वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

ग़ाज़ा से यूक्रेन तक, मानवाधिकारों का भयावह हनन रोकने के लिए जवाबदेही अनिवार्य, वोल्कर टर्क

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, विभिन्न वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों पर, यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत की (14 दिसम्बर 2023).
UN Photo/Mark Garten
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, विभिन्न वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों पर, यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत की (14 दिसम्बर 2023).

ग़ाज़ा से यूक्रेन तक, मानवाधिकारों का भयावह हनन रोकने के लिए जवाबदेही अनिवार्य, वोल्कर टर्क

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी वोल्कर टर्क ने गुरूवार को कहा है कि ग़ाज़ा में युद्ध अब भी तबाही मचा रहा है और मृत्यु संख्या लगातार बढ़ रही है, हताहतों में अधिकतर महिलाएँ व बच्चे हैं, ऐसे में, जवाबदेही निर्धारित किया जाना "बेहद अनिवार्य" है ताकि कष्ट व पीड़ाओं को बढ़ने से रोका जा सके.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने, यूएन न्यूज़ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में रेखांकित किया है कि दुनिया भर के अधिकांश संघर्षों व टकरावों में जवाबदेही सुनिश्चचित किया जाना बहुत महत्वपूर्ण और एक ऐसी बुनियादी मगर "ग़ायब कड़ी" है जो हिंसा के चक्र को क़ायम रखती है.

उन्होंने इसराइल-फ़लस्तीन युद्ध के नवीनतम रक्तरंजित चक्र का ज़िक्र करते हुए कहा है, "यह बिल्कुल महत्वपूर्ण है कि जवाबदेही किसी भी भविष्य की व्यवस्था का हिस्सा हो, क्योंकि हम जानते हैं कि यदि दंड से मुक्ति रहेगी, और यदि तथ्यों को नहीं बताया जाएगा और यदि सच को नहीं बताया जाएगा, तो हमारी पीड़ाएँ बनी रहेंगी." 

यह साक्षात्कार मध्य पूर्व क्षेत्र की स्थिति से भी आगे तक फैला हुआ है, जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भी प्रकाश डालता है, वहाँ भी आम लोगों को रूस के आक्रमण का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है.

वोल्कर टर्क ने जवाबदेही तंत्र की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए रेखांकित किया कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, मगर "एक बार अगर किसी ने इस प्रकार के अपराध किए हैं, तो वो कभी भी इस बारे में आश्वस्त नहीं हो सकते कि किसी चरण में वो पकड़े नहीं जाएंगे.” उन्होंने इस सन्दर्भ में, न्यूरेमबर्ग मुक़दमों या 1990 के दशक के मध्य में पूर्व यूगोस्लाविया में युद्ध के बाद की स्थितियों जैसे ऐतिहासिक दौर का उदारण दिया.

संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख ने इस साक्षात्कार में, बढ़ती हेट स्पीट और महिलाओं के अधिकारों को बेअसर बना देने के ख़तरे के साथ-साथ, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 75 वीं वर्षगांठ के माध्यम से, समान अधिकारों पर प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के साल भर के अभियान के बारे में भी बात की. .

इस साक्षात्कार के अंश स्पष्टता के लिए सम्पादित किए गए हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क की, यूएन न्यूज़ के साथ, वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों पर ख़ास बातचीत (14 दिसम्बर 2023).
UN Photo/Mark Garten

यूएन न्यूज़: 7 अक्टूबर को हमास के भयावह हमले और इसराइल की प्रतिक्रिया के बाद इसराइल और फ़लस्तीन के बीच युद्ध में हाल में बढ़ोत्तरी के साथ, दो महीने से अधिक का समय हो गया है. हमने सप्ताह-दर-सप्ताह आतंक देखा है. 18 हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में बच्चे हैं. और आपने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के कई भयावह उल्लंघनों के बारे में बेहद गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है. और आपने जाँच की मांग की है. आप चेतावनी भी दे रहे हैं कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है. क्या वास्तव में अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकारों को लागू करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ किया जा सकता है कि मानवीय क़ानून सभी सदस्य देशों पर लागू हों? 

वोल्कर टर्क: ग़ाज़ा पट्टी में, पश्चिमी तट में ही नहीं बल्कि इसराइल में भी जो कुछ हो रहा है, वह एक अपरिवर्तनीय त्रासदी है, क्योंकि यह अन्ततः सभी समुदायों को प्रभावित करता है. 

और निश्चित रूप से, ग़ाज़ा में जो कु हो रहा है वह विनाशकारी से भी परे की स्थिति है. मैं इस बात से भी क्रोधित हूँ कि हमारे इतने सारे सहयोगी मारे गए हैं – UNRWA के [135] सहयोगी और WHO से एक सहयोगी, कि हमारी मानवीय प्रणाली का सम्मान नहीं किया जा रहा है. हम वह मुहैया कराने में सक्षम नहीं हैं जो हम सामान्य रूप से युद्ध की स्थिति में करने में सक्षम होते हैं. और यह कि मानवाधिकारों और अन्तरराष्ट्रीय और पूरे क़ानून का सबसे गम्भीर रूपों में हर दिन उल्लंघन किया जा रहा है. 

यह बिल्कुल महत्वपूर्ण है कि जवाबदेही भविष्य की किसी भी व्यवस्था का हिस्सा है, क्योंकि हम जानते हैं कि अगर दंडमुक्ति का राज होता है और तथ्यों को उजागर नहीं किया जाता है, और यदि सच्चाई नहीं बताई जाती है, तो हमारे पास शिकायतें चलती रहेंगी. इसलिए मैं आशा करता हूँ कि हम मानवाधिकार पक्ष की ओर से जो कार्य कर रहे हैं, उसके साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय भी ऐसा ही करें, विभिन्न प्रणालियाँ ऐसा करें. इससे वास्तव में हमें उन कुछ जवाबदेही मुद्दों को दूर करने में मदद मिलेगी जिनका हम इस स्थिति में सामना कर रहे हैं. 

यूएन न्यूज़: तो आप अगले क्या क़दम उठाने की कल्पना करते हैं और आप उन लोगों के लिए क्या कहेंगे जो जनसंहार के सम्भावित संकेतों को चिह्नित कर रहे हैं? 

वोल्कर टर्क: तो हम स्थिति व घटनाओं की रिपोर्टिंग, दस्तावेज़ों का आलेखन करना जारी रखेंगे, हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. मैं अत्याचार-अपराधों के जोखिम के बारे में बहुत चिन्तित हूँ. मैं विशेष रूप से पश्चिमी तट की स्थिति के बारे में बहुत चिन्तित हूँ, क्योंकि हम जो देख रहे हैं वह यह है कि हम 7 अक्टूबर से लगभग 271 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं,  जिनमें 69 बच्चे शामिल हैं. मुझे चिन्ता है कि भविष्य में इसका क्या मतलब है. 

मैं हमास की तरफ़ से ही नहीं बल्कि इसराइली सेना और राजनैतिक नेताओं की तरफ़ से भी देखी गई अमानवीयकरण करने वाली भाषा से बेहद हैरान हूँ. उनमें से कुछ ने ऐसी टिप्पणियाँ की हैं जो पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं और इससे हमें बहुत चिन्ता होती है. 

ग़ाज़ा में युद्ध से विशाल विध्वंस हुआ है जो दो महीने से भी अधिक समय से जारी है
© WFP/Ali Jadallah

यूएन न्यूज़: यूक्रेन का रुख़ करते हैं. आपने रूसी सेनाओं द्वारा हतप्रभ कर देने वाले लगातार और गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघनों की निन्दा की है, जिसका बहुत का या कोई असर नहीं हुआ है. और भी मानवाधिकार तंत्र हैं जो मानवाधिकार उल्लंघनों की निगरानी कर रहे हैं और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे हैं. आप एक और भयानक युद्ध पर कैसे ध्यान केन्द्रित करते हैं, जो लगभग दो वर्षों से चल रहा है.

वोल्कर टर्क: जब मैं अगले सप्ताह जिनीवा वापस जाऊंगा, तो तुरन्त मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करूंगा और उसके सामने, यूक्रेन की स्थिति पर नवीनतम जानकारी रखूंगा. जैसा कि आप जानते हैं, सर्दियों के दौरान, स्थिति और भी बदतर हो जाती है क्योंकि कुछ समुदाय, विशेष रूप से युद्ध की अग्रिम पंक्ति के निकट वाले समुदाय, बिजली पहुंच से वंचित हो जाते हैं.

हम देख रहे हैं कि वहाँ, लगातार मौतें हो रही हैं, मानवाधिकारों का गम्भीर उल्लंघन हो रहा है, ख़ासतौर पर यातनाएँ, जो तब हो रहा है जब भी रूसी सेना, किसी क्षेत्र पर क़ब्जा करने में सक्षम होती है. और हाँ, हमें बस यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि फिर से जवाबदेही सुनिश्चित की जाए.

यूएन न्यूज़: तो क्या कुंजी हमेशा जवाबदेही है?

वोल्कर टर्क: कुंजी जवाबदेही है क्योंकि यह दुनिया भर में अधिकांश संघर्ष या युद्ध वाली स्थितियों में ग़ायब कड़ी रही है. और यदि आप जवाबदेही पर ध्यान नहीं देते हैं, तो आप फिर से युद्ध और संघर्ष में फँस जाएंगे.

यूएन न्यूज़: तो फिर आप कहेंगे कि यूक्रेन जैसे युद्धों में, उचित प्रक्रिया सुनिश्चित किए जाने की उम्मीद है?

वोल्कर टर्क: सबसे पहले, सवाल यह है कि ऐसा कब किया जा सकता है. लेकिन हमने कई अन्य स्थितियाँ देखी हैं, यदि आप केवल बोसनिया और पूर्व यूगोस्लाविया के युद्धों को देखें, बल्कि रवांडा और अन्य स्थितियों को भी देखें, तो आपने वास्तव में लोगों को पकड़े जाते हुए देखा होगा.

आज भी, राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार, सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार मौजूद हैं जो लागू होते हैं. और एक बार जब कोई इस प्रकार के अपराध कर लेते हैं, तो वो कभी भी आश्वस्त नहीं रह सकते कि किसी स्तर पर वो पकड़े नहीं जाएंगे.

मैं इस जवाबदेही तंत्र में विश्वास करता हूँ. 75 साल पहले यह हमारे पास नहीं था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हमारे पास यह था. और नूरेम्बर्ग मुक़दमों के साथ स्थापित की गई प्रणाली ने, हमें जवाबदेही की प्रणाली मज़बूत करने में बहुत मदद की है.

मैं जानता हूँ कि यह पर्याप्त त्वरित नहीं है. मैं जानता हूँ कि हमें इसे हर जगह और समान तीव्रता के साथ लागू करना होगा, मगर यह किसी ऐसी चीज़ की शुरुआत है जो अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है.

यूएन न्यूज़: और क्या यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे आप समय के साथ एक निवारक के रूप में विकसित होते देखने की अपेक्षा करते हैं?

वोल्कर टर्क: मुझे लगता है कि हमने इसे एक निवारक के रूप में देखा है. हमें ग़ैर-अनुपालन की क़ीमत बहुत अधिक बढ़ानी होगी. और इसीलिए जवाबदेही की आवश्यकता है. यह रोकथाम का भी हिस्सा है.

यूक्रेन में हमले के दौरान ध्वस्त हुई स्कूल की इमारत के भीतर खड़ा एक लड़का.
© UNICEF/Aleksey Filippov

यूएन न्यूज़: आप मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 75वीं वर्षगांठ के वर्ष में मानवाधिकार उच्चायुक्त हैं. और आपने दुनिया की स्थिति और मनुष्यों के एक-दूसरे के साथ बर्ताव और ग्रह के साथ व्यवहार पर विस्तार से मंथन किया है. और आपने इस स्थिति तत्काल बदलने का आहवान किया है. आप उन लोगों को क्या कहेंगे जिनका मानवाधिकारों से भरोसा उठ है और जो कहते हैं कि ये केवल कुछ लोगों पर लागू होते हैं, दूसरों पर नहीं, या कि यह धीमी प्रक्रिया है?

वोल्कर टर्क: हाँ, यूँ कहा जा सकता है, संयुक्त राष्ट्र के भीतर की व्यवस्था, प्रलयकारी घटनाओं से उत्पन्न हुई थी. दो विश्व युद्ध, जनसंहार, परमाणु ख़तरा, बड़े पैमाने पर विस्थापन - केवल योरोप में 6 करोड़ लोगों का विस्थापन. आज जब हम आँकड़ों की बात करते हैं तो आप देख सकते हैं कि तब ये आँकड़े क्या थे.

इस स्थिति में से, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा सामने आई. और यह मानव इतिहास के एक भयावह दौर की पृष्ठभूमि में हुआ था, और यह ठीक इसी भावना के साथ किया गया था कि फिर कभी ऐसा नहीं हो.

और मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा ने इसी उम्मीद व भावना को जन्म दिया है. हमने पिछले 75 वर्षों में देखा है; हम उपलब्धियों के बारे में पर्याप्त बात नहीं करते - हमने मानवाधिकार के मोर्चे पर भारी उपलब्धियाँ देखी हैं. अगर आप इसे ऐतिहासिक नजरिए से देखें.

बेशक, विफलताएँ भी हैं, लेकिन विफलताएँ मानव अधिकार प्रणाली की नहीं हैं, बल्कि कार्यान्वयन की विफलताएँ हैं. और यह सवाल हमें वापस लाता है इस मुद्दे पर कि सदस्य देशों के दायित्व क्या हैं, बल्कि आमतौर पर तेज़ी से बढ़ रहे व्यवसाय, निजी क्षेत्र और ग़ैर-सरकारी पक्ष अभिनेता भी इसमें प्रासंगिक हैं. और हमें इसी पर बल देने की भी ज़रूरत है.

यूएन न्यूज़: मानवाधिकारों को अधिक गंभीरता से लेने की आपकी नीयत क्या है? और क्या आप कुछ उदाहरण दे सकते हैं?

वोल्कर टर्क: मैं अभी जिनीवा से आया हूँ. मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दो दिवसीय उच्च स्तरीय कार्यक्रम आयोजित हुआ. और इसे एक छोटा सा चमत्कार कहा जाएगा कि ध्रुवीकरण और भू-राजनैतिक तनाव की पृष्ठभूमि के बावजूद, 155 से अधिक देशों ने ठोस प्रतिज्ञाएँ की हैं जो परिवर्तनकारी साबित होने जा रही हैं.

उदाहरण के लिए, पाँच देशों ने प्रतिज्ञा की है कि वे मृत्युदंड को समाप्त करने जा रहे हैं. लैंगिक समानता, महिलाओं की सुरक्षा में कैसे सुधार किया जाए, इस पर 54 देशों ने बहुत ठोस सुझाव दिए हैं. लगभग 14 देश, राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान स्थापित करने जा रहे हैं.

ऐसे देश भी हैं जो विकलांग व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए क़ानून अपनाने जा रहे हैं. अनेक देश जवाबदेही के मुद्दों और संक्रमणकालीन न्याय के मुद्दों पर और अधिक काम करने के बारे में बात कर रहे हैं.

तो, इससे मुझे आशा मिलती है. हमारे पास मौजूद सभी नकारात्मक ख़बरों के बावजूद, हम प्रगति देख रहे हैं. प्रगति हो रही है. हमें कभी हार नहीं माननी है और अपने काम में लगे रहना है.

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, अक्टूबर 2023 में आए विनाशकारी भूकम्प का असर.
© UNICEF/Osman Khayyam

यूएन न्यूज़: आपने लिंग और महिलाओं के अधिकारों का उल्लेख किया - हम तालेबान से लेकर, कुछ तथाकथित सबसे विकसित देशों में प्रजनन अधिकारों को वापस लेने तक के हालात. आप इस समय दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों में कटौती के बारे में क्या कहेंगे?

वोल्कर टर्क: हमने लिंग और लैंगिक अधिकारों और महिलाओं के अधिकारों पर बहुत चिन्ताजनक प्रतिक्रिया देखी है. लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम किस स्थान से यहाँ तक पहुँचे हैं, और इसे ध्यान में रखना ज़रूरी है.

आज जो बात मुझे चौंका रही है वह यह है कि जिन चीज़ों के बारे में मैंने सोचा था कि वे अब कोई मुद्दा नहीं होंगी, उदाहरण के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार – या उससे कहीं अधिक, या केवल बुनियादी समानता के मुद्दे - वे अब बहस के सवाल बन गए हैं.

और मैं बस आशा करता हूँ कि यह एक अस्थाई दौर है जो जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा. और इसीलिए हमें इसके लिए लड़ने की ज़रूरत है, क्योंकि हम कभी भी किसी भी चीज़ को हल्के में नहीं ले सकते - यह मानवाधिकारों से सीखे गए सबक़ों में से एक है.

मुझे लगता है कि प्रत्येक पीढ़ी को इसे अपनाना होगा, इसके लिए फिर से प्रतिबद्ध होना होगा, और उन प्रभावशाली लोगों के ख़िलाफ़ पीछे हटने का एक तरीक़ा ढूंढना होगा जो अक्सर स्त्री-द्वेषी रवैया, लिंगवादी रवैया और पितृसत्तात्मक रवैया करते हैं, जिनके लिए 21 वीं सदी में, स्पष्ट रूप से कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

यूएन न्यूज़: और देशों की सम्पूर्ण व्यवस्था भी?

वोल्कर टर्क: विशेष रूप से, यदि आप अफ़ग़ानिस्तान को देखें, जहाँ मूल रूप से एक ऐसी सत्ता है जो अनिवार्य रूप से महिलाओं और लड़कियों पर व्यवस्थित रूप से इसलिए अत्याचार करती है क्योंकि महिलाएँ और लड़कियाँ हैं. मेरा मतलब है, 21वीं सदी में ऐसा होना, अटपटा लगता है.

और हमें वास्तव में इसे रोकने के तरीक़ व साधन खोजने की ज़रूरत है. लेकिन बात सिर्फ़ इतनी ही नहीं है. यमन में भी मुद्दे बहुत गम्भीर हैं. उदाहरण के लिए, पापुआ न्यू गिनी, ईरान और कुछ अन्य जगहों पर भी हालात ऐसे हैं जहाँ वास्तव में महिलाओं के ख़िलाफ़ व्यवस्थित रूप में भेदभाव होता है.

यूएन न्यूज़: अगले साल दुनिया भर में बड़ी संख्या में देश स्तरीय चुनाव होने वाले हैं, और हम लोकतंत्र के सिद्धान्तों व सहिष्णुता में गिरावट, ध्रुवीकरण देख रहे हैं. और इस बीच, हम सुनियोजित दुष्प्रचार अभियानों में वृद्धि और यहाँ तक कि शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों पर भी कार्रवाई देख रहे हैं. क्या आप हमें बता सकते हैं कि आपका कार्यालय स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों का समर्थन करने के लिए क्या करता है?

वोल्कर टर्क: यह एक फ़िक्र की बात तो कि 70 देशों में चुनाव होने वाले हैं, जिनमें 4 अरब लोग अपना नया नेतृत्व चुनेंगे. और साथ ही, सोशल मीडिया मंचों पर अक्सर हानिकारक दुष्प्रचार किया जाता है, यहाँ तक कि हिंसा और घृणा के लिए भी उकसाया जाता है.

और केवल मेरे कार्यालय के लिए नही, बल्कि पूरे संयुक्त राष्ट्र का मुद्दा है कि प्रारम्भिक चेतावनी संकेतों का तुरन्त पता लगाया जाए और उस पर कार्रवाई की जाए और उसका मुक़ाबला करना बेहद महत्वपूर्ण है. उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया मंचों को चलाने वाली तकनीकी कम्पनियों से संपर्क किया जाए ताकि वे वास्तव में सामग्री में सुधार कर सकें. और हम चुनावी प्रक्रियाओं पर हेट स्पीच या दुष्प्रचार के हानिकारक प्रभाव का मुक़ाबला, अभियानों के माध्यम से कर सकते हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क, मानवाधिकार दिवस पर जिनीवा में प्रैस के साथ बात करते हुए.
© OHCHR

यूएन न्यूज़: आपने हेट स्पीच और घृणा का ज़िक्र किया. हम ध्रुवीकरण में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं, हम युद्ध व टकराव देख रहे हैं, हम यहूदी विरोधी भावना, इस्लामोफ़ोबिया को बढ़ते हुए देख रहे हैं. उदाहरण के लिए, आप उन लोगों से क्या कहेंगे जो इसराइल और फ़लस्तीन के बीच मौजूदा युद्ध से पहले, अपने भीतर घृणा में बढ़ोत्तरी महसूस कर रहे थे?

वोल्कर टर्क: नफ़रत उन भावनाओं में से एक है जो बेहद नकारात्मक हैं और दुर्भाग्य से, यह आसानी से बिकती यानि फैलती है. और कभी-कभी ऐसे व्यावसायिक हित भी होते हैं जो नफ़रत को बढ़ावा देते हैं. और हमें इसमें कटौती करने की ज़रूरत है, हमें इसे ख़त्म करने की जरूरत है. हमें इन बिज़नेस मॉडलों का भंडाफोड़ करने की जरूरत है.

और हमें मानवता को उसके मूल वजूद और उसके मूल सिद्धान्तो पर वापस लाने के लिए, फिर से तरीक़े और साधन खोजने की भी आवश्यकता है. और मेरी ये कामना है कि शान्ति, मेल-मिलाप, नफ़रत को वास्तव में सकारात्मक कार्यों में तब्दील करने वाले सन्देशों को केवल मीडिया में ही नहीं, बल्कि चर्चाओं में भी अधिक लोकप्रियता मिले.

हम अब शायद ही शान्ति पर चर्चा करते हैं, जो कि काफ़ी स्तब्ध करने वाली बात है, या फिर एक बेहतर दुनिया के लिए, एक परिवर्तनकारी माध्यम के रूप में मानवाधिकारों के बारे में कम ही चर्चा होती है. मैं चाहता हूँ कि इस तरह की चर्चा, कहीं अधिक व्यापक स्तर पर हो.

यूएन न्यूज़: तो, विश्व की वर्तमान स्थिति के बावजूद, क्या आप इससे बाहर आने को लेकर आशावान महसूस करते हैं?

वोल्कर टर्क: मेरा मतलब है, हम कभी आशा नहीं छोड़ सकते हैं और हम अपना काम कभी नहीं छोड़ सकते, और मुझे लगता है कि आज की त्रासदियों के भीतर, हम यह भी देख सकते हैं कि वे कौन से तत्व हैं जो वास्तव में हमें इससे बाहर निकाल सकते हैं. इस खाई से दूर... और आइए हम ऐसे भविष्य के लिए आशावान बनें जो अधिक शान्तिपूर्ण और एक-दूसरे को अधिक गले लगाने वाला हो.