आतंकवाद के पीड़ितों को यूएन का भरोसा: 'आप अकेले नहीं हैं'

आतंकवाद के प्रभावितों की याद में और अपना जीवन गँवा चुके लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले चौथे वार्षिक दिवस के अन्तर्गत, शुक्रवार को, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, एक उच्च स्तरीय वार्षिक कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित किया गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ-साथ, आतंकवाद से प्रभावित कुछ जीवितों ने भी शिरकत की. इस कार्यक्रम में, दुनिया भर में आतंकवाद के लगातार रूप बदलते ख़तरे के ख़िलाफ़, निकट सम्पर्क रखने, एकजुटता और लगातार चौकसी बरते जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया.
इस कार्यक्रम में, आतंकवाद के पीड़ितों के पैरोकारों ने, एक प्रतिभागी सत्र का नेतृत्व किया और प्रतिभागियों ने अपनी बात रखी. साथ ही एक फ़िल्म - "Surviving Terrorism: The Power of Connections” भी प्रदर्शित की गई.
At the International Day of #VictimsOfTerrorism the @UN_OCT launches the film "Surviving Terrorism: The Power of Connections” where 8 victims tell their stories and share their experiences.#UNiteforVictimsofTerrorism #UNCCT📺 https://t.co/ZaDU0dtimP📽️ https://t.co/ApmI6wyFlI pic.twitter.com/BhnBnLSvPS
UN_OCT
ये कार्यक्रम ऐसे समय आयोजित किया गया जब अमेरिका के न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में, 11 सितम्बर 2001 को हुए आतंकवादी हमलों की, 20वीं वर्षगाँठ मनाए जाने की तैयारी की जा रही है.
उन हमलों में लगभग 3000 लोग मारे गए थे और अन्य अनेक घायल हुए थे, और सम्पत्ति का भारी नुक़सान हुआ था. साथ ही, अफ़ग़ानिस्तान में, तेज़ी से बदलते हालात पर भी दुनिया की नज़रें टिकी हुई हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस उच्च स्तरीय कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए, आतंकवाद की चपेट में आकर अपनी जान गँवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की, और जीवित बचे लोगों की हिम्मत को अभिवादन प्रस्तुत किया गया. इनमें न्यूयॉर्क से लेकर बग़दाद, और अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र तक, सभी इलाक़ों में प्रभावित लोग शामिल थे.
यूएन महासचिव ने कहा, “वर्ष 2001 के बाद से, हमने देखा है कि आतंकवाद ने नए और, अतीत में सोच से भी बाहर समझे जाने वाले रूप धारण किये हैं, दुनिया भर में हज़ारों लोगों को मारा है और ज़ख़्मी किया है, परिवार तबाह किये हैं और समाजों में उथल-पुथल मचाई है.”
उन्होंने कहा कि हिंसक धार्मिक और राजनैतिक अतिवाद, पूर्वाग्रह, नफ़रत और नस्लभेद ने, इस भीषण तबाही में और इज़ाफ़ा किया है.
यूएन प्रमुख ने, आतंकवाद के पीड़ित लोगों व परिवारों द्वारा अनुभव किये जा रहे एकाकीपन और अलग-थलग पड़ने की भावना को पहचानते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लागू पाबन्दियों ने, अपने परिजनों से निकट सम्पर्क स्थापित करने की उनकी सामर्थ्य व योग्यता को सीमित किया है.
कुछ मामलों में, महामारी के कारण ऐसे ज़रूरी संसाधन भी ख़त्म हो गए हैं, पुनर्वास के लिये, जिनकी ज़रूरत थी.
यूएन प्रमुख ने अपने सन्देश में, वर्ष 2021 के अन्तरराट्रीय दिवस के मुख्य विषय पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि आपसी सम्पर्क क़ायम रखना, आतंकवाद के पीड़ितों के लिये, घाव भरने वाला एक कारक है, जिससे उनकी बात सुने जाने और उनकी तकलीफ़ें देखे जाने की भावना महसूस होती है.
उन्होंने कहा, “हम, आतंकवाद के तमाम पीड़ितों और जीवित बच सके लोगों से कहना चाहते हैं: आप अकेले नहीं हैं.”
11 सितम्बर 2001 के हमलों के बाद के वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र और सदस्य देशों ने, आतंकवाद के पीड़ितों के अधिकारों को मज़बूती देने और उनके सम्पर्क विकसित के लिये सघन प्रयास किये हैं. इन प्रयासों के तहत, सिविल सोसायटी, पीड़ितों के संगठनों और ख़ुद पीड़ितों के साथ मिलकर काम किया जाता रहा है.
संयुक्त राष्ट्र ने, एक मज़बूत व कुशल आतंकवाद निरोधक ढाँचा भी तैयार किया है जिसके तहत देशों को, ऐसा प्रभावशाली आतंकवाद निरोधक फ़्रेमवर्क तैयार करने में मदद मुहैया कराई जाती रही है, जिसमें मानवाधिकार क़ानून का ख़याल रखा जाए.
संयुक्त राष्ट्र परिषद ने, एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए, वर्ष 2001 में, प्रस्ताव 1372 पारित किया, जिसके ज़रिये संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद निरोधक समिति का गठन किया गया.
यूएन महासभा ने भी एक प्रस्ताव 40/288 पारित किया जिसते तहत संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति तैयार की गई. सदस्य देश, हर दो वर्ष में, इस रणनीति की समीक्षा करते हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार के इस उच्चस्तरीय कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए ज़ोर देकर कहा कि स्मरण का अर्थ केवल उन्हें याद करना और सम्मान देना भर नहीं है जिनकी ज़िन्दगियाँ आतंकवाद ने लील लीं, बल्कि भविष्य में आतंकवादी हमले होने से रोकने के लिये, वैश्विक समुदाय की साझा ज़िम्मेदारी के बारे में एक बेहतर समझ बनाना भी है.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा, लोगों को सुरक्षित रखने और आतंकवादियों की कहानियों व दलीलों को नाकाम करने के लिये किये जा रहे कामकाज व प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी.