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ग़ाज़ा युद्ध अस्पतालों में पहुँचा, जहाँ पहुँचने, निकलने का कोई रास्ता नहीं

ग़ाज़ा पट्टी के मध्यवर्ती इलाक़े में एक मिसाइल हमले में घायल होने के बाद, इस 3 वर्षीय लड़की की एक टांग काटनी पड़ी.
© UNICEF/Abed Zaqout
ग़ाज़ा पट्टी के मध्यवर्ती इलाक़े में एक मिसाइल हमले में घायल होने के बाद, इस 3 वर्षीय लड़की की एक टांग काटनी पड़ी.

ग़ाज़ा युद्ध अस्पतालों में पहुँचा, जहाँ पहुँचने, निकलने का कोई रास्ता नहीं

शान्ति और सुरक्षा

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में मंगलवार को भी भारी युद्ध जारी रहा जिसमें दक्षिणी शहर ख़ान यूनिस के अस्पतालों पर हमले किए जाने की भी ख़बरे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने ऐसे मरीज़ों की स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त है जिन्हें इलाज की तत्काल ज़रूरत है और उनके पास अस्पताल से बाहर जाने या वहाँ अन्दर का कोई रास्ता नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनीवा में बताया कि अल-ख़ैर अस्पताल "उन दो अस्पतालों में से एक है, जिन पर अब छापा मारा जा रहा है", जबकि नासिर अस्पताल "अब मूल रूप से चारों ओर से घिरा हुआ है वहाँ अंदर और बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं”.

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"हम समझते हैं कि वहाँ ज़मीन पर भयानक होंगे और लोगों को यह नहीं मालूम है कि अगला मिनट उनके लिए क्या हालात बनाएगा".

सख़्त स्वास्थ्य आवश्यकताएँ

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी - WHO के प्रवक्ता ने कहा कि ग़ाज़ा में अब केवल 14 अस्पताल काम कर रहे हैं - सात उत्तरी इलाक़े में और सात दक्षिण इलाक़े में.  

डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेब्रेयेसस ने इससे पहले सोमवार को ख़ैर यूनिस के अस्पतालों के पास "लगातार लड़ाई" की ख़बरों पर एक चेतावनी जारी की थी, जहाँ हिंसा ने घायलों को "अस्पतालों में भर्ती किए जाने और बाहर ही उन्हें इलाज मुहैया कराने से रोका है".

एजेंसी के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने कहा कि यह स्थिति "बिल्कुल अस्वीकार्य है और ऐसे हालात का तो, दुनिया में कहीं भी किसी भी स्वास्थ्य सुविधा को सामना नहीं करना पड़े". 

उन्होंने ने ज़ोर देकर कहा कि पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में लगभग 20 अस्पताल अब काम नहीं कर रहे हैं.

सहायता क़ाफ़िलों से उम्मीदें

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता ने, ग़ाज़ा पट्टी में गम्भीर मानवीय स्थिति को रेखांकित करते हुए बताया कि भोजन की तलाश में ग़ाज़ा के लोगों को किस हद तक हताशा और भोजन अभाव का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने बताया कि मानवीय सहायता के एक क़ाफ़िले में मुख्य रूप से अस्पतालों के लिए ईंधन भरा था, लेकिन लोग उसे रोके हुए थे क्योंकि...वो भोजन की तलाश में बहुत बेचैन व हताश थे.

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफ़पी) ने इसी चेतावनी को दोहराते हुए आगाह किया है कि ग़ाज़ा में पाँच लाख से अधिक लोग "खाद्य असुरक्षा के विनाशकारी स्तर" का सामना कर रहे हैं.

डब्ल्यूएफ़पी के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका की वरिष्ठ संचार अधिकारी और प्रवक्ता, अबीर एतेफ़ा ने कहा कि अकाल का ख़तरा हर दिन बढ़ रहा है क्योंकि युद्ध के कारण, जीवनरक्षक खाद्य सहायता का वितरण लगातार बाधित हो रहा है.

उन्होंने कहा कि यह ऐसी स्थिति है जहाँ इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अकाल जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है और मुसीबतों का सामना कर रहे ऐसे लोगों की ये संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक है. और यह भी ध्यान देने की बात है कि यह पीड़ाजनक स्थिति कितनी तेज़ी से बन गई है जोकि बेहद चिन्ताजनक है.

यूएन खाद्य सहायता एजेंसी की प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जिन बच्चों को मिस्र की सीमा पर इलाज के लिए ले जाया गया था, वे कुपोषित, कम वज़न वाले और "बेहद पतले" दिखाई दे रहे थे.

प्रवक्ता ने आगे कहा, "अगर मानवीय युद्धविराम लागू नहीं होता है, और लोगों तक अधिक पहुँच नहीं होती है, तो ये लोग जो पहले से ही भीषण खाद्य अभाव से जूझ रहे हैं, वो बहुत कठिन स्थिति में फँस जाएंगे."