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कोविड-19 काल में जेलों में भीड़भाड़, बन्दियों की जान पर जोखिम

नए अध्ययन के मुताबिक बड़ी संख्या में क़ैदियों को मुक़दमे की कार्रवाई के बग़ैर हिरासत में रका जा रहा है.
Unsplash/Matthew Ansley
नए अध्ययन के मुताबिक बड़ी संख्या में क़ैदियों को मुक़दमे की कार्रवाई के बग़ैर हिरासत में रका जा रहा है.

कोविड-19 काल में जेलों में भीड़भाड़, बन्दियों की जान पर जोखिम

क़ानून और अपराध रोकथाम

मादक पदार्थों एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि विश्व भर में, हर तीन में से एक क़ैदी को बिना मुक़दम चलाए या अदालत द्वारा दोषी पाए बिना ही, बन्दीगृह में रखा जा रहा है. 

यूएन एजेंसी ने अपने जीवन का एक लम्बा समय राजनैतिक बन्दी के रूप में गुज़ारने वाले दक्षिण अफ़्रीकी नेता, नेलसन मण्डेला की स्मृति में अन्तरराष्ट्रीय दिवस से पहले, शुक्रवार को यह अध्ययन प्रकाशित किया है.

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यह पहली बार है जब वैश्विक स्तर पर यूएन ने बन्दियों के सम्बन्ध में आँकड़े जारी किये गए हैं और इसमें लम्बे समय से कारावास में जीवन गुज़ार रहे बन्दियों और मौजूदा रुझानों की समीक्षा की गई है. 

रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2000 से 2019 के बीच, वैश्विक आबादी में 21 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है, और विश्व भर में क़ैदियों की संख्या में 25 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है. 

इस अवधि के अन्त तक, एक करोड़ 17 लाख लोग कारावास में हैं – इस आबादी की तुलना, बोलीविया, बुरुण्डी, बेल्जियम और ट्यूनिशिया जैसे देशों से की जा सकती है. 

वर्ष 2019 के अन्त तक, आँकड़े दर्शाते हैं कि प्रति एक लाख व्यक्तियों पर लगभग 152 बन्दी हैं. 

उत्तरी अमेरिका, सब-सहारा अफ़्रीका और पूर्वी योरोप में दीर्घकालीन कारावास की दर में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है, लातिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य क्षेत्रों व देशों में पिछले दो दशकों में संख्या में 68 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. 

विश्व भर में हिरासत में रखे गए लोगों में 93 फ़ीसदी पुरुष हैं. 

मगर इसी अवधि में, बन्दीगृहों में महिलाओं की संख्या ज़्यादा तेज़ गति से बढ़ी है. पुरुषों के 25 फ़ीसदी की तुलना में उनकी संख्या में 33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. 

बन्दियों के साथ बर्ताव के लिये यूएन के न्यूनतम मानकों व नियमों के संरक्षक के तौर पर, यूएन एजेंसी ने जेलों में भीड़भाड़ की समस्या सम्बन्धी आँकड़ों की भी पड़ताल की है.

इन नियमों को नेलसन मम्डेला नियम भी कहा जाता है.  

भीड़भाड़ के सम्बन्ध में दर, भिन्न-भिन्न देशों व क्षेत्रों में अलग है, मगर जिन देशों से आँकड़े मिले हैं, उनमें से लगभग आधे देशों में जेल प्रणाली अपनी क्षमता से 100 प्रतिशत अधिक पर संचालित हो रही है. 

कोविड-19 महामारी की वजह से बन्दीगृहों में भीड़भाड़ के मुद्दे पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है. 

सरकारों व अन्य स्रोतों के एक वैश्विक विश्लेषण के मुताबिक़, मई 2020 तक, 122 देशों में पाँच लाख, 50 हज़ार बन्दी, कोविड-19 से संक्रमित हो गए.  

47 देशों में क़रीब चार हज़ार बन्दियों की मौत हुई है.  

इस महामारी से निपटने के प्रयासों के लिये, कुछ जेलों में कामकाज के अवसरों, समय बिताने और आगन्तुकों की आवाजाही जैसे अधिकार सीमित किये गए हैं. 

रोकथाम उपाय हिरासत केन्द्रों में लागू कर पाना कठिन होता है, विशेष रूप से भीड़भाड़ भरे केन्द्रों में.

इसके मद्देनज़र कुछ देशों ने बड़ी संख्या में बन्दियों को हिरासत से अस्थाई रूप से रिहा करने का विकल्प चुना, ख़ासतौर पर उन बन्दियों के लिये, जिन्हें कम गम्भीर मामलों में हिरासत में लिया गया था.