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वायु प्रदूषण के कारण बढ़ता स्वास्थ्य जोखिम: यूनीसेफ़ समर्थित रिपोर्ट

पाकिस्तान के कराची शहर में एक महिला खाना पकाते समय कचरे का इस्तेमाल कर रही है, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण हो रहा है.
© UNICEF/Ali Junaid
पाकिस्तान के कराची शहर में एक महिला खाना पकाते समय कचरे का इस्तेमाल कर रही है, जिसकी वजह से वायु प्रदूषण हो रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण बढ़ता स्वास्थ्य जोखिम: यूनीसेफ़ समर्थित रिपोर्ट

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के साथ साझेदारी में  वैश्विक वायु की स्थिति (SoGA) की नवीनतम रिपोर्ट में बुधवार को चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य पर लगातार असर पड़ रहा है, और अब यह वैश्विक स्तर पर असामयिक मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गया है.  

स्वास्थ्य प्रभाव संस्था (Health Effects Insititute) द्वारा जारी रिपोर्ट के पाँचवें संस्करण से स्पष्ट होता है कि 2021 में दुनिया भर में 81 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई और लाखों अन्य इससे सम्बन्धित घातक एवं गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे हैं.  

ख़ासतौर पर पाँच साल से छोटे बच्चे, वायु प्रदूषण के प्रभावों के प्रति अधिक सम्वेदनशील हैं, और 2021 में इस आयु वर्ग के 7 लाख बच्चों ने वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गँवाई है.

स्वास्थ्य परिणामों का पूर्वानुमान

वैश्विक वायु स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन, आवास, जंगलों की आग व अन्य क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन तथा बायोमास जलाने से उत्पन्न होने वाले बाहरी सूक्ष्म कण (PM2.5) जैसे प्रदूषक, वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से होने वाली 90 प्रतिशत से अधिक मौतों का कारण हैं. इसकी निगरानी के जरिए, सबसे सुसंगत एवं सटीक तरीक़े से "दुनिया भर में गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.”

इसके अलावा, घरेलू वायु प्रदूषण, वाहनों के धुएँ में पाए जाने वाले ओज़ोन (O3) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) आदि अन्य प्रदूषक भी वैश्विक स्तर लोगों की गिरती सेहत के लिए ज़िम्मेदार हैं. 

Health Effects Insititute की अध्यक्ष, डॉक्टर एलीना क्राफ़्ट का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी, ठोस बदलाव लाने की प्रेरणा देगी. 

उन्होंने कहा, “वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. हम जानते हैं कि वायु की गुणवत्ता व वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाना, न केवल व्यवहारिक है बल्कि पूर्णत: सम्भव भी है.” 

लोगों की सेहत पर बुरा असर डालने के अलावा, PM2.5 जैसे प्रदूषक ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि करते हैं, जिससे ग्रह का तापमान बढ़ता है. पृथ्वी गर्म होने से, उच्च स्तर की NO2 वाले क्षेत्रों में, ओज़ोन का स्तर भी बढ़ता है, जिसके स्वास्थ्य परिणाम गम्भीर होते हैं. 

HEI में वैश्विक स्वास्थ्य की प्रमुख, डॉक्टर पल्लवी पन्त कहती हैं, “यह नई रिपोर्ट, मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के अहम प्रभावों की कठोर सच्चाई याद दिलाती है, जिसका अधिकतम बोझ छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों तथा निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों पर पड़ता है.  

उन्होंने कहा, “इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि शहरों व देशों को स्वास्थ्य नीतियाँ एवं गैर-संक्रामक बीमारियों के रोकथाम हेतु कार्यक्रम बनाते समय, वायु गुणवत्ता व वायु प्रदूषण को उच्च-जोखिम वाले कारकों में शामिल करना चाहिए.”  

बच्चों के लिए जोखिम

रिपोर्ट से पता चलता है कि बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति "ख़ासतौर पर सम्वेदनशील" हैं और इसका प्रभाव गर्भ से ही आरम्भ हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक़, छोटे बच्चों के वायु प्रदूषण के सम्पर्क में आने से, वैश्विक स्तर पर निमोनिया एवं अस्थमा से हर पाँच में से एक बच्चे की मौत हो रही है. साथ ही इससे, उच्च आय वाले देशों की तुलना में, असमता वाले देशों के बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं.

वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह, जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल है, जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है.
Unsplash/Hassan Afridhi

यूनीसेफ़ की उप कार्यकारी निदेशक, किटी वैन डेर हेजडेन ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण हर रोज़, पाँच साल से कम उम्र के लगभग 2,000 बच्चों की मौत हो जाती है.

उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर तात्कालिकता की ज़रूरत से कतई इनकार नहीं किया जा सकता. यह आवश्यक है कि सरकारें और व्यवसाय, इन अनुमानों तथा स्थानीय रूप से उपलब्ध आँकड़ों पर विचार करें और वायु प्रदूषण घटाने व बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सार्थक, बाल-केन्द्रित कार्रवाई को सूचित करने के लिए इसका उपयोग करें."

वर्तमान प्रगति

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के नकारात्मक असर के बारे में जानकारी साझा करने के अलावा, SoGA रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया है कि घरेलू वायु प्रदूषण के सम्पर्क में आने की हानियों को लेकर जागरूकता बढ़ी है और 2000 के बाद से, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 53 फ़ीसदी की कमी आई है, जिसकी एक बड़ी वजह, भोजन पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक बेहतर पहुँच मानी गई है.  

साथ ही, ख़ासतौर पर अफ़्रीका, लातिन अमेरिका और एशिया जैसे उच्चतम स्तर पर वायु प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों ने, इस समस्या से निपटने के लिए, वायु प्रदूषण निगरानी नैटवर्क स्थापित करना, व कठोर वायु गुणवत्ता नीतियाँ लागू करना शुरु कर दिया है.