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LDC5 सम्मेलन: टैक्नॉलॉजी में महिलाओं व लड़कियों का अहम योगदान रेखांकित

अफ़ग़ान लड़कियों की एक रोबोटिक्स टीम ने सबसे कम विकसित देशों के सम्मेलन के दौरान अपने नवाचार का प्रदर्शन किया.
UN News/Anold Kayanda
अफ़ग़ान लड़कियों की एक रोबोटिक्स टीम ने सबसे कम विकसित देशों के सम्मेलन के दौरान अपने नवाचार का प्रदर्शन किया.

LDC5 सम्मेलन: टैक्नॉलॉजी में महिलाओं व लड़कियों का अहम योगदान रेखांकित

आर्थिक विकास

क़तर की राजधानी दोहा में, अल्पतम विकसित देशों पर पाँचवे सम्मेलन (LDC5) के दौरान बुधवार को ‘अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के अवसर पर महिलाओं व लड़कियों की उपलब्धियों को रेखांकित किया गया. सम्मेलन का विशाल आयोजन स्थल, महिला सशक्तिकरण की पुकार से गूंज उठा, और अफ़ग़ान लड़कियों की रोबोटिक्स समेत, युवा महिला वैज्ञानिकों ने कभी हिम्मत ना हारने का आग्रह किया.

सबसे कम विकसित देशों, भूमिबद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों (UN-OHRLLS) के लिए उच्च प्रतिनिधि रबाब फ़ातिमा ने ध्यान दिलाया कि यह दिवस चिन्तन और पहले से बेहतर प्रयासों का संकल्प लेने का अवसर है.

“एक बेहतर दुनिया हासिल करने के लिए महिलाओं एवं लड़कियों के बुनियादी योगदानों का एक जश्न, जोकि अक्सर प्रतिकूल परिस्थितियों में दिया जाता है.”

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उन्होंने प्रतिभागियों को सचेत किया कि हमारे समाजों में रूपान्तरकारी बदलावों के ज़रिए, एक बेहतर, अधिक समृद्ध और शान्तिपूर्ण विश्व को तब तक हासिल नहीं किया जा सकता है, जब तक महिलाओं व लड़कियों को सशक्त ना बनाया जाए.

इस क्रम में, यूएन उच्च प्रतिनिधि ने दोहा कार्रवाई कार्यक्रम का उल्लेख किया, जोकि व्यापक प्रगति और टिकाऊ विकास के लिए ढाँचागत अवरोधों को दूर करने पर लक्षित है.

LDC5 सम्मेलन की महासचिव रबाब फ़ातिमा ने ज़ोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम, महिलाओं व लड़कियों लिए, सभी LDC देशों में कक्षाओं, बोर्ड रूम और स्टाफ़ रूम के दरवाज़ों को खोल सकता है.

“आइए, हम उस दुनिया के लिए काम करना जारी रखें, जहाँ सभी महिलाओं और लड़कियों के पास हर अवसर की समान सुलभता हो.”

बुधवार को समारोह में सांस्कृतिक विविधता के लिए यूनेस्को कोष द्वारा सम्मानित तंज़ानियाई कलाकार, मूडा अफ़्रीका द्वारा पारम्परिक अफ़्रीकी नृत्य का भी प्रदर्शन किया गया.

विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, नवाचार में प्रतिनिधित्व की कमी

इस वर्ष, अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर नवाचार, टैक्नॉलॉजी समेत डिजिटल युग में शिक्षा और महिलाओं के प्रतिनिधित्व जैसे विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है..

ये सभी विषय, दोहा कार्रवाई कार्यक्रम में भी मौजूद हैं, जिन पर पिछले पाँच दिनों से दोहा में सभी हितधारक गहन विचार-विमर्श में जुटे हैं.

सांख्यिकी पर यूनेस्को संस्थान के अनुसार, अल्पतम विकसित देशों में केवल 30 प्रतिशत शोधकर्ता ही महिलाएँ हैं.

जिन महिला शोधकर्ताओं ने विज्ञान, टैक्नॉलॉजी और नवाचार में अपनी जगह बनाई है, उन्हें भी कम अवधि और वेतन वाले करियर मिल पाता है, और पुरुष सहकर्मियों की तुलना में उनका शोध अनुदान भी कम होता है.

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, गुणवत्तापरक व समावेशी शिक्षा के साथ डिजिटल साक्षरता और विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग व गणित  (STEM विषय) में तकनीकी कौशल पर ध्यान देने से लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा और LDC देशों में महिला सशक्तिकरण प्रयासों में मदद मिलेगी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में.

