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सूडान: दारफ़ूर में हिंसा में तेज़ी, 250 लोगों की मौत, एक लाख विस्थापित

दार्फ़ूर में सामुदायिक हिंसा से लाखों लोगों के लिये संकट खड़ा हो गया है. सोरतोनी में घरेलू विस्थापितों के लिये एक शिविर.
UNAMID/Mohamad Almahady
दार्फ़ूर में सामुदायिक हिंसा से लाखों लोगों के लिये संकट खड़ा हो गया है. सोरतोनी में घरेलू विस्थापितों के लिये एक शिविर.

सूडान: दारफ़ूर में हिंसा में तेज़ी, 250 लोगों की मौत, एक लाख विस्थापित

प्रवासी और शरणार्थी

सूडान के दारफ़ूर प्रान्त में समुदायों के बीच हिंसा में तेज़ी आई है जिससे एक लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान की तलाश में घरों से पलायन के लिये मजबूर होना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने शुक्रवार को बताया कि बहुत से लोगों ने पड़ोसी देश चाड में शरण ली है. हिंसा में अब तक 250 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन मानवीय राहतकर्मी भी हैं.
 

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार 15 जनवरी को पश्चिम दारफ़ूर प्रान्त में झड़पें शुरू हुईं और फिर अगले दिन दक्षिण दारफ़ूर भी इन दंगों की चपेट में आ गया. 

यूएन एजेंसी के प्रवक्ता बॉरिस चेशिरकोफ़ ने जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूर्वी चाड में अब तक साढ़े तीन हज़ार सूडानी शरणार्थी पहुँच चुके हैं. 

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“इन शरणार्थियों में अधिकाँश महिलाएँ और बच्चे हैं, जिन्हें चार ऐसे दूरदराज़ के स्थानों पर रखा गया है जहाँ बुनियादी सेवाओं या आधारभूत ढाँचे की कमी है.”

“यहाँ उन्हें पेड़ों के नीचे शरण लेनी पड़ रही है.”

शरणार्थी एजेंसी के अनुसार कोविड-19 से उत्पन्न हालात के कारण चाड में स्थानीय प्रशासन ने वहाँ पहुँचने वाले लोगों के लिये, शुरू में अस्थाई शिविर में रहने की व्यवस्था की है. 

उन्हें, एकान्तवास की अवधि पूरी होने के बाद, फिर मौजूदा शरणार्थी शिविरों में भेजा जाएगा जोकि सीमा से दूर स्थित हैं.  

यूएन एजेंसी, लोगों की ज़रूरतें पूरी करने के लिये आवश्यक वस्तुएँ पहुँचा रही है और इस क्रम में विभिन्न एजेंसियाँ समन्वित प्रयासों में जुटी हैं. 

हिंसा का चक्र

हिंसा प्रभावित इलाक़े में प्रशासन हालात पर क़ाबू पाने के प्रयासों में जुटा है जिनके तहत सुरक्षा बल तैनाती किये गये हैं. 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने पत्रकारों को बताया कि लोगों की सुरक्षा के इन्तज़ामों में अभी ख़ामियाँ बरक़रार हैं और हिंसा की आशंका भी बनी हुई है.  

इस इलाक़े में दशकों से चली आ रही जातीय और क़बायली तनाव मौजूद हैं और पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें भड़काने के प्रयास किये गए हैं. 

समाचारों के अनुसार हताहतों की बड़ी संख्या के कारण स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर भारी बोझ है और वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं पर असर हुआ है. 

मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता ने सूडान सरकार से नागरिकों की रक्षा करने, सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करने और दारफ़ूर में क़ानून का राज स्थापित करने का आग्रह किया है. 

साथ ही उन्होंने हिंसक घटनाओं के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये प्रभावी और विस्तृत जाँच कराए जाने की अपील की है ताकि हथियाबन्द नागरिकों द्वारा क़ानून को अपने हाथ में लेने के चक्र को तोड़ा जा सके. 

वृहद, संघर्षग्रस्त इलाक़ा

दारफ़ूर एक बड़ा क्षेत्र है जिसका आकार लगभग स्पेन जितना है, लेकिन यह वर्षों से हिंसा की आँच में झुलस रहा है. 

स्थानीय नागरिकों की रक्षा, राहत सामग्री के वितरण और हिंसा की बुनियादी वजहों से निपटने के लिये यहाँ संयुक्त राष्ट्र का शान्तिरक्षा मिशन (UNAMID) तैनात रहा है.

इस मिशन को दिये गये शासनादेश (Mandate) की अवधि दिसम्बर 2020 में पूरी हो गई जिसके बाद 31 दिसम्बर को शान्तिरक्षा मिशन को बन्द कर दिया गया. 

इसके क़रीब दो सप्ताह बाद हिंसा का नया दौर शुरू हुआ है.

फ़िलहाल मिशन को वहाँ से समेटने की प्रक्रिया चल रही है, इसके तहत शान्तिरक्षकों, उनके वाहनों और अन्य साज़ोसामान की वापसी होती है; ग़ैर-वर्दीधारी स्टाफ़ को अलग करने के बाद फिर कार्यालय बन्द किये जाते हैं.