विरोध प्रदर्शनों पर तालेबान का हिंसक होता रवैया – यूएन की मानवाधिकार चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान के अनेक हिस्सों में, नया तालेबान प्रशासन पिछले चार सप्ताह से, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध हिंसक कार्रवाई कर रहा है. इस दौरान गोलियों, लाठियों और कौड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
Peaceful protesters across #Afghanistan have faced an increasingly violent response over past 4 weeks. We call on the Taliban to immediately cease use of force & arbitrary detention of those exercising their right to peaceful assembly, incl. journalists: https://t.co/gNCVDh0VGw pic.twitter.com/5dxtg8SMn1
UNHumanRights
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को तालेबान ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें अनुमति लिये बिना, सभाएँ आयोजित किये जाने पर पाबन्दी लगा दी गईं.
इसके एक दिन बाद, दूरसंचार कम्पनियों को, राजधानी काबुल के कुछ ख़ास हिस्सों में मोबाइल फ़ोन पर इण्टरनेट की उपलब्धता पर रोक लगाने का आदेश दिया गया.
यूएन एजेंसी के अनुसार, इस गहरी अनिश्चितता के समय में सड़कों पर उतर रहे अफ़ग़ान महिलाओं और पुरुषों की आवाज़ों को सुनना, सत्ता में बैठे लोगों के लिये अहम है.
“हम तालेबान से बलप्रयोग रोकने, शान्तिपूर्ण ढंग से सभा करने के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे लोगों और विरोध प्रदर्शन की कवरेज कर रहे पत्रकारों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने को, तत्काल रोकने का आग्रह करते हैं.”
असहमतियों के स्वर
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के मुताबिक़, 15 अगस्त के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और बुधवार तक उनकी संख्या बढ़ती जा रही थी. इसके बाद ही ग़ैरक़ानूनी सभाओं पर पाबन्दियाँ लगाई गई हैं.
15 से 19 अगस्त के दौरान, नांगरहार और कुनार प्रान्त में लोग राष्ट्रीय ध्वज के साथ आयोजनों के लिये एकत्रित हुए.
विश्वसनीय ख़बरों के अनुसार, उस अवधि में तालेबान द्वारा कथित तौर पर, भीड़ को तितर-बितर करने के दौरान, एक पुरुष और एक लड़के की कथित रूप से मौत हो गई और आठ लोग गोलीबारी में घायल हो गए.
7 सितम्बर को, तालेबान ने, रात में एक प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से दो लोगों की हत्या कर दी और इस कार्रवाई में, सात लोग ज़ख्मी हो गए.
उसी दिन काबुल में विश्वसनीय रिपोर्टों के मुताबिक़, तालेबान ने प्रदर्शनकारियों को पीटा और उन्हें हिरासत में ले लिया, जिनमें अनेक महिलाएँ और 15 पत्रकार शामिल हैं.
बुधवार को महिला प्रदर्शनकारियों के एक बड़े प्रदर्शन के दौरान, काबुल के दश्ती-बार्ची इलाक़े में कम से कम पाँच पत्रकारों को हिरासत में ले लिया गया और दो मीडियाकर्मियों को कई घण्टों तक बुरी तरह पीटा गया.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि फैज़ाबाद शहर में महिलाओं द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान, तालेबान ने हवा में गोलियाँ चलाईं और अनेक प्रदर्शनकारियों को पीटा.
इनमें, अनेक महिलाएँ और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं.
काबुल में महिलाओं के एक छोटे से समूह को हिंसक तरीक़े से तितर-बितर किया गया और तालेबान ने उनके सिरों के ऊपर से गोलियाँ चलाईं.
उसी दिन कपिसा और टकहार प्रान्तों में महिलाओं को हिंसक ढंग से तितर-बितर किया गया और अनेक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया.
अन्तरराष्ट्रीय क़ानून
यूएन एजेंसी की प्रवक्ता ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि शान्तिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के तहत रक्षा प्रदान की गई है.
रवीना शमदासानी के अनुसार तालेबान सरकार को, एक सुरक्षित, समर्थ और कोई भेदभाव नहीं करने वाला माहौल बनाना होगा ताकि लोग अपने मानवाधिकारों का इस्तेमाल कर सकें.
इनमें अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्र होने का अधिकार भी है.
बताया गया है कि शान्तिपूर्ण सभाओं पर पूर्ण पाबन्दी, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है और यही बात इण्टरनेट माध्यमों पर रोक लगाए जाने पर भी लागू होती है, जो कि आवश्यकता और आनुपातिकता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि घटनाक्रम की कवरेज में जुटे पत्रकारों के विरुद्ध, किसी भी प्रकार की बदले की भावना से कार्रवाई या उनके उत्पीड़न से बचा जाना होगा.
यूएन एजेंसी के प्रवक्ता ने ध्यान दिलाया कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि अन्तिम उपाय के तौर पर ही बल का प्रयोग किया जाए.
केवल उन्हीं हालात में, जबकि बल प्रयोग करना बेहद आवश्यक हो, और इन हालात में, ज़रूरत के अनुरूप बल और आग्नेय अस्त्रों का उपयोग तभी किया जाए जब मौत या गम्भीर चोट पहुँचने का ख़तरा हो.
बढ़ती भुखमरी
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने शुक्रवार को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक बदहाली और अनिश्चितता के बीच भुखमरी बढ़ रही है.
लगभग 93 फ़ीसदी घरों के लिये भरपेट खाना सम्भव नहीं है. हर चार में से तीन परिवार अपनी ख़ुराक कम कर रहे हैं और वे मांगकर अपने पेट भरने के लिये मजबूर हैं.
21 अगस्त से 5 सितम्बर तक सभी 34 प्रान्तों में कराए गए एक सर्वेक्षण के नतीजे दर्शाते हैं कि परिवारों को अब सस्ती, कम पोषक खाद्य सामग्री ख़रीदने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है और अपने बच्चों को भोजन देने के लिये, अक्सर माँ-बाप को भूखा रहना पड़ रहा है.
15 अगस्त और तालेबान द्वारा सत्ता हथियाए जाने से पहले, 81 फ़ीसदी घरों में पहले ही पेट भर भोजन उपलब्ध नहीं था और हर तीन में से एक अफ़ग़ान व्यक्ति के बराबर संख्या में, लोग खाद्य असुरक्षा की चपेट में थे.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, परिवारों को अब प्रोटीन प्रचुर भोजन कम मिल रहा है – 15 अगस्त से पहले, हर सात दिन में एक बार, उन्हें प्रोटीन वाला भोजन मिलता था, लेकिन अब 15 दिन में एक बार ही ऐसा भोजन मिल पाता है.
यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि सर्दी के आगमन से पहले और आर्थिक बदहाली के दौरान, ज़रूरतमन्द अफ़ग़ान जनता तक सहायता पहुँचाने का समय तेज़ी से हाथ से निकलता जा रहा है.