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शरणार्थी पुनर्वास: अभी कम हैं मददगार हाथ!

एक सीरियाई व्यक्ति इराक़ के दुहोक में बरदरश शिविर में अपने बच्चों के साथ. ये तस्वीर इस परिवार के यहाँ पहुँचने के एक दिन बाद ली गई.
© UNHCR/Hossein Fatemi
एक सीरियाई व्यक्ति इराक़ के दुहोक में बरदरश शिविर में अपने बच्चों के साथ. ये तस्वीर इस परिवार के यहाँ पहुँचने के एक दिन बाद ली गई.

शरणार्थी पुनर्वास: अभी कम हैं मददगार हाथ!

मानवीय सहायता

दुनिया भर में वैसे तो लगभग 14 लाख शरणार्थी ऐसे हैं जिन्हें पुनर्वास की तुरंत ज़रूरत है मगर केवल 63 हज़ार 696 को ही वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के ज़रिए फिर से ज़िन्दगी शुरू करने का मौक़ा मिला. ये शरणार्थियों की कुल संख्या का केवल साढ़े चार प्रतिशत हिस्सा है. कारण है कि दुनिया भर में सरकारों की तरफ़ से इन शरणार्थियों को पुनर्वास की समुचित पेशकश नहीं हो रही है.

अलबत्ता, एक सकारात्मक ख़बर ये है कि वर्ष 2018 की तुलना में 2019 में पुनर्वास का अवसर पाने वाले शरणार्थियों की संख्या में 14 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई. वर्ष 2018 में कुल 55 हज़ार 680 शरणार्थियों का फिर से बसने और अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू करने का मौक़ा मिला था. वर्ष 2019 में ये संख्या 63 हज़ार 696 थी.

केनिया के दादाब इलाक़े से एक विमान पर सवार होने के लिए तैयार सोमाली शरणार्थी. ये लोग स्वीडन के लिए रवाना हो रहे थे जहाँ उन्हें पुनर्वास की अनुमति मिल गई.
© UNHCR/Sebastian Rich
केनिया के दादाब इलाक़े से एक विमान पर सवार होने के लिए तैयार सोमाली शरणार्थी. ये लोग स्वीडन के लिए रवाना हो रहे थे जहाँ उन्हें पुनर्वास की अनुमति मिल गई.

लेकिन संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी - यूएनएचसीआर का कहना है कि अब भी जितने शरणार्थियों को अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू करने के लिए सहारे की ज़रूरत है, उससे कहीं बहुत कम संख्या में ही सरकारों तरफ़ से मदद की पेशकश हो रही है.

पुनर्वास: एक जीवनदायी उपाय

यूएनएचसीआर में अंतरराष्ट्रीय आश्रय विभाग की निदेशक ग्रायन ओ’हारा का कहना है, “पुनर्वास दुनिया भर के सारे शरणार्थियों के लिए केवल एक समाधान भर नहीं है, बल्कि ये एक ऐसा जीवनदायी उपाय है जिसके ज़रिए उन लोगों को सुरक्षा व आश्रय उपलब्ध कराया जाता है जिनकी ज़िन्दगी बहुत ख़तरों का सामना कर रही होती है और पुनर्वास पर ही उनकी ज़िन्दगी टिकी होती है.”  

वर्ष 2019 में शरणार्थियों को यूएनएचसीआर के ज़रिए पुनर्वास की सुविधा देने वाले देशों में सबसे ऊपर अमेरिका का नाम रहा. उसके बाद कैनेडा, ब्रिटेन, स्वीडन और जर्मनी का स्थान रहा.

वर्ष 2019 में जो लगभग 63 हज़ार शरणार्थी पुनर्वास का विकल्प हासिल कर पाए, उनमें सबसे ज़्यादा सीरिया, उसके बाद काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, फिर म्याँमार से थे.

