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एक डिजिटल खाई: 1.3 अरब बच्चों के पास घर पर शिक्षा के लिये इंटरनेट नहीं

ईरान के अहावाज़ शहर का एक दृश्य जहाँ एक बच्ची पढ़ाई करती नज़र आ रही है. दुनिया भर में बहुत से वंचित बच्चों को वर्चुअल शिक्षा साधन उपलब्ध नहीं हैं.
UNICEF
ईरान के अहावाज़ शहर का एक दृश्य जहाँ एक बच्ची पढ़ाई करती नज़र आ रही है. दुनिया भर में बहुत से वंचित बच्चों को वर्चुअल शिक्षा साधन उपलब्ध नहीं हैं.

एक डिजिटल खाई: 1.3 अरब बच्चों के पास घर पर शिक्षा के लिये इंटरनेट नहीं

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में स्कूल जाने की उम्र – 3 से 17 वर्ष - के बच्चों की लगभग दो तिहाई संख्या – यानि लगभग 1 अरब 30 करोड़ बच्चों के पास अपने घरों पर इंटरनेट कनेक्शन नहीं है, जिसके कारण वो ऐसे महत्वपूर्ण कौशल सीखने से वंचित हो रहे हैं जिनकी आधुनिक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा के लिये ज़रूरत होती है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 से 24 वर्ष की उम्र के किशोरों को भी इसी तरह के अभाव का सामना करना पड़ रहा है और लगभग 75 करोड़ 90 लाख या 63 प्रतिशत के घरों पर इण्टरनेट कनेक्शन उपलब्ध नहीं हैं.

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यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या, एक बहुत बड़ी डिजिटल खाई है, दरअसल, ये एक बड़ी डिजिटल घाटी है. 

उन्होंने कहा कि इण्टरनेट सम्पर्क का नहीं होना, बच्चों और किशोरों को केवल ऑनलाइन जुड़ने से ही नहीं रोकता, बल्कि ये स्थिति उन्हें कामकाज से ही अलग-थलग कर देती है, और आधुनिक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा से भी रोकती है.

हैनरिएटा फ़ोर ने कहा, “और स्कूल बन्द होने के स्थिति में, वो शिक्षा हासिल करने में भी बहुत नुक़सान उठाते हैं, जैसाकि कोविड-19 के कारण मौजूदा दौर में जिन करोड़ों बच्चों को नुक़सान उठाना पड़ रहा है.

बेबाक शब्दों में कहें तो: इण्टरनेट की उपलब्धता के अभाव की स्थिति, अगली पीढ़ी के भविष्य को जोखिम में डाल रही है.”

शिक्षा, दूर की कौड़ी

यूनीसेफ़ के अनुसार, कोविड-19 के कारण स्कूल बन्द होने से दुनिया भर में, लगभग 25 करोड़ बच्चे अब भी प्रभावित हैं, और लाखों बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिये ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भर होना पड़ रहा है.

जिन बच्चों के पास इण्टरनेट सुविधा नहीं है, उनके लिये शिक्षा एक दूर की कौड़ी साबित हो सकती है.

कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले भी, भारी संख्या में बच्चों व किशोरों को बुनियादी, परिवर्तनशील, डिजिटल, और रोज़गारोन्मुख व उद्यमशील कौशल सीखने की ज़रूरत थी जिनके ज़रिये वो 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा कर सकें.

एक विशाल चुनौती

अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के महासचिव हाउलिन झाओ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को इण्टरनेट व ऑनलाइन साधन मुहैया कराना एक विशाल चुनौती है. 

घरों पर इण्टरनेट कनेक्शन के अभाव वाले बच्चों व किशोरों की संख्या, क्षेत्रानुसार. ये संख्या मिलियन्स में है - मिलियन यानि 10 लाख.

उन्होंने कहा, “ग्रामीण इलाक़ों के बड़े हिस्से अब भी, मोबाइल ब्रॉडबैण्ड नैटवर्क से जुड़े हुए नहीं हैं, और ग्रामीण इलाक़ों के बहुत कम घरों में ही इण्टरनेट सुविधा है. मोबाइल ब्रॉडबैण्ड और इण्टरनेट प्रयोग के मामले में मौजूद खाई का दायरा, विकसित और विकासशील देशों के बीच बहुत ज़्यादा है.”

असमानताओं को बल

रिपोर्ट में बताया गया है कि डिजिटल खाई के कारण देशों और समुदायों के बीच असमानता बढ़ने के साथ-साथ वो ज़्यादा स्थिर बन रही है. 

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में, धनी परिवारों के स्कूली शिक्षा की उम्र के लगभग 58 प्रतिशत बच्चों को उनके घरों पर इण्टरनेट उपलब्ध है, जबकि उनकी तुलना में, निर्धनतम परिवारों में केवल 16 प्रतिशत बच्चों के घरों में इण्टरनेट कनेक्शन उपलब्ध है.

शहरी और ग्रामीण आबादियों के बीच और उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच बी ऐसी ही स्थिति है: शहरी इलाक़ों में रहने वाली आबादी में स्कूली शिक्षा की उम्र वाले बच्चों की लगभग 60 प्रतिशत संख्या के घरों पर, इण्टरनेट नहीं है, जबकि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली आबादी में ये संख्या 75 प्रतिशत है.

सब सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में स्कूली शिक्षा की उम्र वाले बच्चे बड़े पैमाने पर प्रभावित हैं, जहाँ 10 में से 9 बच्चों के पास घरों पर इण्टरनेट नहीं है.