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वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार, मगर सतर्कता बनाए रखने की दरकार

2024 के दौरान वैश्विक आर्थिक प्रगति में पहले के अनुमान की तुलना में सुधार व्यक्त किया गया है.
Unsplash/Jason Leung
2024 के दौरान वैश्विक आर्थिक प्रगति में पहले के अनुमान की तुलना में सुधार व्यक्त किया गया है.

वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार, मगर सतर्कता बनाए रखने की दरकार

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति में, जनवरी 2024 के बाद से अब तक सुधार दर्ज किया गया है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने गम्भीर मन्दी, महंगाई और बेरोज़गारी के जोखिम को टाला है, मगर फ़िलहाल आर्थिक मोर्चे पर सतर्कता बनाए रखने की ज़रूरत है.

यूएन के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के कार्यालय (UNDESA) ने गुरूवार को अपनी मध्यावधि रिपोर्ट, विश्व आर्थिक स्थिति व सम्भावनाएँ नामक रिपोर्ट पेश की है. 

इसमें बेहतर हो रहे आर्थिक हालात के साथ-साथ ऊँची ब्याज़ दरों, कर्ज़ सततता सम्बन्धी चुनौतियों, भूराजनैतिक तनावों और चरम मौसम घटनाओं के प्रति सचेत किया गया है.

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार इन चुनौतियों से आर्थिक प्रगति और पिछले कई दशकों में हासिल किए गए विकास पर जोखिम मंडरा रहा है, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों पर.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में विश्व अर्थव्यवस्था के 2.7 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ने का अनुमान है, जोकि जनवरी 2024 के आँकड़े की तुलना में 0.3 प्रतिशत अधिक है. 2025 में आर्थिक प्रगति की रफ़्तार 2.8 प्रतिशत तक पहुँच सकती है. 

बेहतर आँकड़ों व अनुमान की वजह अमेरिका में आर्थिक परिदृश्य में हुए सुधार के साथ-साथ भारत, ब्राज़ील और रूसी महासंघ की अर्थव्यवस्थाओं का बेहतर प्रदर्शन बताया गया है.

भारत की अर्थव्यवस्था के वर्ष 2024 में 6.9 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.6 फ़ीसदी की रफ़्तार से बढ़ने का अनुमान है

चीन के लिए आर्थिक वृद्धि की दर 2023 में 5.2 प्रतिशत थी, जोकि 2024 में 4.8 प्रतिशत तक पहुँचने की सम्भावना है. 

मगर, अफ़्रीका महाद्वीप के लिए आर्थिक परिदृश्य पिछले अनुमान की तुलना में ख़राब हुआ है, और अब 2024 के लिए प्रगति दर पहले के आँकड़े की तुलना में 0.2 प्रतिशत तक गिर सकती है.

यूएन कार्यालय के अनुसार, आगामी वर्षों में वैश्विक प्रगति की दर, 2010-2019 के औसत, 3.2 प्रतिशत, से नीचे रहने की सम्भावना है.

लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के लिए आर्थिक सम्भावनाओं में बेहतरी होने की सम्भावना है, और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 2023 में 2.4 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 3.3 प्रतिशत तक पहुँच सकती है. इसकी एक बड़ी वजह पर्यटन सैक्टर में दर्ज किया गया उछाल है. 

मगर ये देश अति-आवश्यक सामान के लिए आयात पर निर्भर है और इस वजह से अन्तरराष्ट्रीय माल (commodity) की क़ीमतों में उछाल के नज़रिये सम्वेदनशील हैं. साथ ही, चरम मौसम घटनाओं और विशाल सार्वजनिक ऋण के कारण उनके लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं.   

मिश्रित तस्वीर

रिपोर्ट के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय माल की क़ीमतों में कुछ कमी आई है और केन्द्रीय बैन्कों द्वारा सख़्त मौद्रिक उपायों को अपनाए जाने की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में गिरावट आई है.

मगर अनेक विकासशील अर्थव्यवस्थाँए अब भी विशाल महंगाई से जूझ रही हैं. अनेक देशों को उधार लेने की ऊँची क़ीमतों, राजनैतिक अस्थिरता और विनमिय दर के दबावों का सामना करना पड़ रहा है.

विकासशील देशों में रोज़गार की स्थिति में मन्दी है, जबकि विकसित देशों, विशेष रूप से उत्तर अमेरिका, योरोप व जापान में बेरोज़गारी की दर ऐतिहासिक रूप से अपने निचले स्तर पर है. 

इसके अलावा, भूराजनैतिक तनावों व टकरावों के गहन रूप धारण करने की आशंका से, अनेक अर्थव्यवस्थाओं के लिए निकट भविष्य में आर्थिक हालात पर असर पड़ सकता है.