वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

भारत: बिहार में बाढ़ से राहत में लैंगिक संवेदनशीलता

दक्षिण एशिया में प्रभावित समुदायों को यूएन और साझीदार संगठन राहत सामग्री का वितरण करते रहें हैं.
UNFPA
दक्षिण एशिया में प्रभावित समुदायों को यूएन और साझीदार संगठन राहत सामग्री का वितरण करते रहें हैं.

भारत: बिहार में बाढ़ से राहत में लैंगिक संवेदनशीलता

स्वास्थ्य

भारत के पूर्वी प्रदेश बिहार में बढ़ती कोविड-19 महामारी और ऊपर से बाढ़ की मार ने लोगों की मुसीबतें कई गुना बढ़ा दी हैं. ख़ासतौर पर किशोरियों और महिलाओं के लिये ज़रूरी सेवाओं तक पहुँच बहुत कठिन हो गई है. ऐसे में भारत में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए) ने महिलाओं और किशोरियों को स्वास्थ्य व स्वच्छता सम्बन्धी विभिन्न आवश्यक सेवाएँ देने का बीड़ा उठाया है.  

समस्याओं की बाढ़

बिहार प्रदेश राजसी हिमालय पर्वत की चोटियों से बहने वाली नदियों के कारण दुनिया के सबसे बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में से एक माना जाता है.

भारत में बाढ़ से बचने के लिये बनाए गए अस्थायी आश्रय.

महामारी के कारण पहले से ही जटिल सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ का सामना कर रहे इलाक़े के लोगों की परेशानियाँ, बाढ़ आने से और ज़्यादा बढ़ गई हैं. राज्य के अनेक हिस्सों में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

सेवाओं और आवश्यक वस्तुओं तक लोगों की पहुँच बाधित होने से सबसे ज़्यादा महिलाओं, लड़कियों और बच्चों पर गम्भीर प्रभाव पड़ा है. 

फसलों और पशुओं की व्यापक हानि

महिलाओं, किशोरियों और युवतियों की ज़रूरतों का अन्दाज़ा लगाने के लिये जनसंख्या कोष के अपने साझीदार ‘प्लान इण्डिया’ द्वारा किये गए एक आकलन में चिन्ताजनक और लैंगिक-समानता में गड़बड़ी से भरे निष्कर्ष सामने आए.

इनमें अस्थायी, तंग आश्रयों में एक साथ रहने वाले विस्थापित परिवारों की परेशनियाँ, लड़कियों के लिये एकान्त स्थानों की कमी; गर्भवती महिलाओं के लिये नियमित प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं की कमी; बाढ़ के पानी के नीचे डूबे शौचालयों; और सैनिटरी नैपकिन तक पहुँच का अभाव जैसी गम्भीर स्थितियाँ उजागर हुईं.

अस्थायी राहत स्थल

आजीविका और आय की हानि ने महिलाओं और किशोरियों के लिये व्यक्तिगत और मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने के लिये आवश्यक वस्तुओं की ख़रीद लगभग असम्भव बना दी है, जिससे उनकी मुसीबतें और ज़्यादा बढ़ गई हैं.

यूएनएफ़पीए द्वारा‘डिग्निटी किट्स’ का वितरण

बिहार के बाढ़ प्रभावित ज़िले सीतामढ़ी के रूनी गाँव की एक महिला बताती हैं, “संकट के दौरान, हम दुकानों तक पहुँच न होने के कारण बुनियादी आवश्यक वस्तुओं की ख़रीद नहीं कर पाए क्योंकि हमारे इलाक़े में बाढ़ का पानी भर गया था. हमारे पास व्यक्तिगत स्वच्छता और मासिक धर्म स्वास्थ्य पर ख़र्च करने के लिये अतिरिक्त धन नहीं है.”

रूनी की एक किशोरी, पूजा कुमारी बताती हैं, “हमें तुरन्त किसी मदद की उम्मीद नहीं थी. मेरा परिवार सैनिटरी पैड जैसी ज़रूरतों पर धन ख़र्च करने की स्थिति में नहीं था.”

यूएनएफ़पीए अपने कार्यान्वयन भागीदार ‘योजना भारत’ के माध्यम से, राज्य के दो सबसे प्रभावित ज़िलों - सीतामढ़ी और मुज़फ्फरपुर में महिलाओं व लड़कियों के लिये संवेदनशील बाढ़ प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिये आगे आया.

‘योजना भारत’ के साथ मिलकर, यूएनएफ़पीए ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं सहित, किशोरियों और युवा महिलाओं के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य की आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करने का प्रयास किया.

जब राज्य सरकार ने कोविड-19 तालाबन्दी से जुड़े प्रतिबन्धों में ढील देने की घोषणा की, तो बिहार के लोग इस ‘नए सामान्य’ जीवन में लौटने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन भारी विनाश देखकर उनकी उम्मीदें चकनाचूर हो गईं. बाढ़ के प्रकोप के कारण बहुत से लोग अपने घर और गाँव छोड़कर, अस्थायी राहत आश्रयों में रहने के लिये मजबूर हो गए.

