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दक्षिणी गाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में दो बच्चे अपने घर के मलबे के बीच बैठे हैं.

साक्षात्कार: ग़ाज़ा में 'अभूतपूर्व' स्तर पर विनाश, विस्थापन और पीड़ा

© UNICEF/Eyad El Baba
दक्षिणी गाज़ा पट्टी के रफ़ाह शहर में दो बच्चे अपने घर के मलबे के बीच बैठे हैं.

साक्षात्कार: ग़ाज़ा में 'अभूतपूर्व' स्तर पर विनाश, विस्थापन और पीड़ा

शान्ति और सुरक्षा

ग़ाज़ा में जारी युद्ध से फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी - UNRWA पर "अभूतपूर्व" प्रभाव पड़ा है. इस यूएन एजेंसी में संचार निदेशक जूलियट टौमा ने यूएन न्यूज़ को बताया है कि लड़ाई में मारे गए अपने सहयोगियों के लिए शोकाकुल एजेंसी के कर्मचारी, ग़ाज़ा में भयंकर बमबारी के हालात में काम कर रहे हैं.

7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले के पश्चात लड़ाई बढ़ने के बाद से, ग़ाज़ा में UNRWA के 135 कर्मचारियों के मारे जाने की जानकारी है. यह किसी भी टकराव या युद्ध में यूएन कर्माचारियों के मारे जाने की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. 

लेकिन इस ख़तरे और बेहद कठिन कामकाजी परिस्थितियों के बावजूद, UNRWA  संघर्षरत इलाक़े में फँसे लोगों की सहायता करना जारी रखे हुए है. लगभग 20 लाख लोग ग़ाज़ा पट्टी से विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से असंख्य लोग सुरक्षा की तलाश में बार-बार जगह बदलने के लिए मजबूर हैं.

यूएन न्यूज़ के कॉनर लेनन ने यूएनआरडब्ल्यूए की संचार निदेशक जूलियट टौमा से 19 दिसम्बर को बात करके जानना चाहा कि इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीन क्षेत्रों में एजेंसी क्या भूमिका निभा रही है, ग़लत सूचनाओं के प्रसार से एजेंसी पर क्या असर पड़ा है और इतने सहयोगियों के मारे जाने की पीड़ा से उनके सहयोगी किस तरह जूझ रहे हैं.

जूलियट टौमा: यह बहुत क्रूर युद्ध है. जब कुछ हफ़्ते पहले मैं ग़ाज़ा में थी, तो दिन-रात बमबारी की आवाज़ सुनकर मेरी नींद खुल जाती थी. तब मैं यह सोचने को मजबूर हो गई कि अगर अगर एक माँ के रूप में मुझे हर रात अपने तीन बच्चों को सुलाने की कोशिश करनी पड़ती, तो मैं क्या करती.

यह सब अभूतपूर्व है: स्तर, विनाश का पैमाना, लोगों का विस्थापन, सहकर्मियों की हानि के साथ एजेंसी पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है. साथ ही, हमारी अपनी सुविधाओं पर बमबारी, और यह तथ्य कि यह सब केवल सात सप्ताह के भीतर ही हो गया. संयुक्त राष्ट्र में 20 वर्षों के अपने सेवाकाल के दौरान मैंने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी.

ग़ाज़ा पट्टी पर अब सात लम्बे हफ़्तों से कड़ी घेरान्दी है, जिससे संयुक्त राष्ट्र और मानवीय समुदाय द्वारा भोजन, पानी और ईंधन जैसी आपूर्ति पहुँचाने में व्यवधान पैदा हो गया है.

वर्तमान में, 14 लाख से अधिक लोगों ने यूएनआरडब्ल्यूए के आश्रय स्थलों में शरण ली है. हमारे अपने कर्मचारी शोकाकुल हैं, और वे स्वयं विस्थापित हैं, लेकिन फिर भी वो लोगों की मदद करने के हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं.

साथ ही, इस संघर्ष की शुरुआत से ही हम ग़लत सूचना अभियान का शिकार हो रहे हैं. हमारी वेबसाइट, हमारी दानदाता साइट और सोशल मीडिया पर, साइबर हमलों के साथ झूठ एवं अफ़वाहें, जंगल की आग की तरह फैल रही हैं.

हजारों विस्थापित, दक्षिणी गाज़ा में ख़ान यूनिस चले गए हैं.
© UNFPA Palestine/Bisan Ouda

यूएन न्यूज़: क्या आप इसका कोई उदाहरण दे सकती हैं?

जूलियट टौमा: हमने अपने शिक्षा तरीक़ों और स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा पर हमले देखे हैं. हम संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र एजेंसी हैं जो स्कूल चलाती है, और इस पूरे क्षेत्र में हम 700 स्कूलों का संचालन करते हैं.

हम उन पाठ्यपुस्तकों का उपयोग करते हैं जो संचालन के पाँच क्षेत्रों में मेज़बान सरकारों द्वारा प्रदान की जाती हैं. लेकिन हमारे पास बहुत सख़्त जाँच प्रणाली है, जिसके तहत उन पुस्तकों की सामग्री को देखा-परखा जाता है, और हम अपने शिक्षकों को हर समय प्रशिक्षित करते रहते हैं कि इन पुस्तकों में दी गई सामग्री को किस तरह पढ़ाया जाए.

हमारे शिक्षकों को इस तरह की शिक्षा प्रदान करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है जिससे बच्चों को संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों का पालन करने में मदद मिले, जिसमें शान्ति और सहिष्णुता हो, और किसी भी तरह की नफ़रत या नस्लवाद शामिल न हो.

अन्य आरोप, लड़ाई में हमारे कर्मचारियों की भागेदारी और गाज़ा में कुछ सशस्त्र समूहों के साथ उनकी राजनैतिक संबद्धता से सम्बन्धित हैं. ये ग़लत सूचना अभियान, गाज़ा पट्टी में वर्तमान में मौजूद सबसे बड़े मानवीय संगठन के प्रयासों को कमज़ोर करते हैं, जो हमारे आश्रयों में रहने वाले कम से कम 14 लाख लोगों की ज़रूरतों को पूरा करता है.

यूएनआरडब्ल्यूए के स्कूल अब आश्रयों और चिकित्सा स्थलों में तब्दील हो चुके हैं.
© UNFPA Palestine/Bisan Ouda

यूएन न्यूज़: हालाँकि आपकी एजेंसी 7 अक्टूबर के बाद से जाँच के दायरे में अधिक आ गई है, लेकिन यह तो संयुक्त राष्ट्र के शुरुआती दिनों से ही अस्तित्व में है.

जूलियट टौमा: हाँ, हम संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसियों, और ग़ाज़ा की सबसे बड़ी एजेंसियों में से एक हैं. हम यहाँ सात दशकों से काम कर रहे हैं.

हमारे सबसे बड़े कार्यक्रम के तहत शिक्षा प्रदान की जाती है, लेकिन दुख की बात है कि 7 अक्टूबर के बाद से, हमें अपने सभी स्कूल बन्द करने पड़े हैं और उनमें से अनेक को आश्रय स्थलों में बदलना पड़ा है.

हम दस लाख से अधिक लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और 12 लाख से अधिक लोगों को भोजन सहायता प्रदान करते हैं. हम ज़रूरतमन्द परिवारों को नक़दी सहायता और कुछ 'काम के बदले कुछ नक़दी' कार्यक्रम भी चलाते हैं.

ग़ाज़ा पट्टी के समुदाय, यूएनआरडब्ल्यूए को एक विश्वसनीय इकाई के रूप में देखते हैं. यही कारण है कि वे सुरक्षा की तलाश में हमारे आश्रयों में आते हैं. उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के नीले ध्वज पर भरोसा है.

UNRWA के कर्मचारी, गाज़ा में लोगों की मदद करना जारी रखे हुए हैं. (फाइल)
© UNRWA

यूएन न्यूज़: 7 अक्टूबर के बाद से आपकी 100 से अधिक सुविधाएँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, और आपके लगभग 135 सहकर्मी मारे गए हैं. आप इन कठिन परिस्थितियों में किस तरह अपना काम जारी रखते हैं?

जूलियट टौमा: मुझे लगता है कि ग़ाज़ा में हमारे पास साहसी कार्यकर्ताओं की एक अभूतपूर्व टीम है. हमारे अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता, हर दिन हमारे आश्रयों में आकर, सहायता प्रदान करते हैं, लोगों की परेशानियाँ सुनते हैं और परामर्श देते हैं.

वे और भी बहुत कुछ कर रहे हैं जो देखने में बेहद मामूली लग सकता है, लेकिन युद्ध के सन्दर्भ में जीवनरक्षक कार्य हैं, जैसेकि ढेर लगे हुए कूड़े-कचरे को इकट्ठा करना आदि.

इनमें से लगभग 70 प्रतिशत विस्थापित हो चुके हैं: उन्होंने सहकर्मियों, पड़ोसियों, परिवार के सदस्यों और अपने घरों को खो दिया है. लेकिन फिर भी यह हज़ारों लोग अभी भी हर सुबह, संयुक्त राष्ट्र की वर्दी पहन कर, काम पर निकल पड़ते हैं.

मुझे लगता है कि यह समुदाय की उस बहुत मज़बूत भावना का प्रमाण है जिसके लिए ग़ाज़ा कई दशकों से जाना जाता है - एक ऐसा समाज, जिसने संघर्ष के कई चक्रों के साथ-साथ, 15 साल की कड़ी नाकेबन्दी भी सही है.

यूएन न्यूज़: आपने सोचा होगा कि इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा. क्या आप इस बारे में चर्चाएँ कर रहे हैं?

जूलियट टौमा: नहीं, अभी तो हम वतर्मान और मौजूदा स्थिति पर ही ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं. हमारे पास पेशेवरों की एक बहुत ही मज़बूत टीम है, जो संघर्षों, प्राकृतिक आपदाओं एवं मानवीय कार्यों में अत्यधिक अनुभवी है. लेकिन, इस विशाल अनुभव के बावजूद, हम सभी जानते हैं कि ऐसे हालात हमने पहले कभी नहीं देखे हैं.

और इसलिए, अभी हमारा ध्यान उन लोगों को समर्थन देने पर केन्द्रित है, जिन्हें ग़ाज़ा में ज़मीन पर हमारी सबसे अधिक आवश्यकता है. मानवीय सहायता पहुँचाना, जो हो रहा है उसकी जानकारी देना और इस युद्ध को समाप्त करने की हरसम्भव कोशिश करना.