IMF: वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में गिरावट का पूर्वानुमान
अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य में, इस वर्ष वैश्विक प्रगति 2.8 प्रतिशत के स्तर पर रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है, जो वर्ष 2024 में कुछ बेहतर होकर लगभग 3 प्रतिशत तक पहुँच सकती है.
संगठन के गुरूवार को प्रकाशित विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा गया है कि वैश्विक महंगाई भी नीचे की तरफ़ जा रही है जिससे संकेत मिलते हैं कि ब्याज दरों में प्रमुख वृद्धि करके मौद्रिक नीति को कड़ी बनाने के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. हालाँकि महंगाई में ये कमी अपेक्षाकृत कम रफ़्तार से है.
अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के शोध निदेशक पियर ओलीवियर गौरिंशेस के अनुसार ये महंगाई दर वर्ष 2022 में 8.7 प्रतिशत थी जो इस वर्ष 7 प्रतिशत रहने की सम्भावना है और वर्ष 2024 में 4.9 प्रतिशत.
पुनर्बहाली राह पर है
पियर ओलीवियर गौरिंशेस ने कहा कि कोविड-19 महामारी और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, वैश्विक पुनर्बहाली धीमे-धीमे अपनी राह पर है.
चीन की फिर से खोली गई अर्थव्यवस्था मज़बूती से अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है, जबकि अतीत में बाधित आपूर्ति श्रृंखलाएँ भी सुचारू हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष की आर्थिक मन्दी, अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में केन्द्रित है, विशेष रूप से योरोपीय क्षेत्र और ब्रिटेन में, जहाँ इस वर्ष प्रगति गिरकर क्रमशः 0.8 प्रतिशत और -0.3 प्रतिशत होने का अनुमान है.
अलबत्ता अगले वर्ष इसके क्रमशः 1.4 प्रतिशत और 1 प्रतिशत होने का पूर्वानुमान है.
नाज़ुक वास्तविकता
मुद्रा कोष के निदेशक और आर्थिक सलाहकार पियर ओलीवियर गौरिंशेस ने आगाह किया कि जैसा कि मुख्य रूप से सिलिकॉन वैली बैंक और कुछ अन्य बैंकों के पतन के बाद भड़की अस्थिरता ने दिखाया है कि स्थिति अब भी बेहद नाज़ुक बनी हुई है.
एक बार फिर मन्दी का जोखिम प्रबल बना हुआ है और विश्व आर्थिक परिदृश्य के इर्दगिर्द कोहरा और ज़्यादा घना हुआ है.
उन्होंने कहा कि मुद्रा स्फीति अब भी ज़िद्दी रूप में उच्च है, जोकि बाज़ारों की अपेक्षा से कहीं अधिक है. जबकि कम होती महंगाई दरअसल ऊर्जा और खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में गिरावट की बदौलत है.
महंगाई बरक़रार है
पियर ओलीवियर गौरिंशेस ने कहा, “वर्षान्त से लेकर वर्षान्त महंगाई इस वर्ष धीमी होकर 5.1 प्रतिशत पर पहुँचेगी...”
उन्होंने कहा कि श्रम बाज़ार, अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं वाले अधिकतर देशों में बहुत मज़बूत बने हुए हैं, जोकि निम्न बेरोज़गारी दरों में नज़र आता है.
ये स्थिति मुद्रा नीति को और भी ज़्यादा कड़ी बनाने या ज़्यादा समय तक कड़ी रखने की ज़रूरत उत्पन्न कर सकती है.
डगर आसान नहीं
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के दौरान ब्याज दरों में तेज़ी से जो वृद्धि हुई, उसके प्रभाव, वित्त क्षेत्र पर ज़्यादा चिन्ताजनक रहे, जैसाकि बार-बार आगाह किया गया है कि ऐसा हो सकता है. शायद आश्चर्य की बात ये है कि इसमें इतना लम्बा समय लगा.
उन्होंने दलील देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के वैश्विक आघात और यूक्रेन युद्ध के पहले के दौर में, काफ़ी लम्बे समय तक निम्न महंगाई दर और निम्न ब्याज दरें बनी रहने के कारण, वित्त क्षेत्र कुछ ज़्यादा ही सन्तुष्ट बन गया था.