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डिजिटल टैक्नॉलॉजी को बनाना होगा सबसे ज़रूरतमन्दों के लिये कारगर

भारत जैसे देशों में महामारी से निपटने और टिकाऊ व समावेशी पुनर्बहाली के प्रयासों में डिजिटल कनेक्टिविटी अहम  है.
United Nations/Chetan Soni
भारत जैसे देशों में महामारी से निपटने और टिकाऊ व समावेशी पुनर्बहाली के प्रयासों में डिजिटल कनेक्टिविटी अहम है.

डिजिटल टैक्नॉलॉजी को बनाना होगा सबसे ज़रूरतमन्दों के लिये कारगर

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 ने एक तरफ़ तो डिजिटल टैक्नॉलॉजी और इण्टरनेट के ज़रिये जुड़ाव की महत्ता उजागर की है, वहीं, इसने असमानताएँ भी बढ़ा दी हैं, जिनमें आमदनी में असमानताएँ भी शामिल हैं. यूएन प्रमुख ने मंगलवार को इण्टरनेट गवर्नेन्स फ़ोरम (IGF) के समापन सत्र को दिये एक वीडियो सन्देश में ये बात कही है.

उन्होंने कहा कि डिजिटल विभाजन व असमानता के कारण, विश्व की की लगभग आबादी शिक्षा, संचार, क्रय-विक्रय, कामकाज और आधुनिक जीवन में शिरकत करने के अवसरों से वंचित है.

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साथ ही, दुनिया भर में लगभग 50 करोड़ छात्र स्कूल बन्द होने के कारण प्रभावित हुए हैं जिनमें लगभग एक करोड़ 10 लाख लड़कियाँ हैं.

इस बीच, कोविड-19 के बारे में ऑनलाइन मंचों पर ग़लत जानकारी व झूठी सूचनाएओं के फैलाव ने स्वास्थ्य के लिये जोखिम पैदा कर दिया है और ज़िन्दगियाँ दाँव पर लगा दी हैं.

एक वास्तविक समतामूलक कारक

यूएन महासचिव ने आईजीएफ़ के डिजिटल समावेश पर ध्यान केन्द्रित करने का स्वागत किया जिसे उन्होंने महामारी से मज़बूत तरीक़े से उबरने के लिये बहुत ज़रूरी क़रार दिया.

यूएन प्रमुख ने कहा, “हमें बढ़ती डिजिटल खाई को पाटने पर तुरन्त ध्यान देना होगा और डिजिटल टैक्नॉलॉजी को उन लोगों के लिये आसान व कारगर बनाना होगा जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, जो नाज़ुक हालात में जी रहे हैं, जो हाशिये पर रहने को मजबूर हैं, जो ग़रीबी में जीते हैं, और ऐसे लोग जो अनेक तरह के भेदभाव का सामना करते हैं.”

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि समावेश को वास्तविकता बनाने के उपायों में इस मुद्दे पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा कि डिजिटल डेटा को सार्वजनिक भलाई के लिये किस तरह सदुपयोगी बनाया जाए.

उन्होंने कहा, “ऐसे में जबकि हम, एकजुट होकर महामारी से मज़बूत तरीक़े से उबरने के प्रयासों में लगे हुए हैं, हम डिजिटल टैक्नॉलॉजी के हानिकारक पक्षों में भी कमी ला सकते हैं, और एक समतामूलक व सामर्थ्य वर्धक कारक के रूप में इसकी सच्ची ताक़त का सदुपयोग कर सकते हैं.”

“उन्होंने तमाम सरकारों से ये सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि महामारी से निपटने की उनकी कार्रवाइयों व पुनर्बहाली योजनाओं में डिजिटल सम्पर्क को इस तरह से शामिल किया जाए कि वो आसान, सुलभ, सुरक्षित और समावेशी हो.”

जुड़ाव, सम्मान, संरक्षा

इण्टरनेट गवर्नेन्स फ़ोरम (IGF) वर्ष 2006 में शुरू किया गया था, जिसमें सरकारों, निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी, शिक्षा क्षेत्र और तकनीकी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

इनमें से बहुत से प्रतिनिधि पहले ही संयुक्त राष्ट्र के – सम्पर्क, सम्मान और सभी लोगों की ऑनलाइन संरक्षा कार्यक्रम में नज़दीकी रूप से जुड़कर काम कर रहे हैं. ये काम संयुक्त राष्ट्र महासचिव के डिजिटल सहयोग पर रोडमैप की तर्ज़ पर है जो जून 2020 में जारी किया गया था.

इस वर्ष के वर्चुअल फ़ोरम में 173 देशों से 6 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों ने शिरकत की, जोकि एक रिकॉर्ड स्तर की भागीदारी थी.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग के अध्यक्ष लियू झेनमिन ने का कहना है, “कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में बहुत सी ज़िन्दगियाँ ख़त्म कर दी हैं, असीम मुश्किलें व कठिनाइयाँ पैदा कर दी हैं और लोगों के सामने अनिश्चितता पैदा कर दी है..." 

"हालाँकि इसके साथ ही, इसने नई सामान्य स्थिति बनाने की सम्भावनाओं पर भी नई रौशनी डाली है, जोकि पहले की तुलना में ज़्यादा डिजिटल है.”

लियू झेनमिन ने एक तरफ़ तो मौजूदा जटिल व मुश्किल दौर और इसकी ऐतिहासिक चुनौतियों को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही, दिसम्बर 2021 में होने वाले अगले फ़ोरम के प्रति आशा व्यक्त भी की.

उन्होंने उम्मीद जताई कि पोलैण्ड के कैटोवीस में होने वाले उस फ़ोरम में प्रतिनिधि निजी रूप में शिरकत कर सकेंगे.

इण्टरनेट प्रशासन की मज़बूती

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वैश्विक डिजिटल पटल पर बिन्दुओं को जोड़ने में अहम भूमिका निभाने के लिये इस फ़ोरम का सराहना की, लेकिन निर्णय निर्माताओं तक पहुँचने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.

उन्होंने इस फ़ोरम को मज़बूत किये जाने के लिये निर्णायक व तात्कालिक कार्रवाई का भी आहवान किया ताकि ये फ़ोरम डिजिटल सहयोग को एक आकार देने में इसकी अनोखी व असाधारण भूमिका को बेहतर बना सके.