शरणार्थियों के लिए ग्लोबल कॉम्पैक्ट

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि शरणार्थियों के लिए पुनर्वास के अवसर बढ़ाना, उनके लिए बेहतर शिक्षा व कामकाज के रास्ते खोलना और बिछड़े सदस्यों को परिवारों से मिलाने के उपाय करना शरणार्थियों के लिए ग्लोबल कॉम्पैक्ट के प्रमुख लक्ष्य हैं.

सूडान का एक 26 वर्षीय शरणार्थी जो निजेर में यूएनएचसीआर के एक आपदा निवास में ठहराया गया. लीबिया के बंदीगृहों में भीषण परिस्थितियों से बचाए गए शरणार्थियों के लिए ये ठिकाना भी बहुत बेहतर माना गया.
© UNHCR/Sylvain Cherkaoui
सूडान का एक 26 वर्षीय शरणार्थी जो निजेर में यूएनएचसीआर के एक आपदा निवास में ठहराया गया. लीबिया के बंदीगृहों में भीषण परिस्थितियों से बचाए गए शरणार्थियों के लिए ये ठिकाना भी बहुत बेहतर माना गया.

एजेंसी का कहना है कि ये लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़रूरी है कि दुनिया के तमाम देश उन देशों और मेज़बान समुदायों की मदद करें और उनके साथ एकजुटता दिखाएँ जहाँ भारी संख्या में शरणार्थी रह रहे हैं.

यूएनएचसीआर ने 2019 में शरणार्थियों के पुनर्वास और और उनके हालात बेहतर बनाने के लिए अन्य उपायों के लिए तीन साल की एक रणनीति शुरू की थी. इसमें देशों की सरकारें, ग़ैर-सरकारी संगठन और सिविल सोसायटी समूह भी शामिल हैं. इस रणनीति का मक़सद शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए संख्या बढ़ाना और उन्हें अपने यहाँ पनाह देकर उनके हालात बेहतर बनाने वाले देशों की संख्या बढ़ाना है.  

साथी हाथ बढ़ाना

एजेंसी ने वर्ष 2019 में 60 हज़ार शरणार्थियों का पुनर्वास 29 विभिन्न देशों में करने का लक्ष्य रखा था जो पूरा कर लिया गया. लेकिन एजेंसी का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए वर्ष 2020 के दौरान उससे कम संख्या में ही शरणार्थी पुनर्वास का अवसर हासिल कर पाएंगे. वर्ष 2020 में एजेंसी का लक्ष्य कम से कम 70 हज़ार शरणार्थियों को 31 देशों में प्रवेश दिलाकर उन्हें बेहतर ज़िन्दगी जीने का मौक़ा मुहैया कराना है.

यूएनएचसीआर की प्राथमिकताओं में पुनर्वास पाने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ाना और उन्हें पुनर्वास के लिए अपने यहाँ प्रवेश की इजाज़त देने वाले देशों की संख्या में भी इज़ाफ़ा करना शामिल है. साथ ही शरणार्थियों के पुनर्वास कार्यक्रम की साख़ को भी बचाए रखना एक प्राथमिकता है ताकि इस कार्यक्रम के नतीजे शरणार्थियों और मेज़बान देशों के लिए अच्छे हों.

मिली-जुली पहल

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (आईओएम) ने मिलकर एक पहल शुरू की है जिसका नाम है – सस्टेनेबल रीसैटलमेंट एंड कॉम्पलीमेंटरी पाथवेज़ इनीशिएटिव (CRISP). इसके तहत ऐसी गतिविधियाँ चलाई जाएंगी जिनसे शरणार्थियों का पुनर्वास और उनके हालात बेहतर बनाने के अन्य तरीक़े आसान हो सकें. साथ ही देशों से इन उपायों को लागू करने के लिए आवश्यक लगभग दो करोड़ डॉलर की रक़म मुहैया कराने का भी आहवान किया गया है.

शरणार्थयों के पुनर्वास संबंधी विस्तृत आँकड़े यहाँ उपलब्ध हैं.

शरणार्थी एजेंसी के वैश्विक पुनर्वास डेटा पोर्टल पर भी 2003 से आगे की जानकारी यहाँ उपलब्ध है.