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म्याँमार: जानबूझकर ग़लत जानकारी, नफ़रत भरे सन्देशों के फैलने पर चिन्ता

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में एक शहर से मोटरसाइकिल सवार गुज़र रहा है.
© UNICEF/ Naing Linn Soe
म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में एक शहर से मोटरसाइकिल सवार गुज़र रहा है.

म्याँमार: जानबूझकर ग़लत जानकारी, नफ़रत भरे सन्देशों के फैलने पर चिन्ता

शान्ति और सुरक्षा

म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र की टीम ने संकट से जूझ रहे इस देश में भ्रामक सूचनाओं, जानबूझकर ग़लत जानकारी फैलाए जाने और नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों की भरमार पर चिन्ता जताई है, विशेष रूप से उत्तरी राख़ीन प्रान्त में. यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बुधवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही.

इससे पहले, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में सैन्य नेतृत्व और विरोधी सशस्त्र बल, ‘अराकान आर्मी,’ के बीच बढ़ती हिंसा और रोहिंज्या व अन्य जातीय समुदायों के बीच तनाव पर चिन्ता व्यक्त की थी.

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बुधवार को कहा कि मौजूदा नाज़ुक हालात में सामुदायिक हिंसा और तनाव का जोखिम बढ़ता जा रहा है. इस पृष्ठभूमि में उन सामुदायिक नेताओं की भूमिका अहम है, जो एकजुट होकर सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए मज़बूती से प्रयास कर रहे हैं.​

उन्होंने राख़ीन प्रान्त में इन प्रयासों में जुटे सभी सामुदायिक नेताओं का पूर्ण रूप से समर्थन करने की बात कही, विशेष रूप से महिलाओं व युवजन का.

गहराता तनाव

म्याँमार में सेना द्वारा फ़रवरी 2021 में सत्ता पर क़ब्ज़ा किए जाने के बाद भड़का तनाव और संकट, पूरे देश में लोगों को बहुत गहराई से प्रभावित कर रहा है. बौद्ध बहुल देश म्याँमार में राख़ीन सबसे निर्धन क्षेत्र है और इसी प्रान्त में अधिकतर रोहिंज्या आबादी रहती है. इनमें अधिकतर लोग मुसलमान हैं और उन्हें म्याँमार की नागरिकता हासिल नहीं है.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने कुछ दिन पहले जारी अपने वक्तव्य में आगाह किया था कि राख़ीन प्रान्त एक बार फिर से अनेक पक्षों के लिए रणभूमि बन गया है. आम नागरिकों को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ रही है, और रोहिंज्या लोगों पर विशेष रूप से जोखिम है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, म्याँमार की सेना हार का सामना कर रही है और इस वजह से जबरन या रिश्वत देकर रोहिंज्या लोगों को सैनिकों के रूप में भर्ती होने और राख़ीन में जातीय समुदाय के लोगों के घर, इमारतों व गाँव जलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

साथ ही, जातीय समुदायों के बीच तनाव फैलाने के मक़सद से जानबूझकर ग़लत सूचना व दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है.

संकट से उबारने पर बल

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने ध्यान दिलाया कि व्यवस्थागत भेदभाव के बुनियादी कारणों को दूर करना और राख़ीन प्रान्त में दंडमुक्ति की भावना से निपटा जाना बेहद ज़रूरी है, ताकि म्याँमार को संकट से उबारने के लिए सतत ढंग से एक मार्ग तैयार किया जा सके.

उन्होंने यूएन टीम से प्राप्त जानकारी का उल्लेख करते हुए कहा कि “ऐसा करने में विफलता हाथ लगने से, म्याँमार में हिंसा के घातक चक्र को ईंधन मिलेगा.”

यूएन प्रवक्ता ने ज़ोर देकर कहा कि म्याँमार में आम नागरिकों के विरुद्ध हर प्रकार की हिंसा की निरन्तर निन्दा की गई है.

साथ ही, उन्होंने मानवीय सहायताकर्मियों का अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के अनुरूप संरक्षण किए जाने, हिंसक टकराव को रोके जाने और मानवीय सहायता मार्ग को सुलभ बनाने पर बल दिया है.