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कोविड-19: जीवनदायी टीकाकरण सेवाओं में बड़ी गिरावट की चेतावनी

कोसोवो में कोविड-19 का संक्रमण फैलने के बाद टीकाकरण कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया है.
© UNICEF/Samir Karahoda
कोसोवो में कोविड-19 का संक्रमण फैलने के बाद टीकाकरण कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया है.

कोविड-19: जीवनदायी टीकाकरण सेवाओं में बड़ी गिरावट की चेतावनी

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से टीकाकरण सेवाओं में आए व्यवधान की वजह से जीवनरक्षक वैक्सीन पाने वाले बच्चों की संख्या में चिन्ताजनक गिरावट दर्ज किये जाने की चेतावनी जारी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का कहना है कि इन रुकावटों और सुरक्षा चक्र टूटने से अब तक कड़ी मेहनत से हासिल हुई प्रगति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

वर्ष 2020 के पहले चार महीनों के शुरुआती आँकड़े दर्शाते हैं कि DTP3 यानि डिप्थीरिया, टिटनैस और काली खाँसी (Pertussis) से रक्षा के लिये ज़रूरी तीन ख़ुराकें पूरा करने वाले बच्चों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है.

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बीते 28 वर्षों में यह पहली बार होगा जब दुनिया DTP3 कवरेज के दायरे में कमी आने का सामना करेगी. 

DTP की तीसरी ख़ुराक के लिये क्षेत्रीय कवरेज दक्षिण एशिया में पिछले 10 वर्षों में 12 प्रतिशत तक बढ़ी है – मुख्यत: भारत, नेपाल और पाकिस्तान में.

लेकिन यह प्रगति अब मुश्किल में हैं और इथियोपिया व पाकिस्तान जैसे देशों में अगर टीकाकरण सेवाएँ जल्द बहाल नहीं की गईं तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “सार्वजनिक स्वास्थ्य के इतिहास में वैक्सीन सबसे शक्तिशाली औज़ारों में एक हैं और अतीत की तुलना में अब कहीं ज़्यादा संख्या में बच्चों का टीकाकरण हो रहा है. लेकिन वैश्विक महामारी के कारण यह प्रगति जोखिम में पड़ गई है.”

उन्होंने कहा कि नियमित टीकाकरण के चक्र से छूट जाने वाले बच्चों को होने वाली पीड़ा और मौतों को टाला जा सकता है लेकिन समुचित कार्रवाई के अभाव में इसका असर कोविड-19 से कहीं ज़्यादा हो सकता है.

इस संकट को टालने के लिये यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने महामारी के दौरान भी वैक्सीन का सुरक्षित वितरण सुनिश्चित बनाने और देशों से जीवनरक्षक टीकाकरण कार्यक्रम जारी रखने का आहवान किया है.

कोविड-19 से व्यवधान

महामारी के कारण कम से कम 30 ख़सरा टीकाकरण अभियान या तो बन्द हो गए हैं या फिर उन्हें रोके जाने की आशंका है. इससे इस बीमारी के वर्ष 2020 और उसके बाद भी और ज़्यादा फैलने का ख़तरा बढ़ रहा है. 

हाल ही में कराए गए एक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 82 देशों में से तीन-चौथाई देश ऐसे हैं जिन्होंने कोविड-19 के कारण टीकाकरण अभियानों में अवरोध आने की बात स्वीकार की है. 

ये भी पढ़ें - कोविड-19 से लड़ने की धुन में टीकाकरण ना छूट जाए

टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान के अनेक कारण बताए गए हैं. अनेक मामलों में ये सेवाएँ जारी रहने के बावजूद लोगों की उन तक पहुँच नहीं है जिसकी वजह घर से निकलने में हिचकिचाहट, परिवहन सेवाओं में रुकावटें, आर्थिक मुश्किलें, आवाजाही पर पाबन्दियाँ और कोविड-19 से संक्रमित होने का भय बताया गया है.

आवाजाही पर पाबन्दियाँ होने, कोविड-19 सेवाओं में पुनः तैनाती होने, या फिर निजी बचाव उपकरणों के अभाव के कारण से अक्सर स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता पर भी असर पड़ा है. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने कहा कि कोविड-19 के कारण नियमित टीकाकरण भी एक बड़ी चुनौती बन गया है.

“हमें वैक्सीन कवरेज में हालात बिगड़ने से रोकना होगा और अन्य बीमारियों से बच्चों के जीवन को होने वाले ख़तरों से पहले ही वैक्सीन कार्यक्रम तत्काल शुरू करने होंगे.”

मौजूदा समय में पैदा होने वाले बच्चे को पाँच साल की उम्र तक सभी ज़रूरी वैक्सीन मिलने की सम्भावना 20 फ़ीसदी से भी कम है. 

वर्ष 2019 में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों को जीवनदायी ख़सरा और DTP3 वैक्सीन नहीं मिल पाईं. इनमें अधिकाँश बच्चे अफ़्रीका में रहते हैं और उनकी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच भी कम है. 

इनमें से दो-तिहाई मध्य और निम्न आय वाले देशों में रहते हैं – अंगोला, ब्राज़ील, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फ़िलिपीन्स.

यूनीसेफ़ और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी टीकाकरण सेवाएँ जारी रखने के प्रयासों में देशों की मदद कर रही हैं. इसके तहत सेवाएँ बहाल करने, स्वास्थ्यकर्मियों को सहायता प्रदान करने, ख़ामियों की पहचान करने और दायरे से बाहर समुदायों तक पहुँचने के प्रयास किये जा रहे हैं.