कोविड-19: संक्रमण से दीर्घकालीन स्वास्थ्य पर असर के मामले चिन्ताजनक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कोविड-19 महामारी के उन मामलों पर चिन्ता जताई है जिनमें लोग कोरोनावायरस के संक्रमण से उबरने के बावजूद लम्बे समय तक पूर्ण रूप से स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे है. इस बीच गुरूवार को आपात समिति की बैठक में मौजूदा हालात की समीक्षा के बाद स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक महामारी अब भी अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा है.
कोरोनावायरस के संक्रमण के अब तक चार करोड़ 48 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 11 लाख 78 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान ऐसे मरीज़ों के मामले लगातार सामने आए हैं जो कोविड-19 के मध्यम और दीर्घकालीन प्रभावों का सामना कर रहे हैं.
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WHO
उन्होंने बताया कि यह चिन्ताजनक है कि उनके लक्षण अनेक प्रकार के हैं जो समय के साथ बदलते हैं और शरीर के किसी भी अंग या प्रणाली पर असर डाल सकते हैं.
“ये लक्षण थकान, खाँसी, और साँस फूलने से लेकर फेफड़ों और दिल सहित अन्य अंगों में सूजन या चोट जैसे हो सकते हैं. इसके मनोवैज्ञानिक और न्यूरॉलॉजिकल (तन्त्रिका सम्बन्धी) असर भी होते हैं.”
महानिदेशक घेबरेयेसस के मुताबिक इस वायरस के बारे मे अब भी जानकारी जुटाई जा रही है लेकिन यह स्पष्ट है कि यह महज़ एक ऐसा वायरस नहीं है जो लोगों की जान लेता है.
कुछ लोगों के लिये यह बीमारी लम्बे समय के लिये गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकती है.
इन समस्याओं से लोग उबरते हैं लेकिन यह प्रक्रिया धीमी है जिसमें कभी-कभी हफ़्तों या महीनों का समय लग सकता है.
कोरोनावायरस के दीर्घकालीन स्वास्थ्य प्रभावों का सामना कर रहे लोगों की संख्या के सम्बन्ध में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन कोविड-19 के संक्रमण के बाद उसके अन्य लक्षण या जटिलताएँ अस्पतालों में भर्ती होने और घरों में ही स्वास्थ्य लाभ करने वाले, दोनों प्रकार के संक्रमितों में देखने को मिले हैं.
ऐसे मामले महिलाओं और पुरुषों, युवाओं और बुज़ुर्गों, और यहाँ तक कि बच्चों में भी देखने को मिले हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 संक्रमण से पूरी तरह जल्द से जल्द उबरने के लिये और स्वास्थ्य जटिलताओं की रोकथाम के लिये और अनुसन्धान जारी रखने की बात कही है.
इससे स्वास्थ्य देखभाल के सर्वश्रेष्ठ मानक स्थापित करने में मदद मिलेगी.
उधर गुरुवार को आपात समिति की पाँचवी बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा के बाद बताया गया है कि अब भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात हालात बने हुए हैं.
समिति ने अब तक सीखे गए सबक़ और मज़बूत विज्ञान के आधार पर जवाबी कार्रवाई को आकार देने का आग्रह किया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख डॉक्टर घेबरेयेसस ने समिति की सलाह को स्वीकार करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया भर में साझीदारों के साथ विज्ञान, समाधान और एकजुटता के ज़रिये कार्य जारी रखेगा.
आपात समिति ने यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और सदस्य देशों से अन्तरराष्ट्रीय यातायात, निगरानी और कॉन्टैक्ट ट्रेसिन्ग प्रयासों में तथ्यपरक, जोखिम-आधारित और सुसंगत उपाय अपनाने की अहमियत पर बल दिया है.
साथ ही मानसिक सहित अन्य ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ सुचारू रूप से जारी रखने और कोविड-19 की सम्भावित वैक्सीन के लिये तैयारी पर ज़ोर दिया गया है.
समिति ने कहा है कि महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में कार्रवाई का राजनीतिकरण करने से बचा जाना होगा.