इस समय जब बहुत से लोग निराश महसूस कर रहे थे, यूएनएफ़पीए की ‘ट्रेडमार्क डिग्निटी किट्स’ ने उन गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और स्तनपान कराने वाली माताओं को राहत प्रदान की, जो ग़रीब और बेहद कमज़ोर समुदायों से सम्बन्धित थीं. इन किटों में सैनिटरी पैड, अण्डरक्लॉथ, टूथब्रश, टूथपेस्ट, शैम्पू और साबुन समेत रोज़मर्रा काम आने वाली चीज़ें शामिल थीं. 

भारत के बिहार राज्य में,यूएनएफ़पीए ने बाढ़ के दौरान विभिन्न प्रकार की मानवीय राहत प्रदान की.

यूएनएफ़पीए और ‘योजना भारत’ का लक्ष्य - लगभग 7000 ‘डिग्निटी किट’ वितरित करना है.

11 सितम्बर तक, सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, 2 हज़ार 902 किशोरियों, 814 गर्भवती महिलाओं और  स्तनपान कराने वाली एक हज़ार 917 माताओं समेत प्रभावित परिवारों को 5 हज़ार 633 किटें वितरित की जा चुकी हैं. 

इसके लिये इन महिलाओं ने अपार कृतज्ञता व्यक्त की है.

डिग्निटी किटों का वितरण

सीतामढ़ी ज़िले की एक आंगनवाड़ी (ग्राम आंगनवाड़ी केन्द्र) कार्यकर्ता पुनीता देवी बताती हैं, “गाँव के अत्यन्त ग़रीब परिवारों के लिये यह अवसर उचित समय पर आया क्योंकि वे ये वस्तुएँ कोविड-19 संकट के दौरान नहीं ख़रीद सकते थे. किटों में दी गई वस्तुएँ किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बहुत उपयोगी हैं.” 

मुज़फ्फरपुर ज़िले के वार्ड सदस्य, रामसागर साहनी का कहना है, “कोविड-19 के कारण समुदाय के लोग डरे हुए थे और उसी दौरान अचानक बाढ़ के पानी ने गाँव में प्रवेश किया. हम सभी थोड़ा बहुत सामान लेकर, अपने घर छोड़कर गाँव के किनारे चले गए."

"सभी लोग कठिनाइयों से जूझ रहे थे, लेकिन अपनी दैनिक ज़रूरतें पूरी करने में असमर्थ थे. यूएनएफ़पीए-प्लान इण्डिया समर्थित डिग्निटी किट महिलाओं और लड़कियों की स्वच्छता और दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने में बहुत उपयोगी साबित हुए.”

ज़िला मुज़फ़्फ़रपुर में गायघाट की ग्राम प्रधान, राधा देवी कहती हैं, “किसान और दिहाड़ी मज़दूरों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा क्योंकि बाढ़ से फ़सलें बह गईं और कोविड-19 से आजीविका प्रभावित हो गई थी. ग़रीब लोग कल्याण और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित थे और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे." 

सबका साथ, सबका विकास.

"सीमित संसाधनों के साथ, वे भोजन, कपड़े और दैनिक उपयोग की स्वच्छता वस्तुओं जैसी बुनियादी ज़रूरतें तक पूरी करने में असमर्थ थे. संकट के इस समय में सबसे कमज़ोर तबके के लोगों के लिये यूएनएफ़पीए की मदद काफी फायदेमन्द साबित हुई. ये वस्तुएँ निश्चित रूप से इस संकट का सामना करने में उनकी मदद करेंगी.”

हालाँकि बाढ़ का पानी अब उतार पर है और स्थिति धीरे-धीरे बेहतर हो रही है, लोग अपने घरों को लौट रहे हैं, लेकिन सम्पत्ति और आजीविका के भारी नुक़सान को नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता है.

कभी भी बाढ़ आने का ख़तरा लोगों में दहशत पैदा कर देता है क्योंकि वो प्राकृतिक आपदा और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी की दोहरी मार से संघर्ष कर रहे हैं. 

यूएनएफ़पीए ‘डिग्निटी किट्स’ के ज़रिये आपदा राहत सहायता ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में मुहैया कराई गई है, जब लोग अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं.

इससे अनेक किशोरियाँ मासिक धर्म स्वच्छता की कमी के कारण गम्भीर स्वास्थ्य ख़तरों की शिकार होने से बच रही हैं.

सैनिटरी पैड, एन्टीसेप्टिक तरल पदार्थ, साबुन पाउडर और टॉयलेट साबुन जैसी वस्तुएँ उन तक पहुँचाकर, निश्चित रूप से उनकी स्वच्छता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है. ये ऐसी चीज़ें हैं जिन पर ख़र्च करने के लिये उनके पास धन नहीं है.

कोई भी पीछे न छूट जाए

यूएनएफ़पीए भारत और दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की मानवीय राहत प्रदान करता है, जिनमें ‘डिग्निटी किट्स,’ लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक सहायता और सुरक्षित गर्भावस्था व प्रसव सेवाएँ प्रदान करना शामिल हैं.

संघर्ष कर रही महिलाओं और लड़कियों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना, महिलाओं और लड़कियों के यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

यह एक ऐसा मिशन है जो ‘किसी को भी पीछे न छोड़ने’ के सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करता है.

ये लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ - https://india.unfpa.org/en/news/gender-sensitive-flood-response-–-unfpa-initiative-bihar