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सूडान में सत्ता परिवर्तन के बाद दार्फ़ूर में हिंसा बढ़ी

मिट्टी धंसने से प्रभावित लोगों की मदद करता यूएन मिशन.
UNAMID
मिट्टी धंसने से प्रभावित लोगों की मदद करता यूएन मिशन.

सूडान में सत्ता परिवर्तन के बाद दार्फ़ूर में हिंसा बढ़ी

शान्ति और सुरक्षा

सूडान की राजधानी खार्तूम में पिछले सप्ताह सेना द्वारा सत्ता संभालने के बाद दार्फ़ूर प्रांत में सुरक्षा की स्थिति बदतर हुई है लेकिन वहां बढ़ती हिंसा के बीच यूएन शांतिरक्षा मिशन सतर्कता बनाए हुए है. दार्फ़ूर में यूएन और अफ़्रीकी संघ के साझा मिशन (UNAMID) के संयुक्त विशेष प्रतिनिधि जेरेमियाह मामाबोलो ने सुरक्षा परिषद को यह जानकारी दी है.

कई महीनों से चले आ रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद 30 सालों तक सूडान की सत्ता संभालने वाले पूर्व राष्ट्रपति ओमार अल बशीर को सेना ने सत्ता से बेदख़ल कर दिया. उसके बाद से देश में चले राजनीतिक घटनाक्रम पर जानकारी देते हुए यूएन प्रतिनिधि मामाबोलो ने बताया कि कर्फ़्यू हटा लिया गया है और राजनीतिक बंदियों को हिरासत से रिहा करने की तैयारी है. राष्ट्रव्यापी संघर्षविराम को लागू कर दिया गया है.

“कल, मुख्य न्यायाधीश और अटॉर्नी जनरल को बदल दिया गया.” नए सैन्य नेता, जनरल अब्देल फ़ताह अल-बुर्नहान, ने “सैन्य संक्रमण काल” की घोषणा की है जिसकी मियाद लगभग दो साल तक होगी. इसके बाद आम नागरिकों द्वारा चुनी गई सरकार को सत्ता हस्तांतरित की जाने की योजना है.

लेकिन प्रदर्शन अब भी जारी हैं. दार्फ़ूर में कुछ घरेलू विस्थापितों ने सरकारी इमारतों और उन अधिकारियों को निशाना बनाया है जिन्हें पुराने प्रशासन के नज़दीकी के लिए जाना जाता है. दार्फ़ूर प्रांत में ही युद्धापराध और मानवता के विरूद्ध अपराध के मामलों में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में पूर्व राष्ट्रपति पर आरोप लगे थे.  मामाबोला ने भरोसा दिलाया कि इन हालात से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र मिशन चौकसी बरत रहा है.

मिशन अब समाप्त होने जा रहा है लेकिन राजनीतिक परिदृश्य नाटकीय ढंग से बदल गया और इसके प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं.

मामाबोलो ने बताया “खार्तूम में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद दार्फ़ूर में घरेलू विस्थापितों के शिविरों में हिंसा की घटनाएं दर्शाती हैं कि भले ही हाल के दिनों में दार्फ़ूर में शांति और स्थिरता रही हो, सुरक्षा के नज़रिए से स्थिति नाज़ुक बनी हुई है.”

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास सूडान में नए प्रशासन के साथ संवाद शुरू करने और उसे कायम रखने का एक अवसर है. इससे यूएन मिशन की वापसी के लिए सहायक माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी.

आम नागरिकों की सुरक्षा बनी चिंता

राजनीतिक संकट से रोज़मर्रा के कामों पर असर नहीं पड़ा है लेकिन संयुक्त राष्ट्र आपात राहत की उपसमन्वयक उर्सुला म्यूलर ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को बताया कि आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है. ख़ासतौर पर दार्फ़ूर में जहां स्थानीय स्तर पर लड़ाई जारी है.

स्कूल सत्र शुरू होने में देर हुई है और देश में बढ़ते आर्थिक संकट से ज़रूरी वस्तुओं की उपलब्धता पर ख़ासा असर पड़ा है. पूर्व राष्ट्रपति ओमार अल बशीर के विरोध में प्रदर्शनों की शुरुआत बढ़ते दामों के चलते ही पिछले साल दिसंबर में हुई थी.

उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ने और मुद्रा की क़ीमत घटने से ज़रूरतमंदों की संख्या बढ़ती जा रही है. 58 लाख लोगों को जीवन जीने के लिए ज़रूरी भोजन उपलब्ध नहीं है. पिछले साल इस समय यह संख्या 38 लाख थी. इनमें 19 लाख दार्फ़ूर में हैं और आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ने की आशंका है.

लड़ाई के चलते 19 लाख लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं जिनमें अधिकतर दार्फ़ूर में हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और सहारे की आवश्यकता है और मुश्किल हालात में रह रहे लोगों के लिए 1.1 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी.

दक्षिण सूडान तक मदद पहुंचाने के लिए सूडान एक अहम रास्ता रहा है. हिंसाग्रस्त पड़ोसी देश से अब तक 1.5 लाख शरणार्थी यहां रह रहे हैं. “हम सूडान में सभी पक्षों से अनुरोध करेंगे कि मानवीय संगठनों को ज़रूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने का काम करने दें.”

“हम सरकार से भी अपील करते हैं कि वो मानवीय संगठनों के काम करने के लिए बेहतर माहौल तैयार करे और लालफ़ीताशाही को दूर करने का प्रयास करे.”