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अफ़ग़ानिस्तान: 'महिलाएँ, यौन हिंसा की शिकायत करने पर भेजी जा सकती हैं जेल'

 अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.
© UNICEF/Madhok
अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.

अफ़ग़ानिस्तान: 'महिलाएँ, यौन हिंसा की शिकायत करने पर भेजी जा सकती हैं जेल'

महिलाएँ

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन के तहत, ऐसी महिलाओं को जेल भेजा जा सकता है जो अपने साथ होने वाली यौन हिंसा की रिपोर्टअधिकारियों को दर्ज कराती हैं, और ऐसा किए जाने का कारण, महिलाओं की ख़ुद की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना बताया गया है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) की एक नई रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले निष्कर्षों में से यह एक है.

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रिपोर्ट में पाया गया कि यौन हिंसा की पीड़ित बहुत सी महिलाएँ, अधिकारियों के साथ औपचारिक शिकायत दर्ज करने के बजाय, सत्ताधीन अधिकारियों के डर के कारण समुदाय के भीतर ही "पारंपरिक विवाद समाधान तंत्र" के माध्यम से कुछ राहत पाने की उम्मीद करती हैं. इसमें उन महिलाओं को, अपनी शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद, फिर से यौन हिंसा का शिकार बनाए जाने का डर भी शामिल है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि लिंग आधारित हिंसा की शिकायतों का निबटारा, मुख्य रूप से पुरुष-पुलिस व न्याय कर्मियों द्वारा किए जाने के कारण, महिला पीड़ितों की दुर्दशा बढ़ गई है. 

तालेबान ने, अगस्त 2021 में सत्ता में वापसी के बाद से, देश में सार्वजनिक जीवन और सिविल सेवा पदों से महिलाओं को लगभग पूरी तरह से हटा दिया है.

कोई समाधान नहीं, आश्रय स्थल बन्द

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता पर तालेबान का क़ब्ज़ा होने के बाद से पीड़ितों को, क़ानूनी निवारण और सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम तंत्र और नीतियाँ "लगभग ग़ायब" हो गई हैं.

तालेबान अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सरकार की मदद से चलने वाले लगभग 23 महिला आश्रय स्थलों को बन्द कर दिया गया है. और इसके लिए दलील दी गई कि पीड़ित महिलाओं को इस तरह के आश्रय स्थलों के बजाय, अपने पति या परिवार के किसी अन्य पुरुष सदस्यों के साथ रहना चाहिए.

कुछ अधिकारियों का मानना था कि इसके अलावा, यौन हिंसा की पीड़ित महिलाओं को, उनकी स्वयं की सुरक्षा की ख़ातिर, जेल भेजा जाना ही एकमात्र विकल्प है.

यूएन सहायता मिशन ने कहा कि महिलाओं को, लिंग आधारित हिंसा से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, क़ैद में रखा जाना, उन्हें "मनमाने ढंग से उनकी स्वतंत्रता से वंचित करना होगा" जिसके, उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गम्भीर परिणाम होंगे.

संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने दोहराते हुए कहा है कि लिंग आधारित हिंसा के मामलों में न्याय सुनिश्चित करना, "दंड से मुक्ति के लगातार चलन" को समाप्त करना और पीड़ितों के लिए सुरक्षा और सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना, सत्तासीन अधिकारियों (तालेबान) का दायित्व है.