वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

दक्षिण एशिया में बारिश से जीवन अस्त-व्यस्त, अनेक की मौत

बांग्लादेश में भारी बारिश के बाद उफ़नती नदी को पार करता एक बच्चा.
UNICEF/Thomas Nybo
बांग्लादेश में भारी बारिश के बाद उफ़नती नदी को पार करता एक बच्चा.

दक्षिण एशिया में बारिश से जीवन अस्त-व्यस्त, अनेक की मौत

मानवीय सहायता

भारत, नेपाल और बांग्लादेश में मूसलाधार बारिश, भीषण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में अब तक कम से कम 93 बच्चों की मौत हो चुकी है और लाखों लोगों की ज़िंदगियों पर जोखिम मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रभावितों तक तत्काल राहत पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.  साथ ही एहतियाती उपाय करने का आग्रह किया गया है.

दक्षिण एशिया में यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक जीन गॉफ़ ने गुरुवार को बताया, “भारी बारिश, बाढ़और ज़मीन धंसने से लाखों बच्चों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.”

कुछ अनुमानों के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अब तक 1 करोड़ 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. “जिस तरह से बारिश अब भी जारी है, प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ने की संभावना है.”

Tweet URL

अनेक इलाक़ों में सड़कों, पुलों और रेलवे लाइन को नुक़सान पहुंचा है जिस वजह से वहां पहुंचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रभावित बच्चों को तत्काल साफ़ पानी, भोजन और रहने के लिए सुरक्षित स्थानों की आवश्यकता है.

इस स्थिति से निपटने के लिए यूनीसेफ़ तीनों देशों में सरकारों और साझेदार मानवीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों तक ज़रूरी मदद पहुंचाई जा सके.

“यूनीसेफ़ तत्काल राहत प्रदान करने में जुटा है, स्थानीय प्रशासन और साझेदार संगठनों के साथ मिलकर काम करते हुए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि बच्चों को सुरक्षित रखा जाए और उन्हें आवश्यक मदद मुहैया कराई जाए.”

जीन गॉफ़ का कहना था, “पूरे क्षेत्र में हम चरम मौसम की घटनाओं से बच्चों और परिवारों पर पड़ने वाले बुरे असर को देख रहे हैं. और जैसे-जैसे मौसमी घटनाएं ज़्यादा तीव्र और अप्रत्याशित होंगी, बच्चों को उनकी महंगी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.”

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में एक करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें 43 लाख बच्चे शामिल हैं. आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब हो सकती है और प्रभावितों की संख्या बढ़ेगी.

भारत के कुछ हिस्सों में तेज़ बारिश और बाढ़ से विकट परिस्थितियां बनी हुई हैं, जबकि अन्य हिस्सों में लोगों को भयंकर गर्मी और पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है.

नेपाल में मौसम से जुड़ी आपदाओं की वजह से 68 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं जिनमें 28 हज़ार बच्चे हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 47 बच्चों सहित 88 लोगों की मौत हो चुकी है और 31 लोग लापता बताए जा रहे हैं. 41 लोग घायल हुए हैं.

नेपाल के मध्य और पूर्वी इलाक़ों में क़रीब 13 हज़ार परिवारों को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

बांग्लादेश

बांग्लादेश में मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश से देश का अधिकांश हिस्सा त्रस्त है.

ख़ासकर मध्य-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सा जहां अब तक बाढ़ से 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें साढ़े सात लाख बच्चे हैं.

अनुमान है कि साढ़े तीन लाख से ज़्यादा घर ध्वस्त हुए हैं और बाढ़ के पानी के कारण 1,800 से ज़्यादा स्कूलों को नुक़सान पहुंचा है.

भारी बारिश से बांग्लादेश का कॉक्सेस बाज़ार शहर भी भारी मुश्किलों का सामना कर रहा है जहां बड़ी संख्या में रोहिंज्या शरणार्थी रहते हैं.

यूनीसेफ़ का कहना है कि चरम मौसम की घटनाओं को हमेशा जलवायु परिवर्तन से नहीं जोड़ा जा सकता है लेकिन उनकी तीव्रता और बारंबरता इशारा करती है कि मानवीय गतिविधियां वैश्विक जलवायु को प्रभावित कर रही है.

ऐसी आपदाओं से लोगों की मौत होने और बर्बादी के अलावा कुपोषण, मलेरिया और हैज़ा जैसी बीमारियां अपना सिर उठाती हैं.