खाद्य सुरक्षा दिवस: सभी की है अहम भूमिका

ख़राब या अस्वस्थ भोजन खाने से हर साल दुनिया भर में लगभग 60 करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं, जोकि लगभग हर दस व्यक्ति में से एक व्यक्ति का आँकड़ा है, इनमें से भी लगभग 4 लाख 20 हज़ार लोग हर साल ख़राब भोजन खाने के कारण मौत के मुँह में चले जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसियों ने रविवार को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के मौक़े पर इस मुद्दे की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया है.
अन्तरराष्ट्रीय खाद्य व कृषि संगठन ((FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मुद्दे पर एक मंच पर आकर ध्यान दिलाया है कि खाद्य सुरक्षा एक साझा ज़िम्मेदारी है जिसमें हर किसी को अपनी भूमिका निभानी है, सरकारों से लेकर, उद्योग जगत, उत्पादकों, कारोबारियों व उपभोक्ताओं तक को.
June 7th is #WorldFoodSafetyDay! If it is not safe, it is not food. #Foodsafety is everyone’s responsibility and therefore everyone’s business.@FAO and @WHO are supporting global efforts to promote safe food👉https://t.co/hjzS0iDVMw pic.twitter.com/1XBB6mBjgf
FAO
कोविड-19 महामारी ने भी खाद्य सुरक्षा पर ध्यान देने और स्थिति पर लगातार नज़र रखने की महत्ता को और ज़्यादा बढ़ा दिया है.
आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाओं से निपटने के लिए खाद्य सुरक्षा प्रणालियाँ अपनाना; और सुरक्षित भोजन की उपलब्धता लगातार सुनिश्चित करना भी इन उपायों में शामिल है.
खाद्य व कृषि संगठन में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता इकाई के अध्यक्ष मार्कस लिप्प ने कहा है कि इस चुनौतीपूर्ण दौर में, इस वर्ष का लक्ष्य वाक्य – खाद्य सुरक्षा हर किसी का मामला है – “अभूतपूर्व रूप से प्रासंगिक” है.
“इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि दुनिया भर में क्या हो रहा है, हर एक इन्सान को हर दिन सुरक्षित भोजन की ज़रूरत होती है. हम अपनी इस निगरानी में कोई कोताही नहीं बरत सकते कि हमारा भोजन पूरी तरह सुरक्षित है.”
सुरक्षित भोजन ना केवल बेहतर स्वास्थ्यऔर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अहम है, बल्कि लोगों की आजीविकाओं, आर्थिक विकास, व्यापार और हर देश की अन्तरराष्ट्रीय साख़ के लिए भी अहम है.
खाद्य व कृषि संगठन के अध्यक्ष क्यू डोंगयू, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रोस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस और विश्व व्यापार संगठन प्रमुख रोबर्तो एज़ेवेडो ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, “दुनिया भर में करोड़ों लोग अपनी आजीविकाओं और खाद्य सुरक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय व्यापार निर्भर रहते हैं.”
“देश जैसे-जैसे अपने यहाँ कोविड-19 महामारी के फैलाव को रोकने के लिए उपाय सघन कर रहे हैं, इस बारे भी बड़ी सावधानी बरतनी होगी कि खाद्य आपूर्ति पर नकारात्मक असर ना पड़े, या पिर खाद्य सुरक्षा व वैश्विक व्यापार के लिए अनजाने में कोई ख़राब परिणाम उत्पन्न हो जाएँ.”
इन एजेंसियों के प्रमुखों ने कहा, “खाद्य और कृषि क्षेत्रों में साफ़-सफ़ाई की आदतों में बेहतरी सुनिश्चित करने से खाद्य श्रृंखला और पर्यावरण में विषाणुओं में प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न होने और उसके फैलाव रोकने में मदद मिलती है.”
इन एजेंसी प्रमुखों ने असुरक्षित भोजन के दीर्घकालीन नतीजों को समझने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि उपभोक्ताओं को खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूक बनाने के उपायों में निवेश करके ख़राब खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों को रोकने में बड़ी मदद मिल सकती है, और हर एक डॉलर के निवेश का दस गुना फ़ायदा हो सकता है.
तीनों एजेंसियों के प्रमुखों ने कहा, “हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के उपायों में कहीं आवश्यक पदार्थों की कमी ना हो जाए और भुखमरी व कुपोषण की परिस्थितियाँ और ख़राब हो जाएँ.”
“ये समय एकजुटता दिखाने, ज़िम्मेदारी से कार्रवाई करने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, भोजन की गुणवत्ता बढ़ाने और पोषण के हमारे सामान्य लक्ष्य को हासिल करने का है, इसमें दुनिया भर में लोगों के आम रहन-सहन को बेहतर बनाने का लक्ष्य भी शामिल है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ख़राब भोजन से होने वाला संक्रमण कमज़ोर या नाज़ुक स्वास्थ्य वाले लोगों पर ज़्यादा असर डालता है, इनमें शिशु, गर्भवती महिलाएँ, बुज़ुर्ग व गम्भीर रूप से बीमार लोग शामिल हैं. ऐसे मामलों में कभी-कभी तो इन्सान की मौत भी हो जाती है.
संगठन का कहना है कि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों को ज़्यादा तालमेल के साथ काम करना चाहिए और सिविल सोसायती और उपभोक्ता समूहों को भी साथ लेकर चलना चाहिए. इनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि विभाग, शिक्षा और व्यापार विभाग शामिल हैं.