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यूएन महासागर सम्मेलन के लिये, छात्रों का प्रभावशाली सन्देश

आधे दर्जन देशों से आए 200 से ज़्यादा छात्र, महासागरों के संरक्षण का महत्वपूर्ण सन्देश देने के लिये एक आकृति बनाते हुए.
The Arab Academy for Science, Technology and Maritime Transport (AASTMT)
आधे दर्जन देशों से आए 200 से ज़्यादा छात्र, महासागरों के संरक्षण का महत्वपूर्ण सन्देश देने के लिये एक आकृति बनाते हुए.

यूएन महासागर सम्मेलन के लिये, छात्रों का प्रभावशाली सन्देश

जलवायु और पर्यावरण

पहली नज़र में वो, किसी गहरे हरे मैदान पर सफ़ेद हिलती हुई परछाई के चमकदार थक्के नज़र आते हैं. उनकी तस्वीरें लेने वाला ड्रोन कैमरा जैसे-जैसे आकाश में अपना दायरा व्यापक करता है, तो स्पष्ट होता है कि ये तो असली लोग हैं - आधे दर्जन देशों से आए 200 से ज़्यादा छात्र – एक विशेष आकार बनाने वाली पंक्तियों में खड़े होकर, विश्व को ये सन्देश देने के लिये: महासागरों की रक्षा करें.

ये भविष्य के समुद्री विज्ञान नेतृत्व कर्ता, अरब विज्ञान, टैक्नॉलॉजी और समुद्री परिवहन अकादमी में अध्ययनरत हैं जो मिस्र के तटवर्ती शहर अलैक्ज़ान्द्रा में स्थित है.

इन छात्रों ने अपनी वीडियो में दो शक्तिशाली चिन्हों का भी प्रयोग किया है: एक एंकर (Anchor) जिसे किसी भी भाषा में बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है और दूसरा है सेमाफ़ोर (Semaphore), जोकि झण्डों का प्रयोग करके, ऊँचे समुद्रों में संचार का एक अन्य सार्वभौमिक माध्यम है.

सन्देश स्पष्टता

ये छात्र अपनी बाँहों को झण्डों के साथ बहुत तेज़ी और एकरूपता के साथ संचालित करते हैं और जैसाकि आकाश से नज़र आता है, वो वही तात्कालिक सन्देश देने के लिये अपने शरीरों से एक विशेष आकृति भी बनाते हैं.

भविष्य के इन समुद्री विशेषज्ञों के लिये, ये सन्देश केवल कोई सिद्धान्त या लिखित विषय वस्तु भर नहीं है; ये उनकी निजी यात्राओं के लिये केन्द्रीय महत्व रखता है जो एक ऐसे संस्थान में शुरू हो रही है जो टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में दुनिया की मदद करने के लिये प्रतिबद्ध है, विशेष रूप से जलवायु कार्रवाई से सम्बन्धित लक्ष्य-13 और जलगत जीवन के लिये लक्ष्य-14 के लिये. 

मिस्र, जिबूती, सूडान, सऊदी अरब, लीबिया और मौरीतानिया से आए इन छात्रों ने संयुक्त राष्ट्र के महासागर सम्मेलन के लिये ये वीडियो बनाई है, जिसने महासागर संरक्षण के मुद्दे को अन्तरराष्ट्रीय एजेण्डा के शीर्ष पर रख दिया है. 

ये यूएन महासागर सम्मेलन लिस्बन में 27 जून से 1 जुलाई तक आयोजित होगा.

‘नील विश्व’

भौतिक समुद्र विज्ञान के एक सहायक प्रोफ़ेसर डॉक्टर करीम महमूद टॉनबॉल ध्यान दिलाते हुए कहते हैं कि महासागर और समुद्र, पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत से ज़्यादा क्षेत्र ढके हुए हैं, “हम एक नील दुनिया में रहते हैं.” 

डॉक्टर करीम के अनुसार,”महासागर हमारे ग्रह का हृदय और फेफड़े हैं, जो उस ऑक्सीजन का ज़्यादातर हिस्सा मुहैया कराते हैं जो हम जीने के लिये अपनी साँसों में खींचते हैं.”

डॉक्टर करीम ने संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग के अनुरोध पर ये वीडियो तैयार करने की पहल संगठित की.

भविष्य के लिये फ़िक्र

डॉक्टर करीम बताते हैं कि इस वीडियो के लिये जिन सैकड़ों छात्रों ने योगदान किया, वो ये समुद्री विशेष सन्देश भेजने के लिये, मानवता के भविष्य के लिये साझी चिन्ता से प्रेरित थे.

उनका कहना है कि महासागर पारिस्थितिकी तंत्र का भी बहुत अहम तत्व हैं और भोजन व औषधि का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं.

डॉक्टर करीम के अनुसार दुनिया भर में तीन अरब से ज़्यादा लोग जीवित रहने के लिये, समुद्री व तटीय जैव विविधता पर निर्भर हैं, जबकि महासागर इनसानों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइ ऑक्साइड का 30 प्रतिशत हिस्सा भी सोख़ते हैं, जिससे गर्म होते ग्रह के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है.

यह वीडियो बनाने के लिये वीडियो माहिरों की एक टीम ने लगभग एक सप्ताह तक तैयारी की और दर्जनों छात्रों ने समुद्री यूनीफ़ॉर्म में कोरियोग्राफ़ी का अभ्यास किया.

मगर अकादमी ये मानती है कि ये संसाधन निवेश, उनके क़िर परिसर से, यूएन महासागर सम्मेलन के लिये, ये शक्तिशाली सन्देश भेजने के लिये, एक सही फ़ैसला था.

डॉक्टर करीम कहते हैं, “हमारा सन्देश दुनिया के महासागरों के टिकाऊ प्रबन्धन को सहारा देने के वैश्विक प्रयासों को एकजुट और सक्रिय करने के लिये है, जिसमें महासागरीय संसाधनों और समुद्री वातावरण के संरक्षण के लिये नागरिकों के वैश्विक आन्दोलन को स्फूर्ति देना भी शामिल है.”

संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर ये वीडियो तैयार करके भेजना, इस विश्व संगठन के साथ, इस अकादमी के दीर्घकालीन सहयोग का ही एक हिस्सा है.

अकादमी ने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोग देने और अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ पूरी करने के संकल्प को, अपनी रणनैतिक योजना में शामिल किया हुआ है. 

विरासत की बात

डॉक्टर करीम के लिये, ये किसी काग़ज़ पर लिखे गए किसी सवाल भर से कहीं ज़्यादा बड़ी बात है, ये भविष्य की पीढ़ियों के लिये एक विरासत छोड़ने की बात है. 

“हमारी भूमिका, युवा मस्तिष्कों में संसाधन निवेश करके, भविष्य के नेतृत्वकर्ता बनाना है क्योंकि हम टिकाऊ विकास क्रान्ति में शामिल होने में उनकी मदद करने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये सक्रियता बढ़ाने के लिये, अन्तरपीढ़ी बदलाव पर निर्भर हैं...” 

“टिकाऊ विकास ये सुनिश्चित करने के कामकाज व गतिविधियों के बारे में है कि हमारे बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों को एक ऐसी पृथ्वी मिले जो उससे ख़राब ना हो जो हमें विरासत में मिली, इसलिये हमारा शोध, मानवता के हित की ख़ातिर, नवाचारी समाधान आगे बढ़ाने के लिये समर्पित है.”

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