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दक्षिण एशियाई देशों में विनाशकारी बाढ़ से लाखों बच्चे प्रभावित

बांग्लादेश के कुरीग्राम ज़िले में एक बच्चा बाढ़ प्रभावित इलाक़े से होकर स्कूल जाते हुए. यह फ़ोटो बांग्लादेश में अगस्त 2016 में आई बाढ़ के दौरान लिया गया था.
UNICEF/Akash
बांग्लादेश के कुरीग्राम ज़िले में एक बच्चा बाढ़ प्रभावित इलाक़े से होकर स्कूल जाते हुए. यह फ़ोटो बांग्लादेश में अगस्त 2016 में आई बाढ़ के दौरान लिया गया था.

दक्षिण एशियाई देशों में विनाशकारी बाढ़ से लाखों बच्चे प्रभावित

मानवीय सहायता

बांग्लादेश, भारत और नेपाल में कई हफ़्तों से हो रही मूसलाधार बारिश, बड़े पैमाने पर आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं के कारण लाखों बच्चे और उनके परिवार प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के मुताबिक 40 लाख से ज़्यादा बच्चों को तत्काल जीवनरक्षक सहायता प्रदान किये जाने की ज़रूरत है और मौजूदा हालात में अन्य लाखों बच्चों पर भी जोखिम मंडरा रहा है. 

दक्षिण एशिया में यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक जीन गॉफ़ ने बताया कि इस क्षेत्र में चरम मौसम से जनजीवन पर असर पड़ना कोई नहीं बात नहीं है लेकिन हाल के दिनों में मॉनसून की भारी बारिश, बाढ़ और लगातार हो रहे भूस्खलन से बच्चों और उनके परिवार के जीवन में मानो तूफ़ान आ गया है. 

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“कोविड-19 महामारी, पाबन्दियों व अन्य रोकथाम उपायों के कारण जटिलताएँ और बढ़ रही हैं, साथ ही प्रभावित इलाक़ों में कोविड-19 के संक्रमण के मामलों की भी रफ़्तार बढ़ रही है.”

भारत, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 700 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अनेक लोग अब भी लापता हैं. बच्चों के डूब जाने की घटनाओं की लगातार ख़बरें मिल रही हैं.  

भारत के बिहार, असम, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में 60 लाख से ज़्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इनमें लगभग 24 लाख बच्चे हैं. 

साल के इस मौसम में बाढ़ आना सामान्य बात है लेकिन जुलाई महीने में इतने व्यापक स्तर पर बाढ़ को असाधारण बताया गया है. 

इसी दौरान भारत में कोविड-19 के संक्रमित लोगों की संख्या में तेज़ इज़ाफ़ा हो रहा है और हर दिन लगभग 30 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं.  

यूनीसेफ़ कोरोनावायरस संकट से असरदार ढँग से निपटने के लिये भारत सरकार व साझीदार संगठनों के साथ काम कर रहा है – साथ ही असम में राज्य सरकार को मदद दी जा रही है ताकि राहत शिविर प्रबन्धन दिशानिर्देशों और बच्चों के लिये अनुकूल माहौल बनाया जा सके.

इसके अलावा मातृत्व और बाल स्वास्थ्य सेवाएँ जारी रखने के भी प्रयास किये जा रहे हैं. 

बांग्लादेश में बाढ़ से 24 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें 13 लाख बच्चे हैं. अब तक पाँच लाख से ज़्यादा परिवारों को अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है. 

बांग्लादेश को इस आपदा से ऐसे समय में जूझना पड़ रहा है जब लोग चक्रवाती तूफ़ान ‘अम्फन’ के प्रभावों से अभी उबर ही रहे हैं, और स्वास्थ्य प्रणालियों व आपात सेवाओं पर कोविड-19 से निपटने का बोझ है. 

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बांग्लादेश में अब तक कोविड-19 के संक्रमण के दो लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है. 

उधर नेपाल में 9 जुलाई से अब तक देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ व भूस्खलन से 20 ज़िले प्रभावित हुए हैं, जिनके कारण 100 लोगों की मौत हो चुकी है, 48 लापता हैं और 87 लोग घायल हुए हैं. 10 हज़ार प्रभावित लोगों में आधी संख्या बच्चों की है, जबकि साढ़े सात हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.  

भूटान में भी अनेक स्थानों पर मॉनसून की बारिश के कारण भूस्खलन होने के समाचार हैं. परिवहन व संचार साधनों के क्षतिग्रस्त होने से मुख्य राजमार्ग व अन्य सड़कों के ज़रिये यातायात और सम्पर्क प्रभावित हुआ है.

बारिश की वजह से फ़सलों और जल शोधन संयन्त्र को भी नुक़सान पहुँचा है, अब तक चार लोगों की मौत होने की ख़बर है. 

यूनीसेफ़ मानवीय राहत कार्यों को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से सरकारों व साझीदार संगठनों के साथ मिलकर ज़मीनी स्तर पर काम कर रहा है. 

इन प्रयासों के तहत प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों की तात्कालिक ज़रूरतें पूरी की जा रही हैं लेकिन कोविड-19 महामारी और ऐहतियाती उपायों के कारण राहत कार्य में चुनौतियाँ पेश आ रही हैं. 

कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिये शारीरिक दूरी बरती जाना और हाथ धोना महत्वपूर्ण हैं, आपात शरण स्थलों पर प्रभावित समुदायों के लिये इन उपायों का ख़याल रखना और भी ज़्यादा अहम हो जाता है. 

बहुत से इलाक़ों में पहुँचना अब भी सम्भव नहीं है क्योंकि सड़कों, पुलों, रेलवे लाइनों और हवाई अड्डों को क्षति पहुँची है.

बच्चों तक पीने का साफ़ पानी पहुँचाना, भोजन, वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिये साफ़-सफ़ाई किटों का वितरण और रहने के लिए सुरक्षित जगह सुनिश्चित करना सबसे अहम है.