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ईरान: राजनैतिक क़ैदी को, चिकित्सा आधार पर, रिहा करने का आग्रह

एक जेल का दृश्य
© UNICEF/Rajat Madhok
एक जेल का दृश्य

ईरान: राजनैतिक क़ैदी को, चिकित्सा आधार पर, रिहा करने का आग्रह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मंगलवार को ईरान सरकार से राजनैतिक कार्यकर्ता मोहम्मद नूरीज़ाद को तत्काल रिहा किये जाने का आग्रह किया है. ख़बरों के अनुसार, उपयुक्त चिकित्सा देखभाल के अभाव में, मोहम्मद नूरीज़ाद के  गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होने, यहाँ तक कि, उनकी मृत्यु होने की भी आशंका जताई गई है.

फ़िल्मकार मोहम्मद नूरीज़ाद को फ़रवरी 2020 में अनेक सज़ाएँ सुनाई गई थीं - इनमें साढ़े सात वर्ष के लिये जेल की सज़ा भी थी.

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मोहम्मद नूरीज़ाद व अन्य लोगों पर आरोप थे कि उन्होंने सर्वोच्च नेता के त्यागपत्र और संविधान में बदलाव की मांग करने वाले एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किये.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मंगलवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा, “हमें, मोहम्मद नूरीज़ाद के साथ बुरा बर्ताव किये जाने और अपनी राय को व्यक्त करने के लिये उनका कारावास जारी रखे जाने पर गम्भीर चिन्ता है.”

“उनका मामला, उन हालात का द्योतक है जिनका सामना अनेक ईरानी राजनैतिक कार्यकर्ता हिरासत में कर रहे हैं.”

यूएन विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा कि चिकित्सकों ने जाँच में पाया है कि मोहम्मद नूरीज़ाद को, उनकी गम्भीर हालत के कारण हिरासत में नहीं रखा जा सकता.

इसके बावजूद उन्हें इन हालात में रखा गया है, और ऐसे में पर्याप्त चिकित्सा देखभाल को नकारा जाना, प्रताड़ना की श्रेणी में रखा जा सकता है.

“उन्हें तत्काल रिहा किया जाना होगा.”

मोहम्मद नूरीज़ाद ने हिरासत में रखे जाने के दौरान भूख हड़तालें की हैं और दवाएँ खाने से भी इनकार किया है.

उन्होंने, कारावास में ख़ुद के साथ और उनके परिजनों के साथ बुरे बर्ताव का हवाला देते हुए, 10 मार्च को हड़ताल के ज़रिये विरोध जताया था. ख़बरों के मुताबिक़, उन्होंने जेल में आत्महत्या करने और ख़ुद को नुक़सान पहुँचाने की भी कोशिशें की हैं.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इससे पहले भी मोहम्मद नूरीज़ाद को हिरासत में रखे जाने के सम्बन्ध में अपनी चिन्ताएँ ज़ाहिर की थी, जिसका ईरान सरकार ने जवाब दिया था.

ख़राब स्वास्थ्य

बताया गया है कि हिरासत के दौरान मोहम्मद नूरीज़ाद को हृदय से जुड़ी एक अवस्था का पता चला था, और वे बार-बार बेहोश हो रहे थे. पिछले महीने बेहोश होने के बाद, उन्हें राजधानी तेहरान के एक अस्पताल में भेजा गया. होश वापिस आने पर उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि कोई उन्हें अज्ञात इंजेक्शन लगा रहा था, जिसकी अनुमति उनसे नहीं ली गई थी.

उन्हें कोई अन्य सूचना भी उपलब्ध नहीं कराई गई है, जबकि इसके लिये उन्होंने जानकारी साझा किये जाने का अनुरोध भी किया था.

“यह स्पष्ट है कि नूरीज़ाद, जेल में रहने की चिकित्सा अवस्था में नहीं हैं.” ऐसे में उन्हें मेडिकल आधार पर रिहा किये जाने की माँग की गई है.  

“इन चिकित्सा परामर्शों के अनुरूप, ईरान सरकार को उन्हें जल्द रिहा करना होगा और आवश्यक चिकित्सा देखभाल व उपचार निशुल्क सुलभ बनाना होगा.”

यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक़, ईरान में बड़ी संख्या में लोगों को केवल अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिये हिरासत में लिया गया है.

उन्होंने सरकार को आगाह किया कि इस आधार पर लोगों को हिरासत में रखना, नागरिक व राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र (International Covenant on Civil and Political Rights) के तहत तय मानवाधिकारों का स्पष्ट हनन है.

विशेषज्ञों ने कहा कि ईरान सरकार और न्यायपालिका का यह दायित्व है कि इन सभी बन्दियों के साथ, देशीय क़ानूनों, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों, और ‘बन्दियों के साथ बर्ताव के न्यूनतम मानकों पर नेलसन मण्डेला नियमों’ के तहत, उपयुक्त बर्ताव सुनिश्चित किया जाए.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.