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सीरिया: जेलों में बन्द लाखों आम लोगों का भाग्य अब भी अनिश्चित

सीरिया के अलेप्पो शहर के पूर्वी इलाक़े में एक ध्वस्त इमारत. आरोप हैं कि इस इलाक़े में रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया गया. (फ़ाइल फ़ोटो)
OCHA/Halldorsson
सीरिया के अलेप्पो शहर के पूर्वी इलाक़े में एक ध्वस्त इमारत. आरोप हैं कि इस इलाक़े में रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया गया. (फ़ाइल फ़ोटो)

सीरिया: जेलों में बन्द लाखों आम लोगों का भाग्य अब भी अनिश्चित

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के जाँचकर्ताओं ने कहा है कि सीरिया में गृहयुद्ध को 10 वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है, लेकिन अब भी वहाँ की कुख्यात जेलों या बन्दीगृहों में रखे गए, लाखों आम लोगों का भविष्य और भाग्य स्पष्ट नहीं है.

सीरियाई अरब गणराज्य पर जाँच आयोग ने सोमवार को कहा कि हज़ारों अन्य लोगों को प्रताड़ित किया गया है, उनके साथ यौन हिंसा की गई है या हिरासत में ही मौत के मुँह में धकेल दिया गया है.

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आयुक्त कैरेन कोनिंग अबूज़ायद ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में, स्पष्ट सबूत होने के बावजूद, संघर्ष के तमाम पक्ष, अपने बलों पर लगे आरोपों की जाँच कराने में नाकाम रहे हैं. 

एक वक्तव्य में उन्होंने कहा, “बन्दीगृहों में किये गए अपराधों की जाँच कराने के बजाय, ज़्यादा ज़ोर उन्हें छुपाने पर नज़र आया है.

100 से भी ज़्यादा जेलें

ये जाँच निष्कर्ष व रिपोर्ट, अगले सप्ताह, जिनीवा में, यूएन मानवाधिकार परिषद को सौंपी जाएंगी. इस रिपोर्ट में, 100 भी ज़्यादा बन्दीगृहों की परिस्थितियों के जाँच निष्कर्ष शामिल हैं.

इस जाँच में, ये गृहयुद्ध शुरू होने के शुरुआती दिनों से लेकर, आज तक के समय में, प्रदर्शनों के दौरान गिरफ़्तार किये गये, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की परिस्थितियों की जाँच की गई है. 

जाँचकर्ताओं का कहना है कि लोगों को मनमाने तरीक़े गिरफ़्तार किया जाना और जेलों में बन्द करना, सीरियाई संघर्ष के बुनियादी व प्रमुख कारणों में से एक है. 

‘सबके हाथ गन्दे’

जाँच आयोग ने कहा है कि वैसे तो सीरिया सरकार, बड़े पैमाने पर लोगों को बन्दी बनाकर रखने के लिये ज़िम्मेदार है, मगर अन्य हथियारबन्द गुटों ने भी बहुत से लोगों को जबरन ग़ायब करने और बड़ै पैमाने पर अपराधों व लोगों को प्रताड़ित करने में बड़ी भूमिका निभाई है.

इनमें मुक्त सीरियाई सेना (FSA), सीरियाई लोकतान्त्रिरक बल (SDF) के संयुक्त बल भी शामिल हैं.

आतंकवादी गुट हयात तहरीर अल शाम और आइसिल (दाएश) की करतूतों की जाँच भी, रिपोर्ट में रेखांकित की गई है, जो पिछले लगभग 10 वर्षों के दौरान, ढाई हज़ार लोगों के साथ इंटरव्यू करके तैयार की गई है.

आयुक्त ने कहा, “सीरिया में, किसी भी एक समय पर देखा जाए तो लाखों लोगों को, उनकी आज़ादी से वंचित रखा गया है.”

“लोगों को मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाना और उन्हें जेलों में रखने का हथकंडा, आम आबादी में डर फैलाने और असहमति या विरोधी विचारों को दबाने के लिये, सोची-समझी रणनीति के तहत अपनाया गया है. ऐसे मामले, अक्सर वित्तीय लाभों के लिये भी किये गए हैं. सशस्त्र गुटों ने धार्मिक और नस्लीय अल्पसंख्यक गुटों को भी निशाना बनाया है.”

अकल्पनीय कष्ट

सीरिया संघर्ष के 11 वें वर्ष में, जाँचकर्ताओं ने कहा है कि संघर्ष में शामिल तमाम पक्षों ने, देश भर में, अनेक जेलों में रखे गए बन्दियों के साथ लगातार बुरा बर्ताव किया है, जिसमें उन्हें ऐसी दर्दनाक तकलीफ़ें पहुँचाई गई हैं जिनकी कल्पना करना भी मुश्किल है.

रिपोर्ट में निष्कर्ष पेश किया गया है कि ऐसा, सरकार की जानकारी और सहमति से हो रहा है, जिसने संघर्ष में हिस्सा लेने वाले अनेक गुटों को समर्थन दिया है. जाँचकर्ताओं ने, मानवाधिकर हनन की इन गतिविधियों को बन्द किये जाने का आहवान भी किया है.

जाँच आयुक्त हानी मीगली ने कहा, “जाँच आयोग वैसे तो जेलों की अमानवीय और दर्दनाक परिस्थितियों के मद्देनज़र तमाम क़ैदियों की तुरन्त रिहाई की माँग लगातार करता रहा है, मगर इस समय इसकी तात्कालिकता और भी बढ़ गई है क्योंकि बेतहाशा भीड़ से भरी जेलों में, कोविड-19 महामारी फैलने के लिये अनुकूल हालात बन गए हैं, जहाँ कमज़ोर स्वास्थ्य वाले बहुत से बन्दी शायद जीवित ही ना बच पाएँ.”