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सीरिया: कड़ी सर्दी का सामना करने के लिये ज़्यादा सहायता की सख़्त ज़रूरत

सीरिया के इदलिब में ग्रामीण इलाक़ों में लड़ाई से बचने के लिये एक परिवार, अलेप्पो गवर्नरेट के उत्तरी हिस्से में आफ़रीन में पहुँचता हुआ. (फ़ाइल फ़ोटो)
UNICEF/Ashawi
सीरिया के इदलिब में ग्रामीण इलाक़ों में लड़ाई से बचने के लिये एक परिवार, अलेप्पो गवर्नरेट के उत्तरी हिस्से में आफ़रीन में पहुँचता हुआ. (फ़ाइल फ़ोटो)

सीरिया: कड़ी सर्दी का सामना करने के लिये ज़्यादा सहायता की सख़्त ज़रूरत

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के कार्यवाहक उप संयोजक रमेश राजसिंघम ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि सीरिया में आगामी सम्भवतः बहुत कड़ी सर्दियों के मौसम में 3 लाख से ज़्यादा लोगों को मदद की ज़रूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि विस्थापित लोगों की हालत ख़ासतौर पर, बहुत गम्भीर है.

ध्यान रहे कि सीरिया में लगभग 67 लाख लोग देश के भीतर ही विस्थापित हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई के पास तो ठहरने के लिये समुचित ठिकाना भी नहीं है और उन्हें क्षतिग्रस्त इमारतों, या स्कूल और टैण्टों जैसे सार्वजनिक स्थलों में रहना पड़ रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के कार्यकारी सहायक महासचिव रमेश राजसिंघम ने राजदूतों को ऑनलाइन सम्बोधन में बताया कि सीरिया में जिन लोगों के पास रहने के लिए समुचित ठिकाना नहीं है, उनके लिये आगामी सर्दी बहुत मुश्किल होगा. उनमें से बहुत से लोगों के पास तो गर्माई करने के लिये ईंधन, कम्बल, गरम कपड़े या जूते वग़ैरा भी नहीं हैं.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों के कार्यवाहक सहायक महासचिव और आपदा राहत कार्यों के उप संयोजक रमेश राजसिंघम, सीरिया मुद्दे पर सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए.
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भुखमरी की मार

रमेश राजसिंघम ने आर्थिक संकट का ज़िक्र करते हुए ध्यान दिलाया कि सीरियाई मुद्रा के अवमूल्यन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के बीच, वहाँ के लोगों को अपने परिजनों को भरपेट भोजन का इन्तेज़ाम करना भी मुश्किल हो रहा है.

“सीरिया में, इस समय, लगभग 93 लाख लोगों के पास अपना पेट भरने के लिये पर्याप्त साधन नहीं हैं. एक साल पहले की तुलना में ये संख्या लगभग 14 लाख ज़्यादा है, और मौजूदा संकट में कभी भी इतनी बड़ी संख्या में लोग खाद्य असुरक्षित नहीं रहे.”

उन्होंने बताया कि इनमें से भी लगभग 10 लाख लोगों की खाद्य स्थिति गम्भीर रूप से असुरक्षित है जोकि पिछले साल की तुलना में दोगुनी संख्या है, और ये संख्या और भी बढ़न  की आशंका है.

हिंसा में फँसे

कार्यकारी सहायक महासचिव रमेश राजसिंघम ने सीरिया में आम लोगों की सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान दिलाया कि देश के कुछ इलाक़ हाल के दौर की हिंसा से बचे हुए थे, लेकिन अब वहाँ भी हिंसा देखी जा रही है, जोकि उनके मानवाधिकारों और सलुरक्षा के लिये गम्भीर नतीजे पैदा कर सकती है.

नवम्बर में देश के पश्चिमोत्तर इलाक़े में गोलाबारी और हवाई हमलों के कारण कम से कम 8 लोगों की मौत हुई है और 15 अन्य घायल हुए हैं. इनमें दो ऐसे सहायताकर्मी भी हैं जो यूनीसेफ़ समर्थित एक बाल अनुकूल स्थल को लौट रहे थे.

इसके अलावा, पिछले दो महीनों के दौरान, कम से कम छह मानवीय सहायताकर्मियों की मौत हुई है और कुछ अन्य घायल हुए हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हमारे मानवीय सहायता सहयोगी, हर दिन जिन ख़तरों का सामना कर रहे हैं, वो क़तई स्वीकार्य नहीं है. मानवीय सहायताकर्मियों को किसी भी तरह के हमलों के डर के बिना सहायता उपलब्ध कराने परिस्थितियाँ मिलनी चाहिये.”

उन्होंने बताया कि पहले से ही जर्जर अवस्था वाली स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड-19 के कारण और भी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

मामूली राजनैतिक क़दम

सीरिया के लिए उप विशेष दूत ख़ावला मतार ने वर्चुअल मीटिंग में कहा कि कोविड-19 के कारण अत्यधिक चुनौतियों के बावजूद, संवैधानिक समिति के कामकाज में मामूली प्रगति ही दर्जी की जा रही है. ये समिति देश के भविष्य के लिये एक नया रोडमैप तैयार कर रही है. 

हालाँकि उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि केवल संवैधानिक रास्ता ही संकट का समाधान नहीं निकाल सकता है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा नज़र आने वाली शान्ति बहुत नाज़ुक है और एक दीर्घकालीन टिकाऊ युद्धविराम से बहुत दूर है.

देश के सामने अब भी आतंकवादी चुनौतियों का जोखिम मौजूद है, और सीरिया में वास्तविक शान्ति स्थापित करने के लिये, हिंसा को रोका जाना बहुत ज़रूरी है, इसमें महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा भी शामिल है.