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कोविड-19: वैज्ञानिक शोध की उपलब्धता और सुलभता को बढ़ावा देने की पुकार

थाईलैण्ड के बैंकॉन्क में एक स्वास्थ्य व विज्ञान केन्द्र की एक प्रयोगशाल में काम करते हुए एक टैक्नीशियन.
WHO/P. Phutpheng
थाईलैण्ड के बैंकॉन्क में एक स्वास्थ्य व विज्ञान केन्द्र की एक प्रयोगशाल में काम करते हुए एक टैक्नीशियन.

कोविड-19: वैज्ञानिक शोध की उपलब्धता और सुलभता को बढ़ावा देने की पुकार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र की तीन प्रमुख एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने वैज्ञानिक शोध को सभी के लिये सुलभ बनाये जाने (Open science) की दिशा में वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है. यूएन अधिकारियों ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई में पारस्परिक सहयोग को बेहद अहम बताया है और तथ्य-आधारित ज्ञान को महज़ राय के रूप में पेश किये जाने में निहित जोखिमों के प्रति भी आगाह किया है. 

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने मंगलवार को कहा कि यह समय विज्ञान से मिलने वाले लाभों को सभी के लिये सुनिश्चित करने का है. 

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख घेबरेयेसस ने कहा, "इस कठिन दौर में, सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य तकनीकों और खोजों को महज़ कुछ लोगों के लिए संरक्षित नहीं किया जा सकता है."

“वे सभी के लिये उपलब्ध होने चाहिएँ. आख़िर, अत्याधुनिक तकनीकों का उद्देश्य ही क्या रहेगा यदि वे उन लोगों तक नहीं पहुँच सके जिनकी उन्हें सबसे अधिक आवश्यकता है?”

उन्होंने कहा कि अक्सर गुप्त या बौद्धिक संपदा द्वारा संरक्षित रखे जाने वाले डेटा और जानकारी को साझा किये जाने से टैक्नॉलॉजी के विकास की गति को तेज़ी से आगे बढ़ाया सकता है.

यूएन एजेंसी महानिदेशक के मुताबिक एक खुली शोध प्रक्रिया पारदर्शिता को भी बढ़ावा देती है और दुरुपयोग से बचाने में मदद करती है और दूसरों से शोध प्रक्रिया को मान्यता दिलाने की अनुमति देती है.

यूनेस्को की प्रमुख ऑड्री अज़ोले ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई ने विज्ञान तक सार्वभौमिक पहुँच की आवश्यकता और सहयोग की क्षमता को रेखांकित किया है. 

“वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय द्वारा दिखाई गई एकजुटता भविष्य के लिए एक मॉडल है. वैश्विक चुनौतियों के समक्ष हमें सामूहिक बुद्धिमत्ता की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है.”

अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और मानकों की दिशा में प्रयासों के तहत, यूनेस्को के 193 सदस्य देशों ने संगठन को एक अन्तरराष्ट्रीय साधन का मसौदा तैयार करने के लिये कहा है. 

इन अनुशन्साओं के ज़रिये वैज्ञानिक शोध की सुलभता व उपलब्धता बढ़ाने के लिये सिद्धांतों व मूल्यों को समाहित किये हुए एक सुसंगत प्रस्ताव को पेश किया जायेगा. 

यूनेस्को प्रमुख ने बताया कि इसका पहला मसौदा पिछले महीने पूरा हो गया था और अब उस पर रायशुमारी की जा रही है. वर्ष 2021 के अन्त तक अन्तिम संस्करण को तैयार किये जाने की उम्मीद है. 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने स्पष्ट किया कि ज्ञान को साझा किया जाना मानवाधिकारों से जुड़ा मामला है. 

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का मूल सिद्धांत जनता के साथ पूर्ण और ईमानदार जुड़ाव की आवश्यकता प्रदर्शित करता है. 

मिशेल बाशेलेट ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि बल के इस्तेमाल से इस महामारी को कम या समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन विज्ञान के उपयोग और पूर्ण जानकारी के ज़रिये हासिल की गई सार्वजनिक अनुमति और अनुपालन के ज़रिये इसे प्राप्त करना सम्भव है.