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फ़लस्तीन: यूएन राहत एजेंसी के लिए 13 करोड़ डॉलर की मदद का संकल्प

सीरिया के एक शिविर में फ़लस्तीनी शरणार्थी बच्ची कोविड-19 के बावजूद अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए है.
© UNRWA
सीरिया के एक शिविर में फ़लस्तीनी शरणार्थी बच्ची कोविड-19 के बावजूद अपनी पढ़ाई को जारी रखे हुए है.

फ़लस्तीन: यूएन राहत एजेंसी के लिए 13 करोड़ डॉलर की मदद का संकल्प

प्रवासी और शरणार्थी

75 देशों और ग़ैर-सरकारी संगठनों ने फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवँ कार्य एजेंसी (UNRWA) के लिए 13 करोड़ डॉलर की धनराशि जुटाने का संकल्प लिया है. मंगलवार को एक वर्चुअल सम्मेलन में मध्य पूर्ण में फ़लस्तीनी शरणार्थियों को राहत पहुँचाने वाली यूएन एजेंसी के लिए 40 करोड़ डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था. 

तीन देशों और इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़लस्तीनी क्षेत्रों में 50 लाख से ज़्यादा लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिए यूएन एजेंसी निरन्तर प्रयासरत है.

न्यूयॉर्क से इस सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “अशान्त और चुनौतीपूर्ण माहौल में हर दिन UNRWA मानव विकास और स्थिरता में योगदान दे रही है.”

उन्होंने कहा कि यूएन एजेंसी ना सिर्फ़ लाखों फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए जीवनदायी सेवाएँ प्रदान करती है बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के नज़रिये से भी महत्वपूर्ण है. 

वर्ष 1948 में अरब-इसराइली युद्ध के बाद फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवँ कार्य एजेंसी आधिकारिक रूप से स्थापित की गई थी. 

यूएन एजेंसी ग़ाज़ा और पश्चिमी तट के साथ-साथ लेबनान, जॉर्डन और सीरिया में राहत अभियान संचालित करती है और पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के वित्तीय योगदान पर निर्भर है. 

कोविड-19 को वैश्विक महामारी के रूप में परिभाषित किए जाने के बाद फ़िलिपे लाज़रिनी ने इसी साल 18 मार्च को एजेंसी की ज़िम्मेदारी सम्भाली थी.

उन्होंने कहा कि यह सँकट एक ऐसे समय में आया है जब मध्य पूर्व फिर से अनिश्चितता के दौर में प्रवेश कर रहा है. 

इसराइल ने पश्चिमी तट के इलाक़ों पर क़ब्ज़ा जमाने की धमकी दी है, लेबनान में आर्थिक बदहाली से रोष पनपा है और सीरिया में हिंसा बेरोकटोक जारी है.

जॉर्डन और स्वीडन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यूएन एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि एक अनिश्चित और अस्थिर माहौल में हमें एक ऐसी एजेंसी चाहिए जो पहले से कहीं ज़्यादा स्थिर और मज़बूत हो. 

“लेकिन हमारी सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय स्थिरता है. हम अपर्याप्त संसाधनों के साथ पूरी क्षमता के साथ राहत कार्य में जुटे हैं.”

पिछले पाँच सालों में यूएन एजेंसी के बजट में गहरी कटौती हुई है जिससे 50 करोड़ डॉलर की बचत हुई है. लेकिन एजेंसी प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि अगर आगे भी कटौती जारी रही तो सेवाओं की गुणत्ता को बरक़रार रखना मुश्किल हो जाएगा. 

जॉर्डन में सबसे अधिक सँख्या में फ़लस्तीनी शरणार्थी रहते हैं और विदेश मंत्री आयमान सफ़ादी ने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर उन्हें राहत के लिए प्रयास जारी रखने की बात कही है. 

उधर स्वीडन की ओर से इस साल अब तक एजेंसी को साढ़े पाँच करोड़ डॉलर की मदद दी जा चुकी है.

अन्तरराष्ट्रीय विकास पर सहयोग के लिए स्वीडन के मन्त्री ने बताया कि जब तक फ़लस्तीनी शरणार्थियों के हालात का समाधान नहीं ढूँढा जाता तब तक यूएन एजेंसी को समर्थन देना हमारा साझा दायित्व है.