मध्य पूर्व संकट: इसराइली नेतृत्व द्वारा दो-राष्ट्र समाधान को रद्द किया जाना 'अस्वीकार्य'
मध्य पूर्व संकट पर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक और अहम बैठक मंगलवार को अपरान्ह दो बजे शुरू हुई है जिसमें दुनिया के शीर्ष राजनयिक ग़ाज़ा पट्टी और वृहद मध्य पूर्व क्षेत्र में गहराते संकट पर चर्चा करेंगे. यह बैठक ऐसे समय में हुई है जबकि ग़ाज़ा में इसराइल का सैन्य आक्रमण बिना रुके लगातार जारी है जिसमें मृतक संख्या बढ़ती जा रही है. दुनिया भर से,तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की पुकारें भी उठ रही हैं. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस बैठक को सम्बोधित करते हुए एक बार फिर कहा है कि इसराइल और फ़लस्तीन के रूप में दो राष्ट्रों की स्थापना ही, एक मात्र समाधान है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने राजदूतों और विदेश मंत्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दो इसराइल-फ़लस्तीन टकराव के समाधान के लिए दो-राष्ट्र समाधान को स्वीकार करने से इनकार को मज़बूती से रद्द किया जाना होगा.
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा की सम्पूर्ण आबादी इस स्तर पर तबाही और पीड़ा का सामना कर रही है, जो हाल के इतिहास में नहीं देखी गई है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि फ़लस्तीनी लोगों को इस तरह से सामूहिक दंड दिए जाने को, किसी भी आधार पर न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता.
उन्होंने कहा कि बीमारी और भुखमरी बेतहाशा गति से बढ़ रही हैं और सर्दी के मौसम में, ज़रूरतें आसमान छू रही हैं. यूएन मानवीय सहायता एजेंसियाँ और साझीदार, असीम चुनौतियों के बावजूद, सहायता पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं.
बन्धकों की रिहाई की मांग
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी चरमपंथियों द्वारा बन्धक बनाए गए सभी बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की, एक बार फिर मांग की है.
उन्होंने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी भी नागरिक की जानबूझकर हत्या, घायल करना या अपहरण करना, उनके ख़िलाफ़ यौन हिंसा का इस्तेमाल करना या उनके प्रति अन्धाधुन्ध रॉकेट दागना, किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
न्होंने कहा कि इसराइल ने, ग़ाज़ा पट्टी में बाक़ी बन्धकों की "चरणबद्ध रिहाई" के बदले में, युद्ध में दो महीने की रोक का प्रस्ताव किया है.
उन्होंने कहा, "मैं अपनी सीमित क्षमता में, बन्धकों की रिहाई में योगदान देने के लिए सभी प्रयास जारी रखूंगा."
दो-देश समाधान, 'एकमात्र रास्ता'
एंतोनियो गुटेरेश ने ग़ाज़ा से परे हिंसा के फैलाव पर भी चिन्ता व्यक्त की. उन्होंने पूर्वी येरूशलम सहित, इसराइल के क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में हताहतों की बढ़ती संख्या; इसराइल और लेबनान के बीच स्थित ब्लू लाइन पर गोलीबारी, लाल सागर में गम्भीर होती स्थिति; और सीरिया और ईरान में हमलों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.
यूएन महासचिव ने अपनी टिप्पणी में, दो-देश समाधान के अति महत्व को भी रेखांकित किया.
उन्होंने कहा कि इसराइली सरकार के उच्चतम स्तर पर दो-देश समाधान की "स्पष्ट और बार-बार" अस्वीकृति किया जाना "अस्वीकार्य है".
उन्होंने कहा कि यह रुख़, इसराइल के दोस्तों और सहयोगियों की "सबसे मज़बूत अपील" के बावजूद है.
"यह इनकार, और फ़लस्तीनी लोगों को देश का अधिकार देने से इनकार, एक टकराव को अनिश्चित काल तक लम्बा खींचेगा जो वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है."
उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी लोगों के अपने पूर्ण स्वतंत्र देश के निर्माण के अधिकार को "सभी से मान्यता प्राप्त" होना चाहिए और किसी भी पक्ष द्वारा दो-देश समाधान को स्वीकार करने से इनकार को "दृढ़ता से अस्वीकार" किया जाना चाहिए.
"दो-देश समाधान इसराइल और फ़लस्तीनियों दोनों की वैध आकांक्षाओं को पूरा करने का एकमात्र तरीक़ा है."
उन्होंने एक सार्थक शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के बीच एकता का आग्रह करते हुए कहा, “हाल के दशकों में, दो-देश समाधान की बार-बार आलोचना की गई, उसे बदनाम किया गया और उसे मृत अवस्था में छोड़ दिया गया.”
“बहरहाल, यह इसराइल, फ़लस्तीन और पूरे क्षेत्र में व्यापक और न्यायसंगत शान्ति प्राप्त करने का एकमात्र तरीक़ा है.”
अहम हस्तियों की शिरकत
साथ ही अनेक देशों के विदेश मंत्रियों और सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों के राजदूतों ने इस युद्ध पर अपनी बात रखी है.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लैवरौफ़, फ्रांस के स्टीफन सेजोर्न, तुर्कीये के हकन फ़िदान और ब्रिटेन के तारिक़ अहमद उन हस्तियों लोगों में शामिल हैं, जो इस उच्च स्तरीय खुली बहस में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क पहुँचे.
मध्य पूर्व में शान्ति और सुरक्षा पर यह बैठक, ग़ाज़ा के दायरे से बाहर निकलते युद्ध की पृष्ठभूमि में हुई है.
यह पृष्ठभूमि लेबनान में इसराइली और हिज़बुल्लाह बलों के बीच नियमित गोलीबारी और यमन में हूथी लड़ाकों पर अमेरिका व ब्रिटेन के नेतृत्व में बढ़ते हवाई हमलों की है.
हूथी लड़ाकों का कहना है कि वो फ़लस्तीनी चरमपंथियों के साथ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने के लिए, लाल सागर में जहाज़ों पर हमले कर रहे हैं.
ग़ाज़ा में मानवीय संकट कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं और हमास द्वारा इसराइल पर 7 अक्टूबर को बन्धक बनाए गए लोगों को राहत पहुँचाए जाने के लिए, मानवीय युद्ध - ठहराव की मांगें की जा रही हैं
ग़ाज़ा पट्टी में जनसंहार को समाप्त करने की मांगें भी ज़ोर-शोर से बढ़ रही हैं. सुरक्षा परिषद की बैठक में, बोलने वालों की सूची में क़रीब 70 नाम शामिल थे.
बैठक की वीडियो कवरेज यहाँ देखी जा सकती है.