पर कहा कि उन्हें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि मानवता की सेवा के लिये संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का सकारात्मक असर हुआ है और इन प्रयासों की पहचान हो रही है.  

“शान्तिरक्षा एक मानव उपक्रम है: महिलाओं व लड़कियों को हमारे प्रयासों व चिन्ताओं के केंद्र में रखने से,  आम लोगों की बेहतर सुरक्षा करने और ज़्यादा टिकाऊ शान्ति के निर्माण में मदद मिलेगी.”

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने स्टैपलिन न्याबोगा के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, “शान्ति व सुरक्षा को तभी हासिल व कायम रखा जा सकता है, जब समाज के सभी सदस्यों के पास समान अवसर, संरक्षण, संसाधनों व सेवाओं की सुलभता हो, और उनकी निर्णय-निर्धारण में हिस्सेदारी हो.”

“अपने प्रयासों के ज़रिये, मेजर न्याबोगा ने नए परिप्रेक्ष्यों को पेश किया, पूरे मिशन में महत्वपूर्ण लैंगिक आयामों के प्रति जागरूकता को बढ़ाया, और दार्फ़ूर की महिलाओं के साथ हमारे सम्पर्क को मज़बूत करने में मदद की.”

मेजर न्याबोगा की तैनाती, फ़रवरी 2019 में UNAMID मिशन में हुई थी. पश्चिमी सूडान के ज़ालिन्गेई नगर में उन्होंने दो साल बिताए और सैन्य गतिविधियों में लैंगिक मुद्दों को समाहित करने के लिये कड़ी मेहनत की.  

उन्होंने लैंगिक ज़रूरतों का ख़याल रखते हुए, स्थानीय समुदायों के साथ सम्पर्क व सम्वाद स्थापित करने के तौर-तरीक़ों को प्रोत्साहन दिया, ताकि आम नागरिकों की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके.

लैंगिक मुद्दों पर योगदान

मेजर न्याबोगा ने अन्य सैन्य शान्तिरक्षकों के लिये लैंगिक शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित किया, और पिछले वर्ष दिसम्बर तक UNAMID सैन्य दल के लगभग 95 फ़ीसदी हिस्से को प्रशिक्षण दिया जा चुका था.

इसके साथ-साथ, उन्होंने निर्बल पुरुषों, महिलाओं, लड़के, लड़कियों की ज़रूरतों की बेहतर ढँग से शिनाख़्त करने और मिशन द्वारा किये जाने विश्लेषण, योजना व संचालन में उसे समाहित किये जाने उपायों पर भी परामर्श प्रदान किया.

इसके ज़रिये यूएन मिशन को संरक्षा सम्बन्धी ज़रूरतों को समझने और उसके अनुरूप जवाबी कार्रवाई को बेहतर बना पाना सम्भव हुआ.

मानवाधिकार, लैंगिक और संचार सहकर्मियों के साथ काम करते हुए, मेजर न्याबोगा ने कर्मचारियों व नागरिक समाज कार्यकर्ताओं के लिये मुहिमों और कार्यशालाओं को आयोजित किया.

इसके ज़रिये दार्फ़ूर की महिलाओं व लड़कियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों से निपटने के उपायों पर चर्चा हुई.

इस पुरस्कार की शुरुआत 2016 में हुई और इसका उद्देश्य, सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1325 के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में जुटे शान्तिरक्षकों के समर्पण और प्रयासों को पहचानना और उन्हें सम्मानित करना है,

यह प्रस्ताव मुख्य रूप से महिलाओं, शान्ति और सुरक्षा पर केंद्रित है जिसमें तीन प्रमुख बिन्दुओं पर बल दिया गया है: हिंसक संघर्ष की रोकथाम; महिलाओं और उनके अधिकारों का संघर्ष के दौरान और उसके बाद संरक्षण; और संघर्ष को सुलझाने के लिए सभी प्रक्रियाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाना.