कोविड-19: यूएन की जवाबी कार्रवाई पर रिपोर्ट जारी, पुनर्बहाली का रोडमैप

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण विश्व में भारी उथलपुथल हुई है और स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक व सामाजिक जीवन व्यापक स्तर पर प्रभावित हुआ है. संयुक्त राष्ट्र इन हालात में लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने, वायरस पर क़ाबू पाने और आर्थिक संकट के दंश को कम करने के लिए अनेक मोर्चों पर मज़बूती से प्रयासों में जुटा है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोरोनावायरस संकट पर यूएन द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई पर गुरूवार को रिपोर्ट जारी करते हुए ये जानकारी दी है. रिपोर्ट डिजिटल माध्यमों से जारी की गई है.
इस रिपोर्ट में कोविड-19 को विश्वव्यापी महामारी के रूप में परिभाषित किए जाने के बाद से अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा दिया गया है. साथ ही यह रिपोर्ट वैश्विक एकजुटता और एकता के ज़रिये बेहतर ढँग से पुनर्बहाली का एक रोडमैप भी पेश करती है.
Today I’m presenting our UN Response to #COVID19, a roadmap to help save lives, protect societies & recover better.We can’t go back to the way things were before the pandemic.The @UN is strongly committed to leading a fairer, more sustainable renewal.https://t.co/VroBgklxAs pic.twitter.com/ME4s9rsN0s
antonioguterres
महासचिव गुटेरेश ने कहा, “इस महामारी ने गम्भीर और प्रणालीगत विषमताओं को उजागर कर दिया है. और इसने विश्व में नाज़ुक हालात की ओर ध्यान खींचा है – ना सिर्फ़ एक अन्य स्वास्थ्य आपदा के सिलसिले में बल्कि जलवायु संकट, साइबर जगत में अराजकता और परमाणु अप्रसार के जोखिमों के प्रति भी.”
रिपोर्ट दर्शाती है कि कोविड-19 महामारी से यूएन अनेक मोर्चों पर किस तरह निपट रहा है. कोरोनावायरस संकट पर जवाबी कार्रवाई मुख्यत: तीन स्तम्भों पर केंद्रित है: मानव स्वास्थ्य, पुनर्बहाली, और सामाजिक-आर्थिक, मानवीय राहत और मानवाधिकार से जुड़े पहलुओं पर कार्रवाई.
यूएन महासचिव ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा अब तक 25 करोड़ से ज़्यादा निजी बचाव उपकरण और अन्य सामग्रियाँ 130 से ज़्यादा देशों में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भेजी जा चुकी हैं.
संगठन ने अपना सप्लाई चेन नैटवर्क सदस्य देशों के लिए उपलब्ध कराया है और साथ ही ‘ग्लोबल एयर हब’ स्थापित किए गए हैं जिनके ज़रिये पिछले कुछ हफ़्तों में भारी मात्रा में सामान भेजा गया है.
इसके साथ ही किफ़ायती और सुलभ ‘जनता वैक्सीन’ बनाने के लिए तेज़ रफ़्तार से रीसर्च को मदद दी जा रही है. कोविड-19 पर भ्रामक जानकारियों और अफ़वाहों से बचने के लिए ‘Verified’ मुहिम भी शुरू की गई है.
“वैश्विक युद्धविराम के लिए मेरी अपील को 180 से ज़्यादा देशों, 20 से ज़्यादा हथियारबन्द गुटों, धार्मिक नेताओं और नागरिक समाज के लाखों सदस्यों से समर्थन मिला है. लेकिन मुश्किल उसे लागू करना है.”
उन्होंने कहा, “मैं अपने विशेष दूतों के साथ मिलकर प्रभावी युद्धविराम लागू करने के लिए काम कर रहा हूँ और हम हर वो प्रयास कर रहे हैं जिनसे लम्बे समय से चले आ रहे हिंसक संघर्षों, पक्षों के बीच गहरे अविश्वास और ऐसे निहित स्वार्थ वाले पक्षों व गुटों को हराया जा सके जो व्यवधान पैदा करने में आनन्द लेते हैं.”
ये रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक दस्तावेज़ - यूएन चार्टर, को पारित किए जाने की 75वीं वर्षगाँठ की पूर्वसंध्या पर जारी की गई है. यूएन चार्टर दिवस 26 जून को मनाया जाता है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि यूएन चार्टर के 75 वर्ष ऐसे लम्हे में पूरे हो रहे हैं जब दुनिया एक जोखिम और उठापठक भरे दौर से गुज़र रही है.
कोरोनावायरस संक्रमितों का आँकड़ा जल्द ही एक करोड़ पर पहुँच सकता है, जलवायु में व्यवधान आया है, नस्लीय अन्याय के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं और विषमताएँ बढ़ रही हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि महामारी की चुनौती से निपटने के बाद दुनिया फिर पुराने ढर्रे और रास्तों पर नहीं लौट सकती.
“हम पहले के तरीक़ों पर नहीं लौट सकते और ऐसी प्रणालियाँ नहीं बना सकते जिनकी वजह से यह सँकट और ज़्यादा गम्भीर हुआ है.”
“हमें बेहतर पुनर्बहाली की ज़रूरत है – ज़्यादा टिकाऊ, समावेशी, लैंगिक समानता वाले समाज और अर्थव्यवस्थाएँ.”
महासचिवु गुटेरेश ने असरदार और समावेशी बहुपक्षवाद की भी पुकार लगाई है.
उन्होंने देशों से आग्रह किया है कि आपसी सहयोग को सम्भव बनाने वाले समाधानों की शिनाख़्त होनी चाहिए और इसके लिए नागरिक समाज, व्यवसायों, युवाओं और अन्य पक्षों की मदद ली जानी होगी.
उन्होंने आगाह किया कि दुनिया इस समय जिन चुनौतियों का सामना कर रही है उनसे निपटने में बहुपक्षवाद फ़िलहाल तैयार नहीं है क्योंकि इसमें स्तर, आकाँक्षा और साहस का अभाव है. और जो औज़ार ताक़तवर हैं, वे समस्याओं से सीधे निपटने का माद्दा नहीं दिखाते.
मसलन, हाल ही में सुरक्षा परिषद में, चुनौतियों का हल निकालने के प्रयासों में विफलता हाथ लगी क्योंकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर पाँच स्थाई सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई.