हाँगकाँग: कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर चिन्ता, तत्काल रिहाई की माँग
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने चीन के हाँगकाँग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत, 50 से ज़्यादा लोगों की गिरफ़्तारी पर गहरी चिन्ता ज़ाहिर करते हुए उन्हें तत्काल रिहा किये जाने की माँग की है. यूएन कार्यालय ने स्थानीय प्रशासन से लोगों को शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की गारण्टी देने का आग्रह किया है.
पुलिस का कहना है कि बुधवार को 53 राजनैतिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पूर्व सांसदों, मौजूदा ज़िला पार्षदों और वकीलों को गिरफ़्तार किया गया है.
#HongKong: We are deeply concerned about the 53 arrests in Hong Kong SAR yesterday, and we call for their immediate release. It's a sign that the National Security Law is indeed being used to detain individuals for exercising their fundamental freedoms 👉 https://t.co/y8B1g1092g pic.twitter.com/5YSqYSViKL
UNHumanRights
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रोस्सेल ने गुरुवार को कहा कि ताज़ा गिरफ़्तारियाँ हाँगकाँग में शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने और बुनियादी स्वतन्त्रता से जुड़े अधिकारों के इस्तेमाल किये जाने के ख़िलाफ़ सिलसिलेवार कार्रवाई का हिस्सा हैं.
“ये ताज़ा गिरफ़्तारियाँ दर्शाती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत उल्लंघन के अपराध का वास्तव में इस्तेमाल राजनैतिक व सार्वजनिक जीवन में हिस्सेदारी के जायज़ अधिकारों का प्रयोग करने के लिये, व्यक्तियों को हिरासत में लेने के लिये किया जा रहा है. इसका डर पहले भी जताया गया था.”
लिज़ थ्रोस्सेल ने ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक मुद्दों पर प्रत्यक्ष व स्वतन्त्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के ज़रिये हिस्सेदारी का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है.
नागरिक व राजनैतिक अधिकारों पर अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनी सहमति (International Covenant on Civil and Political Rights / ICCPR) के अन्तर्गत यह अधिकार संरक्षित है.
मानवाधिकार दायित्वों की पुकार
उन्होंने कहा, “हम अधिकारियों से ICCPR के तहत तय दायित्वों को मज़बूती से निभाने और राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की आज़ादी, शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने व मिलने-जुलने के अधिकार का दमन करने से बचने का आहवान करते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय और यूएन के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अनेक बार चेतावनी जारी की है कि जून 2020 में पारित किये गए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून में क़ानून के उल्लंघन को स्पष्टता से बयान नहीं किया गया है.
इससे क़ानून का मनमाने व ग़लत ढँग से इस्तेमाल किये जाने की आशंका है.
मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता ने स्थानीय प्रशासन से मौजूदा जाँच प्रक्रिया के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की गारण्टी देने का आग्रह किया है.
इसके तहत पत्रकारों और मीडिया संगठनों को पूर्ण रूप से और आज़ादी के साथ कामकाज जारी रखने की अनुमति दी जानी होगी.