वैश्विक युद्धविराम की अपील के समर्थन में सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित
सुरक्षा परिषद ने यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की वैश्विक युद्धविराम की पुकार को बुधवार को अपना समर्थन देते हुए एकमत से प्रस्ताव पारित किया है जिसमें युद्धरत पक्षों से कम से कम 90 दिनों के लिए हिंसा रोकने का आहवान किया गया है ताकि प्रभावितों तक जीवनदाई मदद पहुँचाई जा सके. यूएन प्रमुख ने इस वर्ष मार्च महीने में एक अपील जारी करके सभी से लड़ाई-झगड़े छोड़कर अपनी ऊर्जा कोरोनावायरस संकट से निपटने के प्रयासों में लगाने का आग्रह किया था जिससे अब तक पाँच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद (पाँच स्थाई, दस अस्थाई सदस्य) में इस सम्बन्ध में प्रस्ताव संख्या 2532 को सर्वसम्मति से पारित किया गया. सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव में अपने एजेण्डा में सभी परिस्थितियों में हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की माँग की है.
I welcome the Security Council resolution on #COVID19 demanding a cessation of hostilities in situations on its agenda & recognizing the Secretary-General's global ceasefire appeal. Let's now truly press conflict parties to silence the guns and focus on fighting the common enemy. pic.twitter.com/r31YUGh2mi
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परिषद ने साथ ही इस सिलसिले में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के प्रयासों के लिए समर्थन जताया है.
यूएन प्रमुख ने वैश्विक एकजुटता और युद्धविराम के लिए 23 मार्च को युद्धविराम की अपील जारी की थी.
प्रस्ताव में कहा गया है कि नॉवल कोरोनावायरस से फैली महामारी का दायरा अभूतपूर्व है और इससे अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को बनाए रखने के प्रयासों के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है.
साथ ही यह संकट शान्तिनिर्माण और विकास के पथ पर अब तक हुई प्रगति में अवरोध खड़े कर सकता है, विशेषत: उन देशों में जो हिंसक संघर्ष की आँच से उबर रहे हैं.
दो पृष्ठों के इस प्रस्ताव का मसौदा फ़्राँस और ट्यूनीशिया ने तैयार किया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी के रूप में परिभाषित किए जाने के 111 दिन बाद यह प्रस्ताव पारित किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के स्थाई प्रतिनिधि क्रिस्टॉफ़ हायसगन ने बताया, “यह परिषद में एकता का एक बेहद मज़बूत संकेतक है और आशा का संकेत भी जिसे हम सुरक्षा परिषद से दुनिया को भेज रहे हैं.”
जुलाई महीने के लिये सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता जर्मनी ने सम्भाली है और उसके पहले ही दिन उन्होंने इस प्रस्ताव के पक्ष में 15 वोट आने की घोषणा की.
मानवीय राहत पर ज़ोर
सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव के ज़रिये सशस्त्र हिंसा में शामिल सभी पक्षों से कम से कम 90 दिनों के लिए मानवीय राहत के लिए हिंसा रोकने का आहवान किया है ताकि सुरक्षित, निर्बाध और सतत ढँग से जीवनरक्षक सहायता सुनिश्चित की जा सके.
हालाँकि इस प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि चरमपंथी गुट इस्लामिक स्टेट (दाएश), अल क़ायदा, अल नुसरा फ़्रंट और अन्य आतकंवादी गुटों के ख़िलाफ़ अभियान जारी रखे जाएंगे जिन्हें परिषद ने आतंकी समूहों के रूप में चिन्हित किया है.
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सुरक्षा परिषद ने महासचिव से आग्रह किया है कि संयुक्त राष्ट्र के 13 शान्तिरक्षा मिशनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोनावायरस संकट से निपटने में वे अपने मेज़बान देशों को मदद प्रदान करते रहें.
इसके अलावा हिंसाग्रस्त और मानवीय संकट से पीड़ित इलाक़ों में महामारी से निपटने के लिए यूएन द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी जानकारी उपलब्ध करानी होगी.
बुधवार को पारित इस प्रस्ताव में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का उल्लेख नहीं किया गया है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रस्ताव के मसौदे पर चीन और अमेरिका में इस बिन्दु पर मतभेद थे. ग़ौरतलब है कि अमेरिका ने इस वर्ष अप्रैल महीने में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी से अलग होने की घोषणा की थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 के संक्रमण के अब तक एक करोड़ से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी और पाँच लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव विशेष अस्थाई उपायों के तहत लिखित प्रक्रिया के ज़रिये वोट से पारित किये जाते हैं जिन्हें कोविड-19 से ऐहतियाती क़दमों के मद्देनज़र इस वर्ष मार्च में लागू किया गया था.