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मध्य पूर्व: 'निरर्थक' हिंसा का अन्त ज़रूरी, 'राजनैतिक समाधान' एकमात्र रास्ता

ग़ाज़ा में इसराइली हवाई कार्रवाई के दौरान क्षतिग्रस्त हुई एक इमारत.
UNRWA/Mohamed Hinnawi
ग़ाज़ा में इसराइली हवाई कार्रवाई के दौरान क्षतिग्रस्त हुई एक इमारत.

मध्य पूर्व: 'निरर्थक' हिंसा का अन्त ज़रूरी, 'राजनैतिक समाधान' एकमात्र रास्ता

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉर वेनेसलैण्ड ने कहा है कि इसराइल और फ़लस्तीन के बीच निरर्थक हिंसा पर एक राजनैतिक समाधान के ज़रिये ही विराम लगाया जा सकता है. उन्होंने गुरुवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए चिन्ता जताई कि ग़ाज़ा में हाल ही में हुई हिंसा के बाद से स्थानीय लोग भयभीत और सदमे में हैं. यूएन व साझीदार संगठनों ने पूर्वी येरूशलम समेत, ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में लोगों की सहायता करने के लिये गुरुवार को साढ़े नौ करोड़ डॉलर की अपील जारी की है.

ग़ौरतलब है कि इसराइल और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में 11 दिनों की घातक हिंसा के बाद युद्धविराम की घोषणा हुई जिसके बाद से नाज़ुक हालात में लड़ाई रूकी हुई है.

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मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये विशेष समन्वयक ने कहा, "इन हालिया घटनाओं ने एक बार फिर, टकराव के जारी रहने और उम्मीद खोने की क़ीमत को स्पष्ट कर दिया है."

टॉर वेनेसलैण्ड ने येरूशलम से टेलीकॉन्फ्रेन्सिन्ग के ज़रिये, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए सभी पक्षों से बातचीत की मेज़ पर लौटने का आग्रह किया.

विशेष दूत के मुताबिक यूएन प्रस्तावों, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और पारस्परिक समझौतों के आधार पर, क़ब्ज़े का अन्त करने और दो-राष्ट्र समाधान को साकार करने वाली वार्ताओं के ज़रिये ही हिंसा के चक्र को समाप्त किया जा सकता है.

हिंसा की महंगी क़ीमत

 इसराइल और ग़ाज़ा में सशस्त्र गुटों के बीच कुछ दिन पहले हुई हिंसा, हाल के वर्षों में सबसे गम्भीर लड़ाई साबित हुई है.

टॉर वेनेसलैण्ड ने बताया कि हमास और अन्य चरमपंथी गुटों ने ग़ाज़ा से चार हज़ार से अधिक रॉकेट दागे, जिनमें से अधिकाँश को इसराइल की वायु रक्षा प्रणाली, Iron Dome, ने नाकाम कर दिया. वहीं इसराइल ने कथित रूप से चरमपंथियों व उनके ठिकानों पर डेढ हज़ार से अधिक बार निशाना बनाया.

 संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक 250 फ़लस्तीनियों की हिंसा में मौत हुई है, जिनमें 66 बच्चे भी हैं. इसराइल में 13 लोग मारे गए: इनमें नौ आम नागरिक, तीन विदेशी नागरिक और एक सैनिक है.

भीषण हवाई कार्रवाई की वजह से ग़ाज़ा में 70 हज़ार से अधिक लोगों को यूएन एजेंसी द्वारा संचालित स्कूलों में शरण लेने के लिये मजबूर होना पड़ा.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यून राहत एवँ कार्य एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने पूर्वी येरूशलम से, सुरक्षा परिषद को मौजूदा हालात से अवगत कराया.

उन्होंने पिछले सप्ताह, ग़ाज़ा में प्रभावितों से मुलाक़ात की है, और उनके मुताबिक हर कोई भयभीत और सदमे में है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि जब तक हिंसक संघर्ष व टकराव का राजनैतिक समाधान नहीं निकलता, तब तक मज़बूत यूएन एजेंसी ही फ़लस्तीनियों को जीवन के सामान्य होने का एहसास करा सकती है.

मानवीय राहत प्रयास

फ़िलिपे लज़ारिनी ने क्षेत्र में शिक्षा सहित अन्य आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिये विश्वसनीय व पर्याप्त वित्त पोषण सुनिश्चित किये जाने की अहमियत पर बल दिया है.

यूएन और साझीदार संगठनों के मुताबिक कम से कम 57 स्कूल, नौ अस्पताल और 19 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, लड़ाई में पूर्ण या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं.

कोविड-19 महामारी के दौरान ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रणाली पर पहले से ही भारी बोझ है, और हिंसा की वजह से हालात और ख़राब हो गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों ने गुरुवार को, पूर्वी येरूशलम समेत, ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में लोगों की सहायता करने के लिये साढ़े नौ करोड़ डॉलर की अपील जारी की है.

इसका उद्देश्य अगले तीन महीनों में 10 लाख लोगों को सहायता प्रदान करना है.

इसके तहत, ज़रूरतमन्दों को संरक्षण, स्वास्थ्य, जल, साफ़-सफ़ाई, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा सम्बन्धी मदद मुहैया कराई जाएगी.