वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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नवीनतम समाचार

यूनेस्को, पत्रकारों और पत्रकारिता से सम्बन्धित काम करने वाले कर्मियों की सुरक्षा को सक्रियता के साथ बढ़ावा देता है.
Unsplash/Engin Akyurt

ग़ाज़ा में पत्रकारों की मौतों, आवाज़ दबाए जाने, और उन पर हमलों की निन्दा

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य अभियान और भीषण लड़ाई की कवरेज, हाल के वर्षों में पत्रकारों के लिए सबसे घातक और ख़तरनाक साबित हुई है.

उत्थान परियोजना के ज़रिए, मंज़ूर नदफ़ जैसे अनेक सफ़ाई कर्मियों को पहचान व गरिमा हासिल हुई है.
UNDP India

भारत: उत्थान पहल के ज़रिए, पहचान और सम्मान हासिल

भारत में यूएनडीपी की उत्थान परियोजना से लाभ उठाने वाले मंज़ूर नदफ़ की प्रेरक कहानी, जिन्हें आधिकारिक पहचान मिलने से, उनका आर्थिक सशक्तिकरण सम्भव हुआ.

ग़ाज़ा स्थित दीर अल-बलाह स्कूल.
UN News

ग़ाज़ा: बिखरते सपनों के बीच युवाओं का हौसला क़ायम रखने की जद्दोजहद

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में स्कूली सत्र निलम्बित किए जाने, कक्षाएँ बन्द होने या स्कूलों के आश्रय स्थलों में तब्दील कर दिए जाने के कारण, बच्चों की शिक्षा का पूरा एक साल बर्बाद होने की सम्भावना है. यूएन न्यूज़ के संवाददाता, ज़ायद तालिब ने, मध्य ग़ाज़ा के दीर ​​अल-बलाह स्थित स्कूल में, शिक्षकों और बच्चों के साथ बातचीत की. यह स्कूल, सुरक्षित स्थान की तलाश में अपने घरों से भागकर आए विस्थापितों से खचाखच भरा हुआ है.

फ़्रांस के एक अस्पताल में, एक चिकित्सक, एक कैंसर रोगी के साथ बातचीत करते हुए.
© WHO/Gilles Reboux

कैंसर का बढ़ता बोझ, 2050 तक 77% वृद्धि के अनुमान

विश्व भर में कैंसर बीमारी की चुनौती एक गम्भीर रूप धारण कर रही है, और इसका विशेष रूप से निम्न आय वाले देशों में उन आबादियों पर विषमतापूर्ण असर हो रहा है, जोकि पर्याप्त स्तर पर बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं व उपचार की वित्तीय कवरेज के दायरे से बाहर हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने, इस सदी के मध्य तक, कैंसर के मामलों की संख्या में लगभग 77 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान व्यक्त किए हैं.

हताश व ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनियों तक सहायता पहुँचाने के लिए यूएन एजेंसी चौबीसों घंटे प्रयासों में जुटी है.
© UNRWA

ग़ाज़ा में, धन की क़िल्लत के बीच, सहायता अभियान जोखिम में

फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा में, इसराइली बमबारी जारी रहने के बीच, जीवनरक्षक सहायता अभियान ख़तरे में हैं क्योंकि फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UNRWA, अपने लिए वित्त सहायता के गम्भीर संकट का सामना कर रही है.