यूएन उच्च प्रतिनिधि के अनुसार, STEM विषयों में महिलाओं व लड़कियों की समान भागीदारी के रास्ते में खड़े कृत्रिम अवरोधों को हटाकर, उच्चतर शिक्षा में सफलता हासिल की जा सकती है.

“यही वजह है कि दोहा कार्यक्रम का एक ठोस लक्ष्य इसी क्षेत्र में है, एक ऑनलाइन यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने के लिए व्यावहारिक ज़रूरतों को परखना.”

उन्होंने बताया कि इस यूनिवर्सिटी का लक्ष्य सभी स्तरों पर 50/50 लैंगिक सन्तुलन को पाना है, और उसके साथ ही, निर्धनतम लोगों व सम्वेदनशील हालात में रह रहे लोगों के लिए सुलभता की गारंटी देना है.

महिला वैज्ञानिकों का सशक्तिकरण

दोहा में अनेक गतिविधियों व कार्यक्रमों की कड़ी में, दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए यूएन कार्यालय (UNOSSC) ने अनुवंशिक इंजीनियरिंग और बायोटैक्नॉलॉजी पर अपने साझीदार संगठन (ICGEB) के साथ, एक प्रतिभागी संवाद आयोजित किया, जिसमें यूएन प्रणाली की प्रतिनिधियों और LDC देशों की युवा महिला वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया.  

वर्ष 2021 में, UNOSSC और ICGEB ने एक ऐसे समय में साझा रूप से ‘EMPOWER’ नामक फ़ैलोशिप शुरू की थी, जब दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रही थी और वैक्सीन, उपचार व अन्य नवाचारी टैक्नॉलॉजी के लिए ज़ोर-शोर से प्रयास किए जा रहे थे.

ICGEB की महानिदेशक लॉरेंस बैंक्स ने बताया कि बांग्लादेश, कोलम्बिया, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, तंज़ानिया और ज़िम्बाब्वे की पाँच युवा महिला वैज्ञानिकों को इस फ़ैलोशिप के लिए चुना गया.

इन वैज्ञानिकों को भारत और दक्षिण अफ़्रीका में स्थित ICGEB की प्रयोगशालाओं में, नवीनतम तकनीकों, तौर-तरीक़ों के इस्तेमाल समेत, अन्य क्षेत्रों में प्रशिक्षण पाने का अवसर मिला, जोकि एक विशिष्ट, ख्याति-प्राप्त अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक माहौल में रचने-बसने का अनुभव भी था.

अफ़ग़ान लड़कियों की टीम द्वारा तैयार किए रोबोट को सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया है.
UN News/Anold Kayanda

‘हिम्मत कभी मत हारो’

LDC5 सम्मेलन के हर दिन, प्रतिभागियों ने सम्मेलन स्थल में प्रवेश करते समय, अफ़ग़ान लड़कियों का एक समूह देखा, जोकि रोबोटिक्स टीम की सदस्य हैं. उनके पीछे, स्टैंड पर उनके बनाए हुए रोबोट भी खड़े किए गए है.

अफ़ग़ान लड़कियों की रोबोटिक्स टीम की पूर्व कप्तान, सोमाया फ़ारुक़ी ने बताया कि आज, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, वह दुनिया भर में सभी महिलाओं को बधाई देना चाहती हैं.

हिंसक संघर्ष से प्रभावित उन सभी देशों की निडर महिलाओं व लड़कियों को, जिनके पास अब भी भविष्य के लिए आशा है और जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं.  

इस टीम के सदस्य अगस्त 2021 से क़तर में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जब उन्हें अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की वापसी के बाद, बिना अपने परिवारों से मिले ही, बच कर भागने के लिए मजबूर होना पडा था.

सोमाया फ़ारुक़ी ने यूएन न्यूज़ को बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनके पास स्कूल, यूनिवर्सिटी, पार्क, जिम या रेस्तराँ जाने का बुनियादी अधिकार नहीं है. उन्हें अपने घर में बन्दी के तौर पर रहना पड़ता है, भविष्य के लिए किसी आशा या शिक्षा के बिना ही.

उन्होंने कहा कि वह यहाँ अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की शक्ति, योग्यता और प्रतिभा को दर्शाने के लिए आई हैं, और उन्हें उम्मीद है कि देश में सभी लड़कियों के पास अपनी क्षमताओं को दिखाने का अवसर मिलेगा.