बांग्लादेश, भारत और नेपाल में बाढ़ से हालात विकट

बांग्लादेश में बाढ़ से बड़े पैमाने पर जनजीवन प्रभावित हुआ है और हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है. भारत के असम राज्य और पड़ोसी देश नेपाल में भी मॉनसून की बारिश के बाद बाढ़ से हालात गम्भीर हैं. 40 लाख से ज़्यादा लोग अभी तक विस्थापित हुए हैं और 189 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजैरिक ने मंगलवार को बताया कि वर्ष 1988 के बाद पहली बार बांग्लादेश में इतनी लम्बी अवधि तक बाढ़ का सामना करना पड़ा है.
अब तक बांग्लादेश के 18 ज़िलों में 24 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, 56 हज़ार लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है और 54 लोगों की मौत हुई है.
संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियाँ अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर प्रभावित लोगों तक भोजन, जल शोधन सुविधा, साफ़-सफ़ाई बनाए रखने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली किट का वितरण कर रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र के ‘सैन्ट्रल एमरजेंसी रिस्पॉन्स फंड’ (CERF) से अब तक यूएन एजेंसियों को राहत कार्यों के लिए 52 लाख डॉलर की राशि प्रदान की जा चुकी है.
हाल ही में आए चक्रवाती तूफ़ान ‘अम्फ़न’ और कोविड-19 महामारी के मोर्चों पर चुनौतियों के कारण बाढ़ की आपदा से निपटने की कार्रवाई और भी जटिल हो गई है.
यूएन प्रवक्ता स्टेफ़ान दुजैरिक ने इससे पहले सोमवार को बताया था कि भारत के असम राज्य और नेपाल में बाढ़ के कहर से लगभग 40 लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर संयुक्त राष्ट्र भारत सरकार की हरसम्भव मदद करने के लिये तैयार है.
नेपाल में स्थानीय प्रशासन ने निचले तटीय इलाक़ों और तराई क्षेत्र में रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का आग्रह किया है.
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