वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

Unsplash/Wesley Gibbs

मादक पदार्थों और सोशल मीडिया के बीच कड़ी को तोड़ना अहम

संयुक्त राष्ट्र समर्थित ड्रग नियंत्रण संस्था ने चेतावनी जारी की है कि सोशल मीडिया पर युवाओं को भांग, हेरोइन और अन्य नियंत्रित पदार्थों के सेवन के लिये उकसाया जा रहा है.

इण्टरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (आईएनसीबी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सोशल मीडिया के प्रयोग और नशीली दवाओं के इस्तेमाल के बीच सम्बन्ध के बढ़ते सबूतों को रेखांकित किया है.

साथ ही, देशों की सरकारों और सोशल मीडिया कम्पनियों से लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये फैलाये जा रहे ऐसे सन्देशों पर रोक लगाने का आहवान किया गया है.

ऑडियो
14'
Sujata Chatterjee

परिधान उद्योग में बढ़ते प्रदूषण के विरुद्ध मुहिम

भारत के कोलकाता शहर की महिला उद्यमी सुजाता चैटर्जी का मानना है कि कपड़ों की बर्बादी एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है.

सुजाता अपने उद्यम के ज़रिये, घरों में बेकार पड़े कपड़ों को  एकत्र करके, उसका एक हिस्सा गाँव में ग़रीब लोगों को देती हैं, और बाकी कपड़ों को री-सायकिल करके नए उत्पाद बनाती हैं.

सुजाता का उद्यम पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित है और परिधान उद्योग में प्रदूषण से निपटने के अलावा ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभा रहा है.

ऑडियो
9'4"
UNDP India

जलवायु सहनक्षमता निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाती महिलाएँ

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये सहनक्षमता निर्माण को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.

भारत में 'महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट' नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन, दक्षिण एशियाई देशों के शहरी इलाक़ों में रहने वाले निम्न आय वाले परिवारों में, महिलाओं को संगठित करने व उनके सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत है.

इसके तहत, ताप लहरों, जल की क़िल्लत, जल भराव या जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिये महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ताकि स्थानीय रूप से प्रासंगिक और ज़रूरतों के अनुरूप समाधानों को अपनाया जा सके.

ऑडियो
14'18"
© WMO/Karolin Eichier

जलवायु कार्रवाई के नज़रिये से बेहद अहम हैं अगले 15 साल

​जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग (IPCC) ने, अपनी एक नई रिपोर्ट में दुनिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में एक कड़ी चेतावनी जारी की है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पारिस्थितिकी विघटन, प्रजातियों के विलुप्तिकरण, जानलेवा गर्मियाँ और बाढ़ें, ये ऐसे जलवायु ख़तरे हैं जिनका सामना विश्व को, वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण, अगले दशकों में करना पड़ सकता है.

ऑडियो
15